भूमि आबंटन का अधिकार कलेक्टर को दिए जाने के खिलाफ पेश याचिका, हाई कोर्ट ने राज्य शासन को जवाब प्रस्तुत करने के दिए आदेश

बिलासपुर. याचिकाकर्ता सुशांत शुक्ला द्वारा राज्य शासन के सरकारी भूमि के 7500 व.फुट भूमि को निजी व्यक्तियों को आबंटन को लेकर जारी किए गए परिपत्र को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रोहित शर्मा द्वारा पैरवी की गई। राज्य शासन की उक्त योजना की खामियों को चुनौती देते हुए याचिका में बतलाया गया कि उक्त परिपत्र के माध्यम ये 7500 व.फु. तक की भूमियों के आबंटन का अधिकार कलेक्टर को देने से एवं केवल आवेदन प्राप्त होने पर भूमि आबंटन की कार्यवाही किये जाने से भू-माफियाओं एवं उच्च आय वर्ग को ही लाभ प्राप्त होगा, वही दूसरी ओर सामान्य वर्ग वाले व्यक्ति इससे पूर्णत: वंचित रह जायेंगे। याचिका में इस ओर भी न्यायालय का ध्यान आकृष्ट करवाया गया।  कि उक्त परिपत्र से छग भू-राजस्व संहिता एवं छग नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम में उपबंधित प्रावधानों को ताक पर रखकर ऐसा विधिविपरित परिपत्र केवल समाज के एक वर्ग को फायदा पहुंचाने के निहित उद्देश्य से जारी किया गया है, जिससे माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित विधि का उल्लंघन किया जाना प्रचुरता से प्रमाणित है। उच्चतम न्यायालय द्वारा अखिल भारतीय उपभोक्ता कांग्रेस विरुद्ध मध्यप्रदेश शासन के निर्णय वर्ष 2011 का पूर्ण उल्लंघन उक्त परिपत्र के माध्यम से छग शासन द्वारा किया गया है। उक्त निर्णय में उच्चतम न्यायालय ने केवल आवेदन के आधार पर कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट को आबंटित 20 एकड़ भूमि मध्यप्रदेश शासनकाल के निर्णय को अपास्त किया गया, जो निर्णय छग राज्य पर भी बाध्यकारी है, और ऐसे स्थिति में शासन द्वारा किया गया निर्णय अवैध एवं अधिकारातीत कार्यवाही है। याचिका में इस भी आपत्ति ली गई कि अगर उक्त भूमि का आबंटन किसी निजी आवेदक को करना हो तो ऐसे आवेदक को उक्त भूमि के चारों तरफ बाउण्ड्री निर्माण की राशि की उपलद्धता का बंधन नहीं है, वहीं दूसरी ओर यदि किसी शासकीय विभाग को ऐसी भूमि तभी आबंटित की जावेगी जब संबंधित विभाग के पास उक्त भूमि पर बाउण्ड्रीवाल निर्माण हेतु निधि उपलब्ध हो। याचिका में इस पर भी आपत्ति ली गई कि उक्त परिपत्र के द्वारा आज दिनांक तक ऐसी भूमियों की सूची जो रिक्त शासकीय भूमि हो, उन्हें जिला एनआईसी के माध्यम से भूईया साफ्टवेयर के माध्यम से जिलों की वेबसाइट पर अपलोड किया जावें। जो कि आज दिनांक तक नहीं की गई। याचिका में इस बात पर भी ध्यान आकृष्ट करवाया गया कि छग राज्य में वर्ष 2001 के मुकाबले 2011 तक स्लम ऐरिया में वृद्धि हुई है तथा 2011 की जनगणना के अनुरूप ही बिलासपुर नगर निगम क्षेत्र की 40 प्रतिशत जनसंख्या, दल्लीराजहरा न.प. परिषद की 73 प्रतिशत जनसंख्या, रायपुर नगर निगम की 37 प्रतिशत जनसंख्या, कोरबा नगर निगम की 34 प्रतिशत जनसंख्या, राजनांदगांव नगर निगम की 53 प्रतिशत जनसंख्या स्लम ऐरिया (झुग्गी झोपड़ी) में निवासरत् है, जिसके वर्तमान आंकड़े स्वभाविक रूप से और विस्तृत हुये हैं। शासन के उक्त आदेश के पालन से शासन की ऐसी सारी भूमिया जिनका उपयोग आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, मध्यम वर्ग, शासन की हाऊसिंग बोर्ड द्वारा रियायती दरों पर मकान बनाने की योजना आदि समाजिक सरोकार हेतु भूमि की कमी हो जायेगी और 7500 व.फु. तक भूमि ऐसे समूह द्वारा संग्रहित कर जी जावेगी जो वर्तमान में भी आर्थिक रूप से ताकतवर है, इस कारण ऐसा आबंटन किये जाने से भारतीय संविधा के अनुच्छेद 14 एवं 21 का खुल्ला उल्लंघन है व संविधान में अंतर्निहित समाजवाद व समता के अधिकार का भी उल्लंघन है।

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