May 4, 2024

VIDEO नवरात्र विशेष : भक्तों की सभी मानोकामनाओं को पूरी करती है मावली माता


बिलासपुर/अनिश गंधर्व. भाठापारा से 12 किलो मीटर दूर सिंगारपुर गांव में मावली माता की मंदिर है। रोजाना यहां भक्तगण माता से आर्शीवाद मांगने आते हैं। मान्यता है कि सभी भक्तों की मनोकामना को मां पूरी कर देती है। जिनकी मन्नत पूरी होती है वो लोग मावली मंदिर में बकरा लेकर आते हैं। पुजारी से पूर्जा अर्चना कराने के बाद मंदिर से दूर जाकर बलि देते हैं। हर रोज यहां उत्साह भरा महौल रहता है। नवरात्र में आस पास के गांवों के अलावा शहरी क्षेत्र से भी भारी संख्या में मावली माता की दर्शन करने आते है। मंदिर से लगे कुंड में स्नान कर लोग दर्शन करते हैं। बच्चों का मुंडन संस्कार भी यहां पुराने काल से किया जा रहा है आज भी लोग पूरी आस्था के साथ अपने परिजनों के साथ माता दरबार में माथा टेकते हैं।

मावली माता मंदिर में 50 सालों से सेवा कर रहे बैगा राधेश्याम धु्रव ने बताया कि कलिंग राज के समय भीरू बैगा को सिंगारपुर में कुंड के पास इमली झाड़ के नीचे भिंभोरा में एक काला सांप नजर आया तो वह डर गया और कुंड से दो मटका पानी निकालकर जब वह पेड़ के नीचे डाला तो मावली माता ने उसे साक्षात दर्शन दे दिया। देखते ही देखते इस बात की चर्चा आस पास के लोगों में फैल गई है। भीरू बैगा कलिंग राज के राजा कल्याण सिंह दाऊ के पास पहुंचा और माता मावली के प्रकट होने की उसे जानकारी दी। तब राजा कल्याण सिंह दाऊ ने भीरू बैगा को आदेश दिया कि आप जाकर माता की सेवा करो और नवरात्रि पर कल्याण सिंह राजा के नाम पर जोत जला दिया करो। इसके बाद से यहां दूर-दूर से लोग मावली माता की दर्शन करने पहुंचने लगे।

धीरे-धीरे समय का विस्तार होने लगा भीरू बैगा के बाद उनके परिजन मंदिर में मावली माता की सेवा करते चले आ रहे हैं। पुराने समय में रात के समय मंदिर परिसर में कोई नहीं ठहरता था। ग्रामीणों का कहना है कि आज भी मावली माता रात में कुंड व मंदिर परिसर के आसपास विचरण करती हैं। किश्मत वालों को आज भी मावली माता दर्शन देती है। इस मंदिर में अभी गोड़ बैगा सेवा कर रहे हैं। मंदिर में अभी ट्रस्ट नहीं बना है। ग्राम पंचायत और श्रद्धालुओं के दान से मंदिर को भव्य रूप से तैयार किया गया है। नवरात्रि में मावली माता का दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते हैं। भक्त यहां नवरात्रि पर्व में मनोकामनाए दीप जलवाते हैं। मंदिर परिसर व आसपास में विभिन्न समाज के लोगों द्वारा सामुदायिक भवन और देवी-देवताओं की मंदिर का निर्माण कराया गया है।


पहले मंदिर में दी जाती थी बलि
मावली माता मंदिर परिसर में ही बकरे की बलि दी जाती थी। जिन लोगों की मन्नतें पूरी होती थी वे लोग अपने कहे अनुसार माता के चरण में माथा टेकने के बाद बलि के लिये लाये गये बकरे की पूजा कराने के बाद मंदिर के पीछे ले जाते थे जहां बलि दी जाती थी। अब मंदिर परिसर में बलि पर रोक लगा दी गई है। इसके बाद भी लोग यहां बकरा लेकर आते हैं और पूजा अर्चना करने के बाद मंदिर से दूर खेत में जाकर बकरे की बलि चढ़ा देते हैं। वहीं खाना पीना कर लोग लौट जाते हैं।

रेल मार्ग
बिलासपुर से भी भारी संख्या में लोग मावली माता की दर्शन करने जाते हैं। यात्री बिलासपुर रेलवे स्टेशन से पांचवे स्टेशन निपनियां में उतरते हैं और पैदल तीन किलोमीटर चलकर मावली माता मंदिर पहुंचते हैं। इसी तरह भाठापारा रेलवे से लोग 12 किमी की दूरी तय कर सिंगारपुर पहुंचते हैं। बिलासपुर-रायपुर मुख्य मार्ग से भी लोग नारायणपुर होकर माता का दर्शन करने आते हैं।

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