May 5, 2024

पहले बुरे वक्त में छोड़ा साथ, अब America ने Afghanistan के घाव पर छिड़का नमक


नई दिल्ली. अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) ने अमेरिकी सेना (US Army) के जाने के बाद ऐसा चौतरफा कोहराम मचाया कि आज अफगानिस्तान के दो-तिहाई इलाके और आधे से कई ज्यादा प्रान्तों पर कब्जा हो चुका है. तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे की रफ्तार का अंदाजा इसीसे लगाया जा सकता है कि काबुल भी सुरक्षित नहीं रहा. तालिबान को अभी तक कुछ खास विरोध का सामना भी नहीं करना पड़ा.

अमेरिका ने टेके घुटने 

काबुल (Kabul) के दरवाजे पर तालिबान की दस्तक के साथ ही अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) ने देश छोड़ दिया तो उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने काबुल. अफगानिस्तान (Afghanistan) में चल रहे तालिबानी कोहराम में 20 वर्षों तक अफगानिस्तान में रहने वाला अमेरिका तक घुटने टेक कर भाग निकला. अमेरिका काबुल स्थित अपने उच्चायोग से न सिर्फ कर्मचारियों और नागरिकों को सुरक्षित निकाल रहा है बल्कि गुप्त कागजों को भी तालिबान के कब्जे में आने से पहले जला रहा है.

अमेरिका के विदेश मंत्री की संवेदनहीनता

अमेरिका के इस भगोड़े रवैये पर जब अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकिन से अमेरिकी मीडिया ने सवाल पूछा तो बड़े ही संवेदनहीन तरीके से कहा कि अमेरिका 20 साल पहले अफगानिस्तान सिर्फ 9/11 हमले के दोषियों से निपटने गया था, जिन्होंने अमेरिका पर हमला किया था. इन 20 सालों में अमेरिका ने ना सिर्फ बिन लादेन को मारा बल्कि अलकायदा को भी अफगानिस्तान में नेस्तनाबूत कर दिया. यही अमेरिका का उद्देश्य था जिसमें अमेरिका कामयाब रहा.

अफगानिस्तान का भविष्य क्या?

पूरी दुनिया को संवेदनशीलता और मानवाधिकार का ज्ञान देने वाले अमेरिका के विदेश मंत्री की संवेदनहीनता यहीं नहीं रुकी. उनसे जब पूछा गया कि अब तालिबान का काबुल पर कब्जा हो गया है तो इस पर कहा, अमेरिकी सरकार इस समय सिर्फ अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों और अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों को सुरक्षित निकालने की कोशिशों में लगी हुई है. अमेरिका ने अफगानिस्तान के लोगों को खतरे से निकालने की बहुत साल कोशिश की, लेकिन अब अफगानिस्तान और काबुल का भविष्य अफगानियों, अफगान सरकार और तालिबान पर निर्भर है. इन्हें ही आगे का रास्ता तय करना है.

अफगानिस्तान की जनता के लिए बुरे सपने जैसा

वर्ष 2009 में उपराष्ट्रपति के तौर पर तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा को अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या कम करने की सलाह देने वाले अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्रपति की गद्दी संभालने के बाद 11 सितंबर 2021 तक अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की पूर्ण वापसी का जो निर्णय लिया उसके बाद से आज हालत यह हैं. अफगानिस्तान के 34 में से 24 प्रान्तों पर तालिबान का पूर्ण कब्जा है और आने वाले दिन अफगान की जनता खासकर वहां की महिलाओं के लिए एक बुरे सपने की तरह है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post राष्ट्रपति भवन पर तालिबानी कब्जे की पहली तस्वीर, भारत स्थित दूतावास का ट्विटर हैंडल हुआ हैक
Next post भाजपा द्वारा ओबीसी के साथ होने के दावे को मात्र दिखावा और ढोंग
error: Content is protected !!