सकारात्मकता एवं अच्छे स्वास्थ्य के लिए सोने का समय तय करें, गहरी निद्रा लें : योग गुरु महेश अग्रवाल
भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि अधिकांश लोगों के लिए सुबह समय पर उठना मुश्किल होता है। पर समय पर सोना अपेक्षाकृत रूप से आसान है। जब एक बार रात में सोने का वक्त निश्चित हो गया, तो सुबह का शेड्यूल अपने आप सही हो जाएगा।
योग गुरु अग्रवाल ने निद्रा के लिए सही अवधि, सही स्थिति , सोने की मुद्रा का व्यक्तित्व से सबंध एवं निद्रा का प्रभाव हमारे मुख्य नाड़ी मंडल में कैसा होता है उसके बारे में बताया कि निद्रा का सामान्यतया अधिकतम समय 6 से 8 घंटे होना चाहिए। ध्यान या प्राणायाम के अभ्यासी अथवा सत्संग सेवन करने वाले 6 घंटे की निद्रा ही पर्याप्त है, क्योंकि उनके तनावों का समयोजन इन चीजों से होता रहता है। जो लोग किसी तरह का आध्यात्मिक अनुशासन नहीं अपनाते और जिनका मन उनके व्यवसाय, जायदाद, फायदे-नुकसान वगैरह के अति-भार से बोझिल रहता है, ऐसे लोगों के लिए कुछ अधिक समय तक सोना जरूरी है। तनाव तीन प्रकार के हैं-स्नायविक, मानसिक व भावनात्मक। इन तनावों को शिथिल करने में समय लगता है, क्योंकि गहरी निद्रावस्था में भी शरीर के अन्दर विषाक्त पदार्थों का उत्पादन होता रहता है। जो तनाव से मुक्ति पाने की युक्ति जानते हैं अथवा जो उनसे अप्रभावित हैं, उनके लिए तो चार या पाँच घंटे की नींद ही काफी है। निद्रा की आवश्यकता का निर्णय व्यक्तिगत स्तर पर करना होगा। इसके लिए एकदम निश्चित नियम नहीं हो सकता है। सामान्य रूप से तो लोग रात्रि में सोते हैं, मगर व्यक्तिगत आदतों या कार्यपद्धति के अनुसार दिन में सोकर रात में भी काम कर सकते है । कुछ वैज्ञानिक, जिज्ञासु, संगीतज्ञ, साहित्यकार आदि साधक लोग तो दिन में सोते हैं और रात्रि में काम करते हैं।
सोने के लिए सबसे अच्छी स्थिति क्या है? सोने के वक्त चुपचाप बैठ जाओ। आँखें मूँद लो और श्वास पर अथवा अनाहत चक्र (हृदय केन्द्र) पर कुछ मिनट तक चित्त को एकाग्र करो। चाहो तो माला लेकर अपने इष्ट मंत्र का मानसिक जप भी कर सकते हो। जब तन्द्रावस्था का अनुभव होवे तो माला रखकर बायीं करवट लेट जाओ। जब लगे कि नींद आने वाली है, तब पलटकर दाहिनी करवट लेटो। सही सोने का सर्वश्रेष्ठ और सर्वोत्तम वैज्ञानिक तरीका यही है। जब हम सो जाते है , तब डेल्टा तरंगों की प्रबलता रहती है. और ध्यान में अल्फा तरंगें प्रधान होती हैं। अल्फा तरंगों को डेल्टा तरंगों से पूर्व आना चाहिए।
बालक निद्रासन” नेचुरल स्लीप पोश्चर “गाढ़ी (गहरी) निद्रा” रोग निवारण के लिये अचूक ब्रह्मास्त्र,जल्दी सोने का नियम रखना क्योंकि रात्रि 12:00 से पहले एक घंटा दो घंटे के बराबर होता है एवं साऊंड स्लीप होती है तथा हमारे शरीर की बैटरी (शक्ति) चार्ज हो जाती है। 12:00 बजे के बाद एक घंटा एक घंटे के बराबर होता है व सपनों वाली नींद होती है। सोने के लिए चिंतन मनन नहीं करना दिमाग को थकाना है। पुस्तक पढ़ने से, सुमिरन करने से अथवा कोई भी काम करने से दिमाग थक जाता है और अच्छी नींद आती है। कच्चा प्याज, लहसुन, गरम पैर नहान नींद लाने में मदद करता है, पेट के बल सोना, पीठ के बल नहीं, क्योंकि पेट के बल सोने से गहरी निद्रा का आनंद मिलता है। सभी जानवर पेट के बल सोते हैं।सिर पूर्व या दक्षिण में होने से गहरी नींद आती है व शरीर स्वस्थ होता है।सोने से पहले प्रार्थना का नियम रखना चाहिये |
निद्रा के दौरान मुख्य नाड़ी मंडल में किस प्रकार का प्राणिक प्रतिभास रहता है? जब हम सो जाते है तो प्राण नीचे प्रवाहित होता है; कभी विशुद्धि चक्र में या कभी अनाहत चक्र में और तब क्रमशः स्वप्न या पूर्ण अचेतन का अनुभव होता है। अध्यात्म में उच्च विकसित साधक की गहरी निद्रावस्था में उसके प्राण विशुद्धि या अनाहत चक्र में नहीं, बल्कि सहस्रार चक्र में रहते हैं तथा स्वप्न व अन्तर्दर्शन की स्थिति में आज्ञा चक्र लगभग शून्य-सा या सम्बन्ध रहित हो जाता है।
हमारे सोने का तरीका हमारा स्वभाव और व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ बताता है। हम किस तरह सोते हैं, यह पूरी तरह से अवचेतन मन पर निर्भर करता है. हम इसे सोच समझकर तय नहीं करते हैं.. गहरी नींद में जाने पर हम नैचुरली किसी एक पोजिशन में चले जाते हैं। सोने की मुद्रा और व्यक्तित्व के गहरे संबंध को सोचकर आप हैरान हो रहे होंगे. जैसे कि आपका व्यक्तित्व एक दिन में नहीं बदल जाता है, वैसे ही आपका सोने का तरीका भी । हम अपने सोने का समय तय कर लें,आज कोशिश करें कि एक वक्त तय करके सो जाएं। सोने से एक घंटा पहले मोबाइल आदि इस्तेमाल करना बंद कर दें। इसे नियम बना लें।