May 7, 2024

मेरे राजनीति जीवन में मुझे सिवरेज परियोजना के कारण आलोचना का शिकार होना पड़ा- अमर

बिलासपुर. सिवरेज परियोजना का मात्र दस प्रतिशत काम बचा हुआ है जिसे कांग्रेस जानबुझकर पूरा नहीं करना चाहती। मेरे राजनीतिक जीवन में मुझे सिवरेज परियोजना के कारण आलोचना का शिकार होना पड़ा। शहर के तालाबों को पाटा जा रहा है अरपा परियोजना के नाम पर नदी किनारे रहने वाले लोगों को तोड़ा गया। अरपा नदी में बिना डाइंग डिजाइन के बैराज निर्माण कराया जा रहा है। अरपा बेसिन के सदस्य खुद इस परियोजना को लेकर संतुष्ट नहीं है। शहर के जमीनों की जो लूटमारी की गई है वो आम जनता सामने हैं। अग्रसेन चौक स्थित एक प्रतिष्ठित हॉटल में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस सरकार अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में कुछ नहीं कर पाई।
2019 में कांग्रेस की सरकार बनी। लोगों का भरोसा लूटकर झूठे वादों से सरकार से 5 साल में ही किसान हो या युवा कर्मचारी -अधिकारी, श्रमिक- व्यापारी बुजुर्ग -महिला -पुरुष, संविदा कर्मी, अनियमित कर्मी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, रसोईया, पंचायत सचिव,रोजगार सहायक, स्वास्थ्य कर्मी, मितानिन हो, पैरामेडिकल डॉक्टर, बेरोजगार यह तक कि सफाई कर्मचारी आदि कोई ऐसा वर्ग नहीं है जो त्रस्त ना हो। विकास के नाम पर पूर्व में जारी छोटी-बड़ी सभी परियोजनाएं वित्तीय संसाधनों एवं दोषपूर्ण निष्पादन से ठप्प पड़ी हुई है। राजधानी रायपुर हो या न्यायधानी बिलासपुर या फिर प्रदेश का कोई इलाका ,अपराध, माफिया और नशाखोरो की जकडऩ में छत्तीसगढ़ का हाल बेहाल हो गया है।
प्रदेश की जनता जानना चाहती है क्या इसलिए छत्तीसगढ़ बना था कि गोलमाल की आजादी होगी जो रोकेगा उसके खिलाफ धरना करेंगे, जिस संविधान की आप ने शपथ ली और सीएम बने उसी संविधान के संरक्षक राज्यपाल के खिलाफ जनहितों के बजाय केवल राजनीतिक मान मर्यादा और संसदीय परंपराओं को ताक में रख देंगे।
?कांग्रेस के नेता विदेश में जाते हैं और भारत विरोधी एजेंडा सीख कर आते है,आप उनसे सीखते हैं तो देश की संघीय व्यवस्था और संविधानिक पदों पर बैठे प्रधानमंत्री को निशाना बनाते है।आपकी फोटोशूट की चाह की हद कोरोना एप के टीके में दिख गई, आपकी फोटो छपवाने की जिद में कई दिनों तक सॉफ्टवेयर नहीं चला इस बीच कितनी जानें गई होंगी उसका जिम्मेदार कौन है, जरा पता कर लीजिए। प्रदेश में कांग्रेस की वादा निभाने की बारी आई तो आरक्षण और जनगणना को बहाना बनाकर जनता के सामने अपनी नाकामी को छुपाने का असफल कोशिश कर रहे है। वन नेशन वन राशन कार्ड लागू है 74 लाख परिवारों के राशन कार्डों का ब्यौरा खाद विभाग की वेबसाइट में है, फिर किस बात का आंकड़ा चाहिए और आपके पास आंकडेे ही नही थे… बेरोजगारी की दर राज्य में जीरो से नीचे होने झूठ क्यों फैलाया गया ? उसके बाद चपरासी की भर्ती में 3 लाख कैसे बैठे ,उसका भी परिणाम नही आया? अन्य भर्ती की सारी परीक्षाएं अटकी पड़ी है उनका भी परिणाम नहीं आ रहा है? लाखों कर्मचारियों के भत्तोंपर आप निर्णय नहीं ले पा रहे हैं, पदोन्नति का परिणाम नहीं आ रहा है? कर्मचारियों को नियमित करने के लिए आपके पास आंकड़े नहीं हैं ऐसे में आपका आर्थिक मॉडल देश में सबसे ज्यादा सशक्त कैसे हुआ है। गोबर धन योजना का पंचायत सचिवों की हड़ताल से गुड़ गोबर हो गया है सरकार को सुध नहीं है-
बिलासपुर का हमारा शांत शहर माफिया राज,नशे और बढ़ते अपराध की गिरफ्त में आ चुका है। शहरवासी बढ़ती चाकूबाजी गुंडागर्दी लूट खून खराबे से निजात चाहते है, लेकिन पुलिस ही निजात अभियान की आड़ में धंधा चलाएं तो कैसे शांति आएगी?नक्कारे जनप्रतिनिधियों को अरबों रुपए की अधूरी विकास परियोजनाएं उन्हें घर के आईने में दिखाई नही पडती। इसीलिए जन जागरण के उद्देश्य से सोई हुई सरकार को जगाने अपने किए हुए कामों की जांच परख करने और उन्हें पूरा करने का संकल्प लेने के लिए उन्हें स्थलों पर जाकर मोर्चा लगाकर क्षेत्र के वासियों के साथ यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि बिलासपुर का कायाकल्प करने वाली योजनाओं को रोकने वाला आखिर कौन है? विकास को तरसते बिलासपुर के अधूरे विकास की अधूरी कहानी को कौन पूरा करेगा…..?
हमारे दिसम्बर के अभियान के बाद तीन महीनों में प्रशासन के द्वारा नागरिकों की समस्या के लिए कोई पहल नहीं की गई तो पुन: यह 20 मार्च अभियान शुरू किया है….15 अप्रैल तक युवा मोर्चा महिला मोर्चा मंडल के विभिन्न साथियों के साथ खडे हो जानने की कोशिश की, तो मालूम हुआ कि सरकार का एजेंडा ही विकास विरोध का है। 20 मार्च साइंस कॉलेज के 25 एकड के परिसर में दिल्ली के प्रगति विहार की तरह वाले परिसर की बदहाली का हाल देखने पहुंचे, करोडो की लागत के बाद भी कांग्रेस की सरकार के समय 10 से 15 परसेंट बचा हुआ कार्य पूरा नहीं हो सका और अब यह मैदान नशेडियो, जुआरियों और असामाजिक तत्वों का अड्डा बनते जा रहा है।दिल्ली के प्रगति मैदान तर्ज पर साइंस कॉलेज मैदान में मल सुविधाओं वाला केंद्र विकसित करने का कार्य 2016 से 2018 में 25 करोड़ की लागत से ज्यादा राशि के बाद भी अधिकतम दो साल में पूरा होने वाला प्रोजेक्ट आज भी अधूरा पड़ा है।

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