दायित्व बोध की ईमानदारी से कविता की निर्मिति होती है : संभागायुक्त

बिलासपुर. दायित्व बोध की ईमानदारी से कविता की निर्मिति होती है। गुरू घासीदास विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के साप्ताहिक आयोजन ’’साहित्य वार्ता’’ में उक्त बातें संभागायुक्त डाॅ. संजय अलंग ने कही। एकल काव्य पाठ के इस कार्यक्रम में आरंभ में संभागायुक्त डाॅ. संजय अलंग ने बाजारवाद के बढ़ते प्रभाव में आरंभ में डाॅ. अलंग ने बाजारवाद के बढ़ते प्रभाव में लुप्तप्राय होती छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति की जहां शिनाख्त की, वहीं धर्म और सत्ता के खतरों से आगाह भी कराया। बांस, सुंदर, ’एक उपासना स्थल पर एक दिन’, जैसी कविताओं के माध्यम से उन्होंने मानव के अंतर्मन में बसे उसकी जड़ों से अवगत कराया। कविता में ईश्वर के बरक्स मनुष्य की उपस्थिति, कर्म- सौन्दर्य, का चित्रण उनकी कविताओं के मुख्य आकर्षण रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता रीवा विश्विद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं हिन्दी के प्रसिद्ध कवि श्री दिनेश कुशवाहा ने की। अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने संभागायुक्त डाॅ. संजय अलंग की कविताओं पर आलोचकीय टिप्पणी करते हुए कहा कि डाॅ. संजय अलंग की कविताओं में आज के दौर में व्यवस्था प्रतिरोध का साहस देने वाले तत्व मौजूद है। कार्यक्रम के आरंभ  में स्वागत उद्बोधन देते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. देवेन्द्र ने आज के कार्यक्रम को अविस्मरणीय बताया। साहित्य वार्ता के इस कार्यक्रम का संचालन डाॅ. गौर त्रिपाठी एवं धन्यवाद ज्ञापन श्री मुरली मनोहर सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो. मनीष श्रीवास्तव, प्रो. अभय रणदिवे, प्रो. अनुपमा सक्सेना एवं शहर के गणमान्य प्रबुद्धगण एवं विभिन्न विभागों के शिक्षक एवं विद्यार्थीगण मौजूद रहे।

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