May 21, 2024

भगवान के नाम का स्मरण मात्र से ही मिल जाते हैं प्रभु राम

राम नाम की महिमा अनंत है. रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने इसका बहुत ही सुंदर वर्णन किया है. राम नाम से बड़ा कुछ भी नहीं. यह सबसे ऊपर है, सब देवों से बड़ा. यहां तक कि जिन देवी देवताओं के अंदर किसी को वरदान देने की क्षमता है, यह राम नाम उन देवों को भी वरदान देता है. यहां तक की राम स्वयं अपने नाम का ही अनुसरण करते हैं. नाम के पीछे-पीछे ठीक उसी तरह चलते हैं जैसे स्वामी के पीछे सेवक. सुनने समझने में नाम और नामी एक ही प्रतीत होतें हैं, पर वास्तव में हैं दोनों अलग और उनमें प्रीति भी स्वामी और सेवक जैसी है.

काशी में मरने वालों को राम नाम के सहारे शिवजी देते हैं मुक्ति 

कहते हैं संसार के जितने भी जीव हैं, उनमें यदि कोई काशी में प्राण छोड़ता है तो उसे मुक्ति मिल जाती है. वह संसार में आवागमन के चक्कर से पूरी तरह छूट जाता है. इसके पीछे कारण यह है कि उस जीव को स्वयं भोले नाथ राम नाम का उपदेश करते हैं, जिससे वह भवसागर से तर जाता है.

रूप न देखो, केवल करो नाम का स्मरण, चले आएंगे राम 

यदि कोई भक्त भगवान के रूप का स्मरण न करके हृदय में केवल उनके नाम का स्मरण करता है तो नाम के पीछे-पीछे स्वयं प्रभु उसके हृदय में आ विराजते हैं. गोस्वामी तुलसीदास जी को तो नाम के दोनों अक्षर राम लखन के समान प्यारे हैं, जो कहने सुनने और स्मरण करने में बहुत ही अच्छे हैं. भगवान का नाम निर्गुण ब्रह्म और सगुण ब्रह्म राम से भी बड़ा है. यह भेद जानने के बाद शिवजी ने सौ करोड़ राम चरित्रों में इस राम नाम को ही सार रूप में ग्रहण किया है. मनुष्य यदि अपने भीतर और बाहर उजियारा चाहे तो इस नाम रूपी दीप को जीभ रूपी देहरी पर रखना चाहिए.

नाम जपने से ही हुई थी प्रहलाद की हिरण्यकश्यप से रक्षा

संकटों से घिरें हों तो राम नाम का जाप करना चाहिए. भक्त प्रहलाद को जब लगा कि पिता के हाथों अब प्राण जाने ही वाले हैं तो उन्होंने राम नाम का जाप किया और भगवान ने नरसिंह रूप में प्रकट होकर हिरण्यकशिपु को मारकर उनकी रक्षा की। नाम के ही प्रभाव से वे भक्तों के शिरोमणि हुए।

नाम ने दिलाया ध्रुव को अनुपम अचल ध्रुव लोक

नाम जपते हुए ध्रुव को अचल और अनुपम ध्रुव लोक की प्राप्ति हुई. यह नाम के स्मरण का ही प्रभाव है कि पवनसुत बजरंगबली ने राम को ही अपने वश में कर रखा है. नीच अजामिल, गज और गणिका को भी नाम जपने के प्रभाव से ही मुक्ति मिली. नाम की बड़ाई कहां तक की जाए. नाम के गुणों का पूरा बखान तो स्वयं राम जी भी नहीं कर सकते.

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