नाबालिग को बहला फुसलाकर बलात्संग एवं अपराध का षड़यंत्र करने वाले आरोपी मॉ-बेटे को आजीवन कारावास
सागर. नाबालिग को बहला फुसलाकर बलात्संग एवं अपराध का षड़यंत्र करने वाले आरोपी मॉ-बेटे को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये धारा-366, 120बी भादवि, 376(2)(एन) भादवि सहपठित धारा- 3(2)(5) ,एस.सी./एस.टी एक्ट के तहत आजीवन सश्रम कारावास की सजा से दंडित किया है मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की । घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता/ बालिका के पिता ने पुलिस थाना बीना में रिपोर्ट दर्ज कराई कि अभियुक्त ’’प्र’’ बालिका से जान-पहचान बढ़ाकर बालिका को बहलाफुसलाकर भगा ले गया है उक्त शिकायत के आधार पर बालिका की गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज की गई विवेचना के दौरान बालिका को दस्तयाव कर उसके कथन लिये गये बालिका द्वारा उसे बहलाफुसलाकर शादी का झॉसा देकर भगाकर ले जाने तथा अभियुक्त द्वारा अपनी मॉ के घर ले जाकर 20 दिन तक उसे रखने तथा उसकी मॉ ’’अभियुक्त अ’’ की सहमति से उसके साथ बार-बार बलात्कार करने एवं मारपीट करने के कथनो के आधार पर अभियुक्तगणके विरूद्ध 344, 376, 120बी,34 भादवि एवं धारा- 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधि.2012 का इजाफा किया गया एवं संपूर्ण विवेचना उपरांत ।, विवेचना के दौरान पीड़ित के आयु संबंधी दस्तावेज एकत्रित किये गये पीड़िता का मेडीकल परीक्षण कराया गया, आरोपी का भी मेडीकल परीक्षण कराया गया अन्य साक्ष्य एकत्र करने के उपरांत द्वारा धारा- 363,366, 376,344, 120बी,34 भादवि एवं धारा- 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधि.2012 एवं धारा- 3(2)(5)(क) ,एस.सी./एस.टी एक्ट के अंतर्गत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। विचारण के दौरान पीड़िता द्वारा विरोधाभसी कथन किये गये। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, एवं अंतिम तर्क के दौरान न्यायदृष्टांत प्रस्तुत किये गये और अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम मिश्रा जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये अभियुक्त ’’प्र’’ एवं ’’अ’’को आजीवन सश्रम कारावास की सजा से दंडित किया है। प्रकरण में पीड़िता को क्षतिपूर्ति के रूप में चार लाख रूपये प्रतिकर दिलाये जाने का आदेश प्रदान किया गया।
टीप- प्रकरण की परिस्थितियों के कारण अभियुक्तगण के नाम का उल्लेख माननीय न्यायालय द्वारा निर्णय में न किया जाकर अभियुक्त ’’प्र’’ एवं अभियुक्त ’’अ’’ के द्वारा संबोधित किया गया है।