स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय पहल

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ राज्य के सभी जिलों में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में एक अनुकरणीय पहल है क्योंकि राज्य में अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रायः निजी क्षेत्र में ही संचालित होते रहें है और राज्य के बड़े शहरों रायपुर, दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर, कोरबा तथा अन्य जिला मुख्यालयों में कुछ संपन्न व्यक्तियों द्वारा संचालित होते रहें है और उनमें पढ़ने वाले बच्चे भी अधिकतर शहरों में निवासरत सभ्रांत परिवारों से ही संबंधित है. ऐसे में राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत कृषक तथा अन्य रोजगार धंधे से जुड़े परिवारों जिनके पास पर्याप्त आय के साधन नहीं है ऐसे शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्रायें इन अंग्रेजी माध्यम शिक्षा से वंचित हो जाते थे. इन शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अंग्रेजी को केवल एक विषय के रूप में पढ़ पाते थे. जो आगे कक्षाओं में पढ़कर केवल राज्य स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में ही भाग लेते थे. ऐसा नहीं है कि हमारे राज्य के बच्चे राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं और नौकरियों में नहीं चयनित होते रहे है परन्तु वे बच्चे ग्रामीण परिवेश के नाममात्र के ही होते है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में दूरदृष्टि रखते हुए शासकीय स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया और इस पर क्रियान्वयन करते हुए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने हेतु योग्य और सक्षम शिक्षकों को नियुक्त करने की व्यवस्था लागू की। इन अंग्रेजी माध्यम से संचालित स्कूलों में पढ़ाई करने वाले छात्रों को अपनी शिक्षा पूरी कर उच्च कक्षाओं तथा व्यावसायिक शिक्षा इंजीनियरिंग, मेडिकल तथा बिजनेस मैनेजमेंट एवं अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने में थोड़ा समय अवश्य लगेगा परन्तु एक परिवर्तन अवश्य आयेगा. जिससे विशेषकर ग्रामीण अंचलों के छात्र-छात्राओं में पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने का वातावरण निर्मित होगा. छत्तीसगढ़ राज्य मंे अंग्रेजी माध्यम से शासकीय स्कूल संचालित किये जाने का निर्णय लेकर एक अभिनव पहल प्रारंभ हो गयी है। अब केवल इन स्कूलों में आधुनिक सुविधाओं जैसी सभी आवश्यक उपकरणों से सुसज्जित प्रयोगशालायें, फर्निचर, आधुनिक पुस्तकालय तथा शिक्षकों एवं अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राओं में समन्वय और अनुशासन की आवश्यकता होगी, इन स्कूलों में केवल शासकीय व्यवस्था ही पर्याप्त नहीं है. इनके संचालन के लिए राज्य के अलग-अलग स्थानों के स्थानीय औद्योगिक प्रतिष्ठानों तथा स्थानीय सामाजिक संगठनों से भी सहयोग आवश्यक होगा, जिससे समाज के कमजोर वर्ग परिवार के बच्चों को आधुनिक तरीके से उचित शिक्षा का अवसर मिल सकेगा। शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी अनुसार अंग्रेजी माध्यम से संचालित स्कूलों में गणित तथा विज्ञान के विषयों की पढ़ाई में रूचि बढ़ी है.