May 6, 2024

कमल छोड़ इस बार हैंडपंप संभालेंगे अवतार भड़ाना, समर्थकों समेत RLD में शामिल

नई दिल्ली. यूपी में विधान सभा चुनावों की तारीखों का ऐलान होने के बाद एक के बाद एक बीजेपी नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला जारी है. ताजा मामले में अब बीजेपी विधायक अवतार भड़ाना आरएलडी (RLD) में शामिल हुए हैं. आपको बता दें कि भड़ाना मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से विधायक हैं. दिल्ली में रालोद मुखिया जंयत चौधरी के साथ मिलकर भाजपा नेता ने रालोद ज्वाइन की थी. अब इस विधानसभा चुनाव में उनके गुर्जर बाहुल्य इलाके गौतम बुद्ध नगर की जेवर सीट से चुनाव लड़ेंने की चर्चा है.

कौन हैं अवतार भड़ाना?

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में अवतार सिंह भड़ाना ने एकाएक भाजपा में एंट्री ली थी. उनकी गिनती गुर्जर राजनीति के शीर्ष नेताओं में होती है. मेरठ-मवाना लोकसभा सीट से वर्ष 1999 में कांग्रेस सांसद रह चुके भड़ाना को BJP ने टिकट दिया, तो उन्हें कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का विरोध भी झेलना पड़ा.

इसके बावजूद उन्होंने मात्र 193 वोट से सपा के प्रत्याशी लियाकत अली को शिकस्त देकर मीरापुर से बीजेपी का विधायक बनने में कामयाबी हासिल की. योगी सरकार के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से भड़ाना को मायूसी हाथ लगी. लंबे राजनीतिक अनुभव के बाद भी उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया, तो उनका बीजेपी से मोह भंग होने लगा.

अब तक इन नेताओं ने बीजेपी से किया टाटा

लखनऊ में स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद अब उनके करीबी माने जाने वाले राधेश्याम मौर्य ने भी पार्टी का साथ छोड़ दिया है. वहीं जिला पंचायत सदस्य और उनके संपर्क में रहने वाले ग्राम प्रधान और तमाम उनके कार्यकर्ताओं ने बीजेपी का दामन छोड़ दिया है. इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता कह चुके हैं कि बीजेपी को चुनाव लड़ने लायक कैंडिडेट भी नहीं मिलेंगे.

बीजेपी नेताओं को भेजा ताला

इसी कड़ी में सपा प्रवक्ता ने बीजेपी के यूपी अध्यक्ष को तीन चाबियों वाला ताला भेजने की जानकारी साझा करते हुए सत्ता पक्ष पर मानसिक दबाव बनाने की कोशिश की है. इससे पहले सपा नेता ने यूपी के सीएम योगी आदित्यानाथ का गोरखपुर का कनफर्म रिटर्न टिकट बुक करा कर सोशल मीडिया में हलचल बढ़ा दी थी.

योगी सरकार में गुर्जरों की अनदेखी का आरोप

भड़ाना का कहना है कि योगी सरकार में गुर्जर अपनी अनदेखी बर्दाश्त करते रहे. वेस्ट यूपी में 15 सीटों पर गुर्जरों का वोट बैंक मजबूत है. 2017 से ही वह प्रदेश सरकार में मंत्री बनने की दौड़ में थे. लेकिन वेस्ट यूपी से किसी भी गुर्जर नेता को मंत्रीमंडल में शामिल नहीं किया. सम्राट मिहिर भोज के नाम पर गौतमबुद्धनगर में हुए विवाद के बाद गुर्जर बिरादरी भी भाजपा से छिटकने लगी है.

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