May 6, 2024

गौरवशाली यात्रा के 25 वर्ष भविष्‍य के लिए प्रेरणा देंगे : प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल

वर्धा. महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के 26वें स्थापनोत्सव कार्यक्रम की अध्‍यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा है कि विश्‍वविद्यालय के 25 वर्ष की यात्रा गौरवशाली रही है। इन 25 वर्षो में विश्‍वविद्यालय द्वारा हासिल की गई उपलब्धियाँ और प्रगति हमें विश्‍वविद्यालय के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए प्रेरणा का काम करेगी। विश्‍वविद्यालय का 26वां स्थापनोत्सव कस्तूरबा सभागार में रविवार, 08 जनवरी को आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रतिकुलपति द्वय प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्‍ल और प्रो. चंद्रकांत रागीट, कुलसचिव क़ादर नवाज़ ख़ान, साहित्य विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. अवधेश कुमार, अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. कृष्‍ण कुमार सिंह, संस्कृति विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. एल. कारूण्‍यकरा, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. अनिल कुमार राय, शिक्षा एवं प्रबंधन विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. गोपाल कृष्‍ण ठाकुर, विधि विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. चतुर्भुज नाथ तिवारी और वर्धा समाज कार्य संस्‍थान के निदेशक डॉ. के बालराजु मंचासीन थे। इस दौरान सभी अधिष्‍ठाताओं ने अपने विद्यापीठ की उपलब्धियाँ और प्रगति का लेखाजोखा मेधोमन्थन के अंतर्गत प्रस्‍तुत किया।


अध्‍यक्षीय उदबोधन में कुलपति प्रो. शुक्‍ल ने कहा कि हमारा इतिहास भविष्‍य के पथ का साधन बने; इसके लिए मेधोमन्‍थन आयोजित किया गया। हम क्‍या थे, क्‍या हैं और क्‍या होंगे; इसका विचार तटस्‍थ भाव से करते हुए मूल्‍यांकन करना ही मेधोमन्‍थन का उद्देश्‍य था। विश्‍वविद्यालय की उप‍लब्धि‍यों को लेकर उन्‍होंने कहा कि भाषा और साहित्‍य के अलावा दूसरे क्षेत्र में भी हमने सर्वश्रेष्‍ठ कार्य किया है। विश्‍वविद्यालय ने भारतीय समाज कार्य दिवस का प्रस्‍ताव किया और देश भर के 62 स्‍थानों पर इस प्रस्‍ताव के अंतर्गत नानाजी देशमुख के जन्‍मदिवस को भारतीय समाज कार्य दिवस के रूप मे मनाया। हमने गांधी, अंबेडकर, विनोबा, नानाजी देशमुख और बाबा आमटे जैसे विचारोंकों के विचारों के अनुरूप कार्य किया है। उन्‍होंने मीडिया के विद्यार्थियों द्वारा कार्यक्रम शुरू रहते ही द्रुत गति से रिपोर्टिंग कर अखबार निकाले जाने जैसे नवाचारी प्रयोगों का उल्‍लेख किया। कोविड काल में ऑनलाइन शिक्षा की चर्चा करते हुए उन्‍होंने कहा कि कोविड काल के दौरान जब पूरी दुनिया में शैक्षणिक संस्‍थान ठप पड़े थे उस दौरान हमारे यहां ऑनलाइन कक्षाएं सुचारु रूप से चलाई जा रही थी। हमने आपदा को भी अवसर के रूप में लेते हुए राष्‍ट्रीय एवं अंतरराष्‍ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किए हैं जो एक मिसाल है। इस प्रयोग से हमने सबको रास्‍ता दिखाने का काम किया है। विदेश मंत्रालय द्वारा डिप्‍लोमेट्स और प्रोफेशनल्‍स को हिंदी पढ़ाने का दायित्‍व विश्‍वविद्यालय को मिला है, इसे उन्‍होंने असामान्‍य उपलब्धि करार दिया। गांधी के विचारों को जानने और उन पर चलने का वातावरण निर्मित करने में दीपोत्‍सव के आयोजन को उन्‍होंने समाज को जोड़ने की अनूठी पहल बताया। उन्‍होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे विद्यार्थी एवं शोधार्थियों से नियमित अनौपचारिक संवाद करें और स्‍मार्ट क्‍लासरूम का अधिकाधिक उपयोग करें। विद्यार्थी ही हमारा वास्‍तविक एम्‍बेसेडर है। उन्‍होंने विश्‍वविद्यालय की 25 वर्ष की यात्रा में स्‍थापनाकाल से जुडे़ सभी के योगदान की चर्चा की। उन्‍होंने कहा कि अभी मंजिल बाकी है और लक्ष्‍य अधूरा है। हमें विश्‍वविद्यालय के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के सपने देखने चाहिए और बदलती परिस्थिति में चुनौतियों का सामना करते हुए नई भूमिका का निर्वहन करना चाहिए। कार्यक्रम की प्रास्ताविकी एवं भाषा विद्यापीठ का मेधोमन्‍थन प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने प्रस्‍तुत किया । कुलसचिव क़ादर नवाज़ ख़ान ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा प्रतिकुलपति प्रो. चंद्रकांत रागीट ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का प्रांरभ विश्‍वविद्यालय के कुलगीत से किया गया। इस अवसर पर विभागाध्‍यक्ष, अध्‍यापक, अधिकारी, कर्मचारी तथा विद्यार्थी बड़ी संख्‍या में उपस्थित थे।

विश्‍वविद्यालय के ध्‍वजारोहण से हुआ कार्यक्रम का प्रांरभ

विश्‍वविद्यालय के 26वें स्थापनोत्सव का प्रारंभ कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल द्वारा अभिनव गुप्‍त संकुल स्थित प्रथमा भवन के प्रांगण में विश्‍वविद्यालय का ध्‍वज फहराकर किया गया। इसके उपरांत गांधी हिल्‍स पर महात्‍मा गांधी, तुलसी भवन स्थित आचार्य तुलसी, बोधिसत्‍व बाबासाहब अंबेडकर समता भवन स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर, मदन मोहन मालवीय दूर शिक्षा भवन स्थित पंडित मदन मोहन मालवीय तथा कबीर हिल्स स्थित निर्गुण संत कवियों यथा कबीर, गुरुनानक, दादू दयाल, रैदास एवं संत तुकाराम की मूर्तियों पर कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल, प्रतिकुलपति द्वय एवं अधिष्‍ठाता तथा विभागाध्‍यक्षों द्वारा माल्‍यार्पण कर अभिवादन किया गया। स्‍थापना दिवस के अवसर पर विश्‍वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्रों प्रयागराज, कोलकाता एवं रिद्धपुर में भी विश्‍वविद्यालय का ध्‍वज फहराया गया।

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