May 6, 2024

गुरू घासीदास जयंती विशेषांक : गुरु घासीदास बाबा के सात सिद्धांत और प्रचलित 42 अमृतवाणी (उपदेश)

गुरु घासीदास के सात सिद्धांत
1- सतनाम पर अडिग विश्वास रखो।
2 – मूर्ति पूजा मत करो।
3 – जाति-पाती के प्रपंच में मत पडो।
4 – जीव हत्या मत करो।
5 – नशा का सेवन मत करो।
6 – पराई स्त्री को माता-बहन मानो।
7 – चोरी और जुआ से दूर रहव।
गुरु घासीदास बाबा के प्रचलित 42 अमृतवाणी (उपदेश) 
1 – सत ह मनखे के गहना आय। (सत्य ही मानव का आभूषण है।)
2 – जन्म से मनखे मनखे सब एक बरोबर होथे फेर कर्म के आधार म मनखे मनखे गुड अऊ गोबर होथे। (मनखे-मनखे एक बरोबर)
3-सतनाम ल जानव,समझव, परखव तब मानव।
4 – बइला-भईसा ल दोपहर म हल मत चलाव।
5 – सतनाम ल अपन आचरण में उतारव।
6 – अंधविश्वास, रूढ़िवाद, परंपरावाद ल झन मानव।
7 – दाई-ददा अउ गुरू के सनमान करिहव।
8 – सतनाम ह घट घट में समाय हे, सतनाम ले ही सृष्टि के रचना होए हावय।
9 – मेहनत के रोटी ह सुख के आधार आय।
10 – पानी पीहु जान के अउ गुरू बनावव छान के।
11 – मोर ह सब्बो संत के आय अउ तोर ह मोर बर कीरा ये। (चोरी अउ लालच झन करव।)
12- पहुना ल साहेब समान जानिहव।
13 – इही जनम ल सुधारना साँचा ये। (पुनर्जन्म के गोठ झूठ आय।)
14 – गियान के पंथ किरपान के धार ये।
15 – दीन दुःखी के सेवा सबले बड़े धरम आय।
16 – मरे के बाद पीतर मनई मोला बईहाय कस लागथे।
17 – जतेक हव सब मोर संत आव।
18 – तरिया बनावव, कुआँ बनावव, दरिया बनावव फेर मंदिर बनई मोर मन नई आवय।
19 – रिस अउ भरम ल त्यागथे तेकरे बनथे।
20 – दाई ह दाई आय, मुरही गाय के दुध झन निकालहव।
21 – बारा महीना के खर्चा सकेल लुहु तबेच भले भक्ति करहु नई ते ऐखर कोनो जरूरत नई हे।
22 – ये धरती तोर ये येकर सिंगार करव।
23 – झगरा के जर नइ होवय ओखी के खोखी होथे।
24 – नियाव ह सबो बर बरोबर होथे।
25 – मोर संत मन मोला काकरो ल बड़े कइही त मोला सूजगा मे हुदेसे कस लागही।
26 – भीख मांगना मरन समान ये न भीख मांगव न दव, जांगर टोर के कमाए ल सिखव।
27 – सतनाम ह जीवन के आधार आय।
28 – खेती बर पानी अव संत के बानी ल जतन के राखिहव।
29 – पशुबलि अंधविश्वास ये एला कभू झन करहु।
30 – जान के मरइ ह तो मारब आएच आय फेर कोनो ल सपना म मरई ह घलो मारब आय।
31 – अवैया ल रोकन नहीं अऊ जवैया ल टोकन झन।
32 – चुगली अऊ निंदा ह घर ल बिगाडथे।
33 – धन ल उड़ावव झन, बने काम में लगावव।
34 – जीव ल मार के झन खाहु।
35 – गाय भैंस ल नागर म झन जोतहु।
36 – मन के स्वागत ह असली स्वागत आय।
37 – जइसे खाहु अन्न वैसे बनही मन, जइसे पीहू पानी वइसे बोलहु बानी।
38 – एक धुबा मारिच तुहु तोर बराबर आय।
39 – काकरो बर काँटा झन बोहु।
40 – बैरी संग घलो पिरीत रखहु।
41 – अपन आप ल हीनहा अउ कमजोर झन मानहु, तहु मन काकरो ले कमती नई हावव।
42 – मंदिरवा म का करे जईबो अपन घट के ही देव ल मनईबो।
( हुलेश्वर जोशी, लेखक, दार्शनिक एवम वरिष्ठ समाजसेवक द्वारा जनहित में प्रचारित)
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