दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत एम बी पॉवर MBPJ साइडिंग, जैतहरी से फ्लाई-एश की पहली लोडिंग की गई
बिलासपुर. पावर प्लांटों में कोयला जलाने के बाद फ्लाई ऐश यानी राख निकलता है । पावर प्लांटों से काफी मात्रा में निकलने वाले फ्लाई-एश को अधिकतर खुले स्थान में ही डंप किया जाता है एवं हवा में इसके उडऩे से पर्यावरण को नुकसान भी पहुंचता है । फ्लाई-एश के रि-साइकल एवं पुनः उपयोग के लिए आजकल इससे ईंट बनाई जाने लगी है तथा कई कारखानों में भी इसकी खपत की जा रही है । इसीलिए आजकल इसकी मांग में काफी तेजी आई है । अभी तक छोटे स्तर पर इसका परिवहन सड़क मार्ग से होता था । देश के कोने-कोने तक मांग के अनुरूप इसकी आपूर्ति का जिम्मा आजकल भारतीय रेलवे ने उठाया है ।
इसी कड़ी में वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 के अप्रैल से अब तक पूरे भारतीय रेलवे में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के द्वारा सर्वाधिक फ्लाई-एश की ढुलाई का कीर्तिमान स्थापित किया गया है ।फ्लाई-एश की ढुलाई द्वारा जहां रेलवे पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका निभा रहा है वहीं, रेलवे को दोहरे फायदे के रूप में पावर प्लांट तक कोयला पहुंचाने जाने वाली गुड्स ट्रेनों को दूसरी ओर से भी लोडिंग का फायदा मिल रहा है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा फ्लाई-एश की लदान को बढ़ावा देने हेतु 10 अतिरिक्त लोडिंग टर्मिनल खोले गए हैं।
इसी कड़ी में आज बिलासपुर मंडल के जैतहरी स्थित MBPJ साइडिंग में अतिरिक्त लाइन बिछाकर फ्लाई एश की लोडिंग के लिए अतिरिक्त टर्मिनल का प्रावधान कर फ्लाई एश की पहली लोडिंग की गई। इस पहली रैक को ACC लिमिटेड के कायमोर JQSG साइडिंग के लिए रवाना की गई जिससे रेलवे को 14 लाख रुपये की अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हुआ।