बलौदाबाजार आगजनी प्रकरण पर हो रही द्वेषपूर्ण कार्यवाही, एनएसयूआई ने राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा
बिलासपुर. भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह ने बताया कि गत दिवस अमर गुफा में सतनामी समाज के पूज्य जैतखाम को काटा जाना अत्यंत ही शर्मनाक घटना थी, जिसके चलते पूरे सतनामी समाज की भावनाओ को ठेस पहुंची जिसपर की गई पुलिस की कार्यवाही से भी समाज संतुष्ट नहीं हुआ उसके बावजूद मामले को दबाने का कुत्सित प्रयास प्रशासन द्वारा किया गया जोकि निंदनीय है। जिसके चलते पूरे सतनामी समाज की भावनाओ को ठेस पहुंचा। दिनांक 10 जून 2024 को सतनामी समाज द्वारा धरना प्रदर्शन एवं कलेक्टर कार्यालय घेराव किया गया जहां आगजनी जैसी भयावह घटना घटी जिससे आम जन सहित सरकारी संपत्तियों का भारी नुकसान देखने को मिला। उक्त मामले में जहां पुलिस प्रशासन को दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करनी थी उसके बजाय पुलिस निर्दोष सतनामी समाज के युवाओं और कांग्रेस से जुड़े पदाधिकारियों को गिरफ्तार करने में जुट गई। वहीं घटना के दूसरे दिन प्रदेश के तीन मंत्री प्रेसवार्ता लेकर कांग्रेस से जुड़े नेताओं पर आरोप लगाए गए जोकि सरकार और प्रशासन के क्रियाकलाप पर प्रश्न खड़े करता है।
जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह ने आगे बताते हुए कहा कि बीते दिनों हमारे छात्र संगठन एनएसयूआई के पदाधिकारी एवं युवा कांग्रेस के पदाधिकारी को भी इसी तरह राजनीतिक द्वेष से गिरफ्तार किया गया। जिसके बाद उनके परिजनों को पुलिस द्वारा धमकाए जाने दबावपूर्वक बयान दर्ज करवाए जाने की शिकायतें भी सामने आने लगी।
छत्तीसगढ़ के इतिहास में ऐसी शर्मनाक घटना नहीं घटी थी जब किसी चुने हुए जनप्रतिनिधि को टारगेट करते हुए उनके खिलाफ पुलिस प्रशासन द्वारा षड्यंत्र कर उन्हे फंसाया जाए जोकि भिलाई नगर के विधायक देवेन्द्र यादव की गिरफ्तारी के बाद पूरे प्रदेश ने देखा। जबकि पुलिस प्रशासन के पास ऐसे कोई भी ठोस सबूत नहीं जो विधायक देवेंद्र यादव को दोषी साबित करते हों। वहीं धारा 160 के तहत उन्हें बयान दर्ज कराने हेतु बलौदाबाजार थाना लाया गया और बलौदाबाजार आगजनी प्रकरण में आरोपी बनाकर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया जोकि पूर्णतः न्यायलयीन प्रक्रिया और पुलिस प्रोसिडिंग की धज्जियां उड़ाना है आज दिनांक तक देवेन्द्र यादव जी के परिजनों को एफआईआर की प्रति तक नहीं दी गई। जिससे यह साफ प्रतीत होता है कि प्रशासन अपनी नाकामी छिपाने इस पूरे प्रकरण को विपक्ष की ओर मोड़कर अपना पल्ला झाड़ना चाहती है जोकि निंदनीय है।
रंजीत सिंह ने जिला कलेक्टर के माध्यम से राज्यपाल को संदेश देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ एक शांत प्रदेश है जहां इस तरह के षड्यंत्र करना शोभनीय नहीं है और प्रदेश के प्रशासनिक व्यवस्था पर एक कालिख के समान है।साथ ही निवेदन किया है कि मामले को संज्ञान में लेते हुए उनकी मांगों को शीघ्र पूरा करें,जो कि इस प्रकार से हैं-
1. सतनामी समाज के पूज्य जैतखाम को क्षति पहुंचाने के मामले में समाज की मांग अनुरूप सीबीआई जांच करवाई जाए।
2. विधायक देवेंद्र यादव, एनएसयूआई पदाधिकारी यूथ कांग्रेस पदाधिकारी एवं मामले में सभी निर्दोष युवाओं के ऊपर लगे आपराधिक धाराएं हटाई जाएं।
3. आगजनी मामले की निष्पक्ष जांच हेतु न्यायालय के अधीन पृथक टास्क फोर्स गठित की जाए जिससे इस तरह के षड्यंत्र ना किए जा सके।
4. विधायक देवेंद्र यादव के प्रकरण में संलिप्त पुलिस विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की भी जांच हो जिससे एक चुने हुए जनप्रतिनिधि की गरिमा को जो ठेस पहुंचाई गई है उसका पर्दाफाश हो।
5. बलौदाबाजार आगजनी मामले के पूर्व ही भाजपा के पूर्व विधायक एवं जिलाध्यक्ष सनम जांगड़े ने उग्र आंदोलन की बात कही थी वहीं घटना स्थल में उनकी मौजूदगी थी, लेकिन उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है। आगजनी में अब तक पुलिस ने उन्हे पूछताछ हेतु नोटिस तक नहीं दिया जोकि मामले की जांच में संदेह पैदा करता है। यदि पुलिस के पास उनसे संबंधित साक्ष्य की कमी है तो हम उपलब्ध कराने सक्षम हैं।यदि शीघ्र कार्यवाही नहीं होती है तो उक्त विडियो फुटेज हम सोशल मीडिया और सार्वजनिक स्थलों में माइक के माध्यम से प्रसारित करने बाध्य होंगे।
जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह ने ज्ञापन में दर्शाया है कि एनएसयूआई के मांगों को जल्द पूरा किया जाए अन्यथा छात्र संगठन उग्र आंदोलन को बाध्य होगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
ज्ञापन सौंपने में मुख्य रूप से जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह,प्रदेश महासचिव विकाश सिंह,अर्पित केशरवानी,प्रदेश सचिव प्रखर सिंह,विवेक साहू,विधानसभा अध्यक्ष विक्की यादव,जिला महासचिव शुभम जायसवाल,आमीन श्रीवास्तव,शिवांश पाठक,अंश बाजपाई,जफ़र मेमन,शुभम सोनी,दिशू दुबे,राहुल यादव आदि NSUI के कार्यकर्ता छात्र मौजूद रहे।