नयी दिल्ली, लखनऊ. भाजपा विरोधी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की उम्मीदाें पर पानी फेरते हुए, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी और जातिवादी, पूंजीवादी, सांप्रदायिक तथा संकीर्ण सोच रखने वाली विरोधी पार्टियों से दूरी बनाकर रखेगी। मायावती ने उनके राजनीति से संन्यास लेने की खबरों को आधारहीन बताते हुए कहा कि मैं अंतिम सांस तक पार्टी को मजबूत करती रहूंगी।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने 68वें जन्मदिन पर लखनऊ में बसपा के राज्य मुख्यालय पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हमारी पार्टी चुनाव अकेले इसलिए लड़ती है क्योंकि पार्टी का नेतृत्व एक दलित के हाथ में है, जिसके प्रति अधिकतर पार्टियों की जातिवादी मानसिकता अभी तक नहीं बदली है। यही मुख्य वजह है कि गठबंधन करके चुनाव लड़ने पर बसपा के वोट तो गठबंधन की पार्टी में चले जाते हैं, लेकिन उनके वोट, खास कर उच्च जाति वर्ग के वोट बसपा को नहीं मिल पाते।’
मायावती ने यह भी कहा कि पार्टी चुनाव के पहले किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी, लेकिन चुनाव के बाद स्थिति को ध्यान में रखते हुए केंद्र व राज्यों की सरकारों में अपनी उचित भागीदारी के आधार पर शामिल भी हो सकती है। बसपा प्रमुख ने कहा, यदि यह चुनाव 2007 के उप्र विधानसभा चुनाव की तरह निष्पक्ष एवं ईमानदारी के साथ होता है, जब ईवीएम में कोई गड़बड़ी या धांधली नहीं की गयी थी, तो हमारी पार्टी लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़कर बेहतर परिणाम लाएगी। सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा ‘बसपा ने चार बार की सरकार में सभी वर्गों के लिए काम किया। वर्तमान समय में कोई काम नहीं दिख रहा और मुफ्त में राशन देकर लोगों को गुलाम बनाया जा रहा है।’ बसपा प्रमुख ने ईवीएम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा ‘ईवीएम में मिल रही गड़बड़ी की खबरों से पार्टी के लोग चिंतित हैं। ऐसे में पूरी ऊर्जा से पार्टी को मजबूत बनाना है। यदि पार्टी के लोग इन हालात का मुकाबला कर पूरी निष्ठा से लगे रहते हैं तो पार्टी मजबूत होगी।’ मायावती की इस घोषणा को कांग्रेस के लिए झटका माना जा रहा है, जिसने पिछले साल फरवरी में अपने रायपुर अधिवेशन के घोषणापत्र में कहा था कि किसी तीसरी ताकत के उभरने से भाजपा/ एनडीए को फायदा होगा। लेकिन, यूपी में तीसरा मोर्चा हकीकत बन गया है, जहां लोकसभा चुनाव में अब सत्तारूढ़ भाजपा, इंडिया और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होगा।