कोरोना की रिपोर्ट नेगेटिव होने पर भी इसके संक्रमण से ग्रसित हो सकता है मरीज
दुनियाभर के हेल्थ सिस्टम के सामने एक के बाद एक नई चुनौतियां खड़ी करनेवाले कोरोना वायरस ने हेल्थ एक्सपर्ट्स को अब एक नया चैलेंज दे दिया है। दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती के मरीज के टेस्ट लगातार कोविड-19 नेगेटिव आ रहे थे लेकिन वह कोरोना वायरस से संक्रमित थी। यहां जानें पूरी बात…
बात बहुत अजीब है लेकिन फैक्ट्स को झुठलाया तो नहीं जा सकता। और कोरोना के मामले में ताजा अपडेट यह है कि जिन मरीजों का कोरोना टेस्ट नेगेटिव आ रहा है, वे मरीज भी इस बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं! यह बात हाल ही दिल्ली एम्स में भर्ती एक मरीज पर की गई जांच के बाद सामने आई।
दरअसल, कोरोना संक्रमण से मिलते-जुलते लक्षण एक 80 साल की मरीज में नजर आने के बाद डॉक्टर्स ने उनका कोरोना टेस्ट कराया। यह टेस्ट पहली बार में नेगेटिव आया तो दूसरी-तीसरी और चौथी बार भी टेस्ट कराया गया। लेकिन पेशंट का टेस्ट हर बार नेगेटिव आता और उनमें कोविड-19 के लक्षण लगातार दिख रहे थे। इस हैरान करनेवाली स्थिति को अपने अनुभवों के आधार पर संभालते हुए डॉक्टर्स ने पेशंट का कोविड-19 का ही इलाज शुरू किया।
इसके कुछ समय बाद पेशंट का कोरोना टेस्ट कराने की जगह उनके शरीर में कोरोना ऐंटिबॉडीज की टेस्टिंग की गई। तो इसका रिजल्ट सबको पुरानी जांच से एकदम उलट आया। पेशंट के शरीर में कोरोना की ऐंटिबॉडीज पाई गईं। अब आप ही सोचिए कि जब जांच के आधार पर मरीज को कोरोना था ही नहीं तो शरीर में ऐंटिबॉडीज कैसे आ गईं! यानी कोविड-19 वायरस उन परीक्षणों में भी चमका दे रहा है, जो अभी तक इसकी जांच का पुख्ता आधार मानी जा रही थीं।
हालांकि ट्रीटमेंट के बाद जब पेशंट में कोरोना के लक्षण दिखने बंद हो गए तो पेशंट को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। लेकिन इस केस के आने के बाद कोरोना संकट से जुड़े कई नए सवाल हेल्थ एक्सपर्ट्स के सामने खडे़ हो गए हैं। क्योंकि जिस आरटी-पीसीआर टेस्ट के आधार पर मरीज के कोरोना संक्रमण की जांच की गई थी, वह अब दुनिया का सबसे अधिक भरोसेमंद कोविड-19 टेस्ट माना जा रहा है।
इस बात का सुबूत हैं ऐंटिबॉडीज
-अगर आपके मन में यह सवाल उठ रहा है कि ऐंटिबॉडीज से यह बात कैसे साबित हो गई कि मरीज को कोरोना संक्रमण था…तो जान लीजिए कि ऐंटिबॉडीज इंसान के शरीर में किसी भी वायरस या संक्रमण को बढ़ने से रोकनेवाली इम्यून सेल्स यानी रोग प्रतिरोधक कोशिकाएं होती हैं।
-जब वायरस हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है तो हमारा शरीर उस वायरस को पूरी तरह स्कैन करता है और इस बात का पता लगाता है कि इस वायरस को मारने के लिए किस तरह की ऐंटिबॉडीज को बनाना होगा। यानी अगर किसी व्यक्ति का कोरोना टेस्ट नेगेटिव आया हो लेकिन उसके शरीर में कोरोना की ऐंटिबॉडीज मिल जाएं तो इस बात को समझ लेना चाहिए कि व्यक्ति की जांच रिपोर्ट सही नहीं आ पा रही है।
-इस केस में तो मरीज में कोरोना के लक्षण दिख रहे थे लेकिन यह स्थिति तब भी बन सकती है, जब किसी मरीज में कोरोना के लक्षण ना दिख रहे हों लेकिन वह कोरोना संक्रमित होकर खुद-ब-खुद ठीक भी हो जाए। यहां आपको एक बार फिर याद दिलाना चाहते हैं कि कोरोना से जुड़ी नई जानकारी हर वक्त आ रही हैं। ऐसे में इस तरह की खबरों के कारण तनाव लेने की जगह बेहतर होगा कि आप अपने शरीर को मजबूत बनाए रखें और इस संक्रमण से बचने के लिए अपनी जानकारी को बढ़ाते रहें।