May 2, 2024

भारत में लोकतंत्र को मज़बूत बनाने में विपक्ष की रचनात्मक भूमिका कार्यक्रम का हुआ आयोजन

श्री गुरु तेग़ बहादुर खालसा कॉलेज (SGTBKC) राजनीति विज्ञान विभाग और तुलनात्मक संघवादी समूह (CFRG), राजनीति विज्ञान विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से ‘डीपनिंग डेमोक्रेसी : द रोल ऑफ़ कंस्ट्रक्टिव अपोजिशन इन इंडिया’ विषय पर सार्वजनिक व्याख्यान का आयोजन दिल्ली विश्वविद्यालय के सम्मलेन कक्ष  में किया गया।माननीय राज्यसभा सांसद  डॉ. अमर पटनायक इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।   कार्यक्रम की शुरुआत  में प्रो. रेखा सक्सेना (विभाग प्रभारी, CFRG) और डॉ. नचिकेता सिंह (विभाग प्रभारी, राजनीति विज्ञान विभाग, SGTB खालसा कॉलेज) ने  सभी अतिथियों का स्वागत किया  और दीप प्रज्ज्वलित करने के लिए मुख्य अतिथियों को आमंत्रित किया। डॉ. अमर पटनायक, प्रो. बलराम पाणी (अधिष्टाता, महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो. जसविंदर सिंह (प्राचार्य, SGTB खालसा कॉलेज), प्रो. एम. पी. सिंह (पूर्व विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान, दिल्ली विश्वविद्यालय) के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए डॉ. नचिकेता सिंह ने इस विषय की भूमिका से परिचित कराते हुए सभी लोगों  को विषय के साथ-साथ सभी अतिथियों  का परिचय देकर स्वागत किया।  स्वागत भाषण के रूप में प्रो. जसविंदर सिंह ने कहा कि देश के लोकतान्त्रिक लोकाचार के लिए विपक्ष के महत्व की महती भूमिका है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में सांसद के शामिल होने से यह पता चलता है कि हमारे विश्वविद्यालय परिवार का इतिहास कितना गौरवशाली है क्योंकि अमर दिल्ली विश्विविद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं। आज इस विषय पर उन्हें सुनना हम सभी के लिए गर्व की बात है।

कार्यक्रम में  मुख्य वक्ता के तौर पर डॉ. अमर पटनायक ने  रचनात्मक विपक्ष की भूमिका पर बोलते हुए पांच प्रमुख मुद्दों पर प्रमुखता से जोर दिया। जैसे बहुदलीय लोकतंत्र में विपक्षी दलों की भूमिका; संसद और संसदीय समितियों के कामकाज में अपेक्षित बहुदलीय सहयोग; संसदीय लोकतंत्र में रचनात्मक आलोचना को जो भूमिका निभानी चाहिए- उसे देश के कल्याण के लिए असहमति की कमी से नहीं बल्कि सहमति से जोड़ना; राज्य और क्षेत्रीय दलों से केंद्र सरकार में आने वाले विपक्ष की भूमिका और केंद्र-राज्य संबंधों पर उनका प्रभाव; और अंत में उन्होंने इस तथ्य पर भी जोर दिया कि लोकतांत्रिक भावना को बनाए रखने के लिए विपक्ष की रचनात्मक भूमिका आवश्यक है, और कहा कि विपक्ष के कमजोर होने से ही लोकतंत्र कमजोर होता है।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे  पूर्व विभागाध्यक्ष एम.पी सिंह ने एक दल के बहुमत के युग में विपक्ष की प्रासंगिकता पर  अपनी बात रखी और विपक्ष के समक्ष आ रही चुनौतियों का सामना  करने पर प्रकाश डाला । जबकि डीन ऑफ कॉलेजेज प्रो. बलराम पाणि ने सरकार की जवाबदेही बनाए रखने में विपक्ष की भूमिका के महत्व को रेखांकित किया।
इसके बाद सभी से प्रश्न आमंत्रित किये गए और  कार्यक्रम के अंत में प्रो. रेखा सक्सेना ने सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त  किया।

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