May 3, 2024

VIDEO – 63 वां : बाबा इंशान अली के सालाना उर्स में उमड़ा जन सैलाब

बिलासपुर/अनिश गंधर्व. छत्तीसगढ़ के शहंशाह सैय्यद बाबा इंशान अली का सालाना उर्स पूरे रीति रिवाज से संपन्न कराया गया। ग्राम लुथरा में स्थित बाबा के दरगाह में लाखों लोग पहुंचे। सभी की मुराद पूरी करने वाले बाबा साहब के सालाना उर्स में देश के अलावा विदेश के लोग भी आते हैं। बीते कोरोना काल में दो वर्षों तक के मेले में जो कमी थी वह इस बार एक ही रात में पूरी हो गई। इस मेले में भव्य कव्वाली का आयोजन दरगाह कमेटी द्वारा रखा था एक ही रात में चारों ओर से लोग पहुंचे और पैर रखने के लिये जगह तक नहीं बची। बाबा सभी के सुनते हैं यहीं कारण है कि सभी धर्मों के लोग उर्स पाक के मौके पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने पहुंचे। कई लोग मुराद पूरी होने पर तो कई मुराद लेकर बाबा के दरगाह में आते हैं। ज्यादातर जादू-टोना से पीडि़त लोग इस दरगाह में महिनों गुजारते हैं और पूरी तरह से ठीक होकर लौट जाते हैं। उर्स के अलावा हर महिने माहाना उर्स इस दरगाह में मनाया जाता है। रोजाना यहां सैकड़ों की संख्या में लोग आते हैं।

दरगाह कमेटी के मो. उस्मान ने बताया कि पिछले दो सालों में प्रशासनिक गाइड लाइन के चलते उर्स के मौके पर ज्यादा तामझाम नहीं रखा गया था। इस बार बाबा साहेब का 63वां उर्स मनाया गया। एसडीएम पंकज डाहिरे के नेतृत्व में व्यवस्था पर प्रशासनिक तौर पर नजर रखी गई। लोगों में मास्र्क व सेनेटाइजर वितरण किया गया और बार बार सूचना दी जा रही थी कि सामाजिक दूरी का पालन करें और सुरक्षित रहे। पूरे कोरोना काल में लुतरा शरीफ में बाबा की कृपा बनी रही। यहां से एक भी पॉजीटिव मामला सामने नहीं आया। 22 से 26 नवंबर तक उर्स का पर्व मनाया गया, कुल की फातिहा दी गई। गांव के सरपंच पति संतोष गंधर्व ने बताया कि हम सभी ने मिलकर मेले को सफल बनाने में जी जान लगाई है। एसडीएम पंकज डाहिरे के नेतृत्व में व्यवस्था बनाई गई। ग्राम पंचायत के पदाधिकारी, दरगाह कमेटी और पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के मार्ग दर्शन में मेला संपन्न हुआ।

दिन रात लगा रहा लोगों का आना-जाना
उर्स में 22 नवंबर से पूर्व ही लोग पहुंचने लगे थे। झूला व मौत का कुआं दिखाने वाले कर्मचारी समय से पूर्व अपने-अपने कार्य को अंजाम देते रहे। किराये के मकानों को लोग पहले से ही बुक करा लिये थे। जिन लोगों को सोने को छत नहीं मिला वे लोग दरगाह के सामने अपना डेरा जमा लिये थे। दिन रात कारोबार करने के बाद व्यापारी 27 नवंबर को लौटने लगे।

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