संगणकीय विज्ञान की उद्घोषणा करती है संस्कृत भाषा : डॉ. चंद्रगुप्त श्रीधर वर्णेकर
वर्धा. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में संस्कृत सप्ताह के उद्घाटन कार्यक्रम में साप्ताहिक संस्कृत-भवितव्यम् नागपुर के प्रकाशक एवं संस्था सचिव डॉ. चंद्रगुप्त श्रीधर वर्णेकर ने कहा कि संस्कृत भाषा संगणकीय विज्ञान की उद्घोषणा करती है। महादेवी वर्मा सभागार में 25 अगस्त को आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने की। संस्कृत सप्ताह कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल के संरक्षण में किया जा रहा है।
डॉ. वर्णेकर ने ‘संगणक विज्ञान में संस्कृत रचनाओं का महत्व’ विषय पर व्याख्यान में कहा कि ज्ञान का आदान-प्रदान मौखिक उच्चारण से प्रारंभ हुआ है। आज के समय में किसी भी भाषा का उपयोग संगणक में किया जा सकता है। भाषाएं अब नवाचार और नवतंत्र उपकरणों में उपयुक्तता की दृष्टि से परखी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि संगणक में बाइनरी सिंबल सिस्टम का प्रयोग किया जाता है जिसे संस्कृत के विद्वान आचार्य पिंगल ने अपने छंदशास्त्र में बहुत पहले ही किया था। आचार्य पाणिनि ने खंडान्वय, दंडान्वय प्रणाली का प्रयोग व्याकरण में किया है, जिसका विस्तार संगणक में टॉप डाउन बटन प्रणाली में देखने को मिलता है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने बताया कि संस्कृत का विचार ही विज्ञान का विचार है। संसार में विद्यमान संस्कृत और प्राकृत भाषाओं में ही सभी भाषाएं समाहित होती हैं। भारतीय ज्ञान परंपरा में संस्कृत एक सेतू के रूप में काम करती है। प्रास्ताविक वक्तव्य में साहित्य विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अवधेश कुमार ने कहा कि संस्कृत को जानना ही सुसंस्कृत होना है। स्वागत भाषण संस्कृत विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रदीप ने किया। कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. जगदीश नारायण तिवारी ने किया तथा शिक्षा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. भरत कुमार पंडा ने आभार माना। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप दीपन, मंगलाचरण, सरस्वती वंदना और कुलगीत से किया गया। इस अवसर पर अध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।