Category: संपादकीय

क्या यही चुनाव आयोग का काम है?

(आलेख : राजेंद्र शर्मा) बेशक, यह कहना तो शायद बहुत जल्दबाजी होगी कि बिहार में विशेष सघन पुनरीक्षण या एसआइआर की घोषणा के बाद से विपक्षी पार्टियों ही नहीं, बल्कि सामाजिक व जनतांत्रिक अधिकार संगठनों द्वारा भी ”वोट की चोरी” के जरिए चुनाव में हेरा-फेरी की जो आशंकाएं जतायी जा रही थीं और जनता के

यही चुनाव आयोग का काम है?

  (आलेख : राजेंद्र शर्मा) बेशक, यह कहना तो शायद बहुत जल्दबाजी होगी कि बिहार में विशेष सघन पुनरीक्षण या एसआइआर की घोषणा के बाद से विपक्षी पार्टियों ही नहीं, बल्कि सामाजिक व जनतांत्रिक अधिकार संगठनों द्वारा भी ”वोट की चोरी” के जरिए चुनाव में हेरा-फेरी की जो आशंकाएं जतायी जा रही थीं और जनता

सलवा जुडूम की ज्यादतियां और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

  (आलेख : संजय पराते) इंडिया समूह की ओर से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के बाद जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी भाजपा के निशाने पर है। उन पर आरोप लगाया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा के लिए वे जिम्मेदार है, क्योंकि उन्होंने ही छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार द्वारा प्रायोजित सलवा जुडूम पर

जस्टिस रेड्डी : संवैधानिक नैतिकता और हाशिये की आवाज़ों के रक्षक

(आलेख : एम श्रीधर आचार्युलु) इंडिया गठबंधन द्वारा उपराष्ट्रपति पद के लिए जस्टिस सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाने का निर्णय न केवल सराहनीय है, बल्कि मौजूदा राजनीतिक उथल-पुथल के दौर में नैतिकता और लोकतांत्रिक मूल्यों के पक्ष में खड़ा होने का प्रतीक भी है। वे भले ही सुप्रीम कोर्ट की बेंच से सबसे चर्चित नामों

लालकिले से प्रधानमंत्री का वेश धर बोले ‘स्वयंसेवक’ का विभाजनकारी उद्घोष

    (आलेख : बादल सरोज) स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से दिए जाने वाले परंपरागत भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 2025 की 15 अगस्त का भाषण अब तक के हुए, खुद उनके भाषणों सहित, सभी भाषणों की तुलना में निराशाजनक ही नहीं, चिन्ताजनक भी था । आजादी के बाद से ही देश

कॉमरेड वी.एस. अच्युतानंदन : एक कम्युनिस्ट का महाकाव्यात्मक जीवन

  (आलेख : निधीश जे. विलट्ट, अनुवाद : संजय पराते) अपने हाई स्कूल के दिनों में मैंने प्रसिद्ध मलयालम लेखक थकाझी निधीश जे. विलट्टका क्लासिक उपन्यास “रंदीदंगाझी” पढ़ा था, जो मुझे अच्छी तरह से याद है। इस उपन्यास में मुख्यतः दलित खेतिहर मज़दूरों और गरीब बंटाईदारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति और केरल के धान के कटोरे

भाजपायी चुनाव आयोग

(आलेख : राजेंद्र शर्मा) सोशल मीडिया में पिछले कुछ हफ्तों से एक मजाक चल रहा था। चुनाव आयोग ने इसका जोरदार तरीके से खंडन किया है कि उसने भाजपा में विलय कर लिया है ; आयोग ने कहा है कि वह भाजपा सरकार का बाहर से ही समर्थन करता रहेगा! मुख्य चुनाव आयुक्त, ज्ञानेश कुमार

मोदी का लाल किले के प्राचीर से भ्रष्टाचार और वंशवाद के खिलाफ लड़ाई का आवाह्न राजनीतिक भोथरापन से ज्यादा कुछ नहीं

15 अगस्त 1947 को हम आज़ाद हो गए यह आजादी हमें लाखो कुर्बानियों के बाद हासिल हुई। यह कुर्बानी किसी एक धर्म एक जाति एक रंग ने नही अपितु हिंदुस्तान में रहने वाले सभी धर्म जाति और रंगो ने दी … पर इस आजादी 76 वर्ष बाद में भी सवाल यह है की हमारे शहीदों

भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रलाय ने देश के सभी उच्च न्यायालयों को  निशा देशमुख के पत्र संदर्भ ग्रहण करने की प्रार्थना की है 

छत्तीसगढ़ की समाज सेविका निशा देशमुख कार्यस्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न निवारण व्यवस्था तंत्र स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रही है । इस विशाल लोकहित की गतिविधि के तहत कामकाजी महिलाओं को लैंगिक उत्पीड़न मुक्त कामकाजी वातावरण दिलवाने के लिए निशा देशमुख ने केंद्रीय मंत्रालयों से संपर्क करके कामकाजी महिलाओं

सत्ता पक्ष और विपक्ष ने देश की अंदरूनी समस्याओं पर विदेशी जमीन पर बाते की पर माफ़ी एक ही क्यू मांगे

वशुधैव कुटुम्बकम, विश्वगुरु, विश्वबंधुतव का नारा सुन ही राहे है.. अगर इनका शाब्दिक अर्थ समझते तो यह बहस ही नहीं होती यैसे में इन सब नारो के बीच यह कहा जारहा है यह आदमी बाहर जाकर कह रहा फिर यह बाहर कैसे हुआ.. यैसे में यह कहना की कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा यह कहना

ताजा चुनाव नतीजे और विपक्ष के लिए सबक..!

(आलेख : राजेंद्र शर्मा) सन् 2022 के ऐन आखिर में हुए तीन बड़े चुनावों में से तीनों में सभी जानते हैं कि बिल्कुल स्पष्ट नतीजा निकला है। यह नतीजा है, गुजरात में भाजपा की, हिमाचल में कांग्रेस की और दिल्ली में, आम आदमी पार्टी की जीत का। यानी कुल मिलाकर इस चक्र के नतीजों को

केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की नियुक्ति में वंचित वर्गों के योग्य अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के नाम पर किया जा रहा है NFS

भारतीय संविधान जहां वंचित वर्गों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है|  भाजपा सरकार के शासन में खुलेआम संवैधानिक नियमों की अवहेलना हो रही है | सूचना अधिकार नियम आरटीआई रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि मोदी सरकार के नेतृत्व में पिछले 5 वर्षों में सरकार ने  सामाजिक दृष्टि

क्या हाउसिंग सोसायटी अविवाहित लोगों को घर किराए पर लेने से रोक सकता है?

कई मकान मालिकों का कुंवारे या अकेले रह रहे लोगों को घर किराये पर देने का अनुभव अच्छा होता है. साथ ही, कुंवारे लोगों को किराए पर लेना फ्लैट मालिक के लिए अधिक फायदेमंद होता है क्योंकि वे आपस में खर्चों को विभाजित करके अधिक भुगतान करने को तैयार होते हैं। लेकिन शहरों में हाउसिंग सोसाइटी अक्सर यह

सिलगेर : कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ आदिवासियों का प्रतिरोध आंदोलन

आलेख : संजय पराते/छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर में बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में उन पर हुए राजकीय दमन के खिलाफ चल रहे प्रतिरोध आंदोलन को एक साल, या ठीक-ठीक कहें तो 390 दिन, पूरे हो चुके हैं। बीजापुर-जगरगुंडा मार्ग पर पहले से स्थापित दर्जनों सैनिक छावनियों की श्रृंखला में पिछले साल

भगवतीचरण वोहरा : क्रांतिकारी जिसे भुला दिया गया-कल्पना पांडे

भगत सिंह के महत्वपूर्ण साथी भगवतीचरण वोहरा का जन्म 4 नवंबर, 1903 को लाहौर में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। वे एक गुजराती ब्राह्मण थे। उनके पिता पंडित शिवचरण वोहरा रेलवे में एक उच्च पदस्थ अधिकारी थे। उन्हें अंग्रेजों द्वारा ‘रायसाहब’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। चूंकि उस समय टाइपराइटर नहीं था, इसलिए भगवती चरण

चंपारण सत्याग्रह : किसानों के शांतिपूर्ण विद्रोह का प्रतीक

इस अप्रैल मे चंपारण के किसान आंदोलन को 105 वर्ष पूर्ण हुए। खेती के कोर्पोरेटाइजेशन या कंपनीकरण और शोषण की संगठित लूट के खिलाफ चले आंदोलन की कई मांगों की जड़ें चंपारण तक पहुंची मिलेंगी। इसके पहले विद्रोह हुए थे परंतु इस तरह का संगठित नियोजनपुर्ण प्रयास नहीं हुआ था। ये एक सदी पहले किसानों

बुलडोजर पुराण : वो बोले, तो सब बोलेंगे कि बोलते हैं!

(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा ) भई ये विपक्ष वाले पीएम जी को समझते क्या हैं? लीजिए, अब नयी शिकायत लेकर आ गए। कह रहे हैं कि पहले हिंदू नव वर्ष, फिर राम नवमी, फिर हनूमान जयंती, जगह-जगह तलवारों के साथ जुलूस निकल रहे हैं, दंगे हो रहे हैं। अब तो दंगों का सिलसिला राजधानी दिल्ली

तेल की मार देख!

व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा/ हम पूछते हैं कि ये मोदी जी के विरोधी और कहां तक गिरेंगे! बताइए, मोदी जी के विरोध में एकदम अंधे ही हुए जा रहे हैं। विरोध के अंधे को सिर्फ काला ही काला नजर आता है। रौशनी दिखाई ही नहीं देती है। अब मोदी जी ने पूरे तेरह दिन में,

मजदूर हड़ताल का संदेश : एक धक्का और दो

आलेख : राजेंद्र शर्मा/ देश भर में करोड़ों मजदूरों की दो दिन की हड़ताल और उसके साथ-साथ देश के बड़े हिस्से में किसानों तथा खेत मजदूरों के ग्रामीण बंद के प्रति मोदी सरकार के लगभग पूरी तरह से अनदेखा ही करने की मुद्रा अपनाने की वजह समझना जरा भी मुश्किल नहीं है। देश के शहरी

विपक्ष को और बांट सकते हैं नतीजे

आलेख : राजेंद्र शर्मा/ अप्रत्याशित भले नहीं हों, लेकिन कुछ हैरान करने वाले जरूर हैं ये नतीजे। विधानसभा चुनाव के मौजूदा चक्र में प्रभावशाली कामयाबी और उसमें भी खास तौर पर उत्तर प्रदेश में जोरदार कामयाबी के मौके पर भाजपा मुख्यालय में हुई समारोही सभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2024 के आम
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