सभी मातृभाषाओं में है समान क्षमता : प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल
वर्धा. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आयोजित मातृभाषा महोत्सव में विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने कहा कि सभी मातृभाषाओं में समान क्षमता होती है। सभी ने अपनी-अपनी मातृभाषा का गौरव बढ़ाना चाहिए। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल की प्रमुख उपस्थिति में विश्वविद्यालय के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अकादमिक भवन के कस्तूरबा सभागार में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (21 फरवरी) का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल अध्यक्षीय उद्बोधन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने का संकल्प व्यक्त किया गया है। हमने स्कूली शिक्षा से उच्च शिक्षा तक अपनी अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करते हुए मातृभाषा का गौरव बढ़ाना चाहिए और सभी मातृभाषाओं को कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहिए। इस अवसर पर प्रो. शुक्ल ने ‘धरती हमारी’ कविता का पाठ भी किया।
ऑनलाइन तथा ऑफलाइन माध्यम से आयोजित कार्यक्रम के दौरान शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने अपनी-अपनी मातृभाषाओं में कविताएं तथा वक्तव्य प्रस्तुत किये। नवनीत कुमार, दीप्ति कुशवाहा, सदीराम बोस, साक्षी कुमारी, बापू चौहान, शाक्य दास, विवेक मिश्रा, जाह्रवी साठावणे, वेदिका मिश्रा, विमल, आशुतोष, सन्नी, गोविंद, रवींद्र, मौसम तिवारी, गौरव चौहान, किरण बाला मीणा, गौरक्ष पोफली, चांदनी, चेतन वर्मा, अमित कुमार और बांग्लादेश की छात्रा अल्मा शेख ने दी, संस्कृत, मराठी, भोजपुरी, बांग्ला, मैथिली, अवधी, असमिया, ओडिया, बुंदेली, राजस्थानी आदि मातृभाषाओं में वक्तव्य तथा कविताएं प्रस्तुत की। इस अवसर पर प्रतिकुलपति प्रो. चंद्रकांत रागीट, जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे, शोधार्थी सुश्री प्रीति नेगी एवं सुश्री हेमा ठाकुर मंचासीन उपस्थित थे। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वालन एवं विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया। स्त्री अध्ययन विभाग की शोधार्थी प्रीति नेगी ने कार्यक्रम का संचालन तथा सुश्री हेमा ठाकुर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्यक्रम में अध्यापक, अधिकारी, शोधार्थी तथा विद्यार्थी बड़ी संख्या में शामिल हुए।