April 25, 2024

केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की नियुक्ति में वंचित वर्गों के योग्य अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के नाम पर किया जा रहा है NFS

भारतीय संविधान जहां वंचित वर्गों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है|  भाजपा सरकार के शासन में खुलेआम संवैधानिक नियमों की अवहेलना हो रही है | सूचना अधिकार नियम आरटीआई रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि मोदी सरकार के नेतृत्व में पिछले 5 वर्षों में सरकार ने  सामाजिक दृष्टि से उत्पीड़ित वंचित वर्गों के अभ्यर्थियों को केंद्रीय विश्वविद्यालय की प्रोफेसर की नियुक्तियों में नॉट फाउंड सूटेबल कैंडिडेट NFS कहकर सामाजिक अन्याय करने का कई मामलों का खुलासा आरटीआई रिपोर्ट से हुआ|
भारतीय युवा कांग्रेस आरटीआई डिपार्टमेंट के राष्ट्रीय चेयरमैन डॉ अनिल कुमार मीणा ने बताया कि बहुत संघर्षों के बाद एससी एसटी ओबीसी एवं उत्पीड़ित वर्ग एन केन प्रकारेण उच्च शिक्षा के दरवाजे तक पहुंच पाता है | वह जगह जगह पर सामाजिक उत्पीड़न बर्दाश्त करता हुआ नेट, जेआरएफ, पीएचडी पीडीएफ जैसे उच्च शिक्षा के दरवाजे पर पहुंचता है वहां पर वह नॉट सूटेबल कैंडिडेट के मामले सामने नहीं आते|  लेकिन जब केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की नियुक्ति के  लिए साक्षात्कार देने जाता है वहां उसे नॉट सूटेबल कैंडिडेट NFS कहकर बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है| इंटरव्यू के माध्यम से एससी एसटी ओबीसी एवं उत्पीड़ित वंचित वर्गों के साथ मोदी सरकार के शासन में है अनेक शोषण के मामले रिपोर्ट से सामने आए हैं|
आरटीआई द्वारा मांगी गई सूचना के जवाब में शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा देश के 54 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में 2022 तक प्रोफेसर के कुल 1537, एसोसिएट प्रोफेसर के 2398, असिस्टेंट प्रोफेसर के 2614 यानी कुल 6,549 पद खाली थे। इन खाली पदों में सामान्य के 2252, एससी के 988, एसटी के 576, ओबीसी के 1761, ईडब्लूएस के 628 और पीडब्लूडी के 344 पद बताए जा रहे हैं। कुल स्वीकृत पदों की संख्या 18,922 है। इस प्रकार अध्यापकों के कुल स्वीकृत पदों का 34.6 प्रतिशत पद केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में खाली हैं। इस आरटीआई में एक सवाल यह भी पूछा गया है कि विगत पांच सालों में कितने नॉट फाउंड सूटेबल NFS पद किए गए हैं तो इसका कोई जवाब नहीं दिया गया है और बताया गया है कि इस सम्बंध में विश्वविद्यालयों से जानकारी लें। यह नॉट फाउंड सूटेबल NFS एक ऐसा हथियार पैदा कर दिया गया है, जिसकी कोई जवाबदेही नहीं है। यह NFS केवल वंचितों वर्गों के पदों पर क्यों हो रहा, इसे पारदर्शी कैसे मानी जाए? आरटीआई रिपोर्ट से पूरी तरह सामाजिक न्याय का उल्लंघन मामले का खुलासा हुआ है | जब लंबे संघर्ष के दौरान समाज के वंचित वर्गों को सामाजिक धरातल पर बराबर आने का अधिकार दिया गया| उसे रोकने के लिए भाजपा सरकार लगातार देश के संवैधानिक संस्थानों का निजीकरण करने का काम कर रही है|  जहां सरकारी संस्थानों में नौकरी बची है वहां शोषक वर्ग उन्हें आने से रोकने के लिए नॉट फाउंड सूटेबल NFS कहकर सामाजिक अन्याय की बेड़ियों में जकड़े रखना चाहते हैं|

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post कतियापारा मर्डर का एक आरोपी गिरफ्तार, फरार आरोपियों की पुलिस कर रही तलाश
Next post कंधे और अपर बॉडी को मजबूत बनाएंगे ये 5 शोल्डर एक्सरसाइज
error: Content is protected !!