May 6, 2024

VIDEO : ग्राम मोछ के ग्रामीणों ने की शिकायत : गोठान से निकाले गये मवेशियों ने किया फसल बर्बाद


बिलासपुर/अनिश गंधर्व. तखतपुर क्षेत्र के ग्राम पंचायत मोछ के गोठान में मवेशियों का रख रखाव नहीं हो रहा है। ग्रामीण स्वयं लावारिस मवेशियों को जब गोठान लेकर पहुंचे तो सीईओ, तहसीलदार, पटवारी, कृषि अधिकारी एवं पंचायत सचिव और सरपंच ने उल्टे ग्रामीणों को धमकाते हुए मवेशियों को फसल बर्बाद करने के लिये छोड़ दिया है। ग्राम पंचायत मोछ के ग्रामीणों ने इसकी शिकायत जिला कलेक्टर से की है। ग्रामीणों ने अपने मांग पत्र में कहा है कि बर्बाद हुए फसल का मुआवजा और शासकीय पद में कार्यरत दोषी अधिकारियों के विरूद्ध तत्काल कार्यवाही की मांग की है।

ज्ञापन सौंपने आये ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 6 अगस्त 2021 को बैठक पारित कर निर्णय लिया गया है कि फसल की बर्बादी को रोकने के लिये समस्त कृषक अपने अपने मवेशियों को घर में ही रखे और दाना पानी उपलब्ध कराये। ग्रामीणजन इस निर्णय का पालन भी कर रहे हैं। वहीं ग्रामीणों ने  लावारिस मवेशियों को पकड़कर सरकार द्वारा बनाये गोठान में लाकर खड़ा कर दिये। ताकि इन लावारिस मवेशियों को गोठान के माध्यम से चारा पानी उपलब्ध हो सके और ग्रामीणों की फसल को भी नुकसान न पहुंचे। इधर जनपद पंचायत के सीईओ, तहसीलदार, पटवारी, कृषि अधिकारी, पंचायत सचिव और सरपंच ने उल्टे ग्रामीणों को धमकी देते हुए शासकीय गोठान में रखे गये लावारिस पशुओं को फिर से खुले आसमान में किसानों की फसल बर्बाद करने के लिये छोड़ दिया है। ग्राम मोछ में अधिकांश किसानों का फसल भी बर्बाद हो चुका है। जिलाधीश कार्यालय में ज्ञापन सौंपकर ग्रामीणों ने फसल नुकसान का मुआवजा और दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की है।

 

भूपेश सरकार गाय गरूआ, घुरूवा और बाड़ी योजना के तहत लाखों रूपये खर्चकर छत्तीसगढ़ को समृद्ध राज्य बनाने की मंशा बना काम कर रही है। किंतु राज्य सरकार द्वारा बनाये गये गोठानों में भारी भ्रष्टाचार किया गया है। मवेशियों को चारा पानी तो दूर उन्हें खुले आसमान में फसलों को बर्बाद करने के लिये छोड़ दिया गया है जो कि जनहित में गलत है। इसके पूर्व भी रख रखाव के अभाव में लावारिस मवेशियों की सरकारी गोठानों में मौतें भी हो चुकी हैं वहीं गोठानों में मवेशियों की संख्या नहीं के बराबर ही है जबकि लावारिस अवस्था में शहर और गांवों में मवेशियों को विचरण करते देखा जा रहा है। राज्य सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना को पंचायत के प्रतिनिधि और अधिकारी रद्दी की टोकरी समझ रहे हैं।

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