May 2, 2024

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु जन आंदोलन की जरूरत : प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल

वर्धा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए जन आंदोलन की आवश्‍यकता है। राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति उच्‍च शिक्षा के क्षेत्र में नई दृष्टि का संचार करेगी। यह विचार महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने व्‍यक्‍त किये। प्रो. शुक्‍ल विश्‍वविद्यालय के दूर शिक्षा निदेशालय की ओर से ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में छात्रों की भूमिका’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय (29 एवं 30 नवंबर ) कार्यशाला के उद्घाटन कार्यक्रम की अध्‍यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला का उद्घाटन सोमवार को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भवन के कस्तूरबा सभागार में किया गया। इस अवसर पर मुंबई के सोमय्या अभियांत्रिकी महाविद्यालय के एसोशिएट प्रो. डॉ. मिलिंद मराठे, कस्‍तुरी देवी मेमोरियल ट्रस्‍ट के विश्‍वस्‍त श्री श्रीनिवास एवं प्रतिकुलपति प्रो. चंद्रकांत रागीट मंचासीन थे। कुलपति प्रो. शुक्‍ल ने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्‍सव के वर्ष में राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति का आना एक आदर्श शुरूआत है। इस नीति को लागू करने के लिए छात्रों को मजबुती से सामने आना पडेगा। उन्‍होंने कहा कि हर विश्‍वविद्यालय की अपनी विशिष्‍टताएं  हैं, उसका लाभ पारस्‍परिक सहमति से विद्यार्थियों को मिलना चाहिये। उन्‍होंने अपेक्षा व्‍यक्‍त की कि शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में मानसिकता  में बदलाव करते हुए शैक्षणिक परिवर्तन का आंदोलन खड़ा होना चाहिये।

प्रो. मिलिंद मराठे ने कहा कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति में गांधीजी की ‘नई तालीम’ के बिंदुओं को शा‍मिल किया गया है जिसमें समग्र विकास, मातृभाषा में शिक्षा, सामाजिक जागरूकता, चरित्र निर्माण आदि महत्‍वपूर्ण बिंदु है। यह शिक्षा नीति छात्र केंद्रित और भविष्‍योन्‍मुखी है। इस नीति में छात्रों में सृजनात्‍मकता और भावनात्‍मकता को प्रोत्‍साहन देने की दिशा में गंभीरता से ध्‍यान दिया है ।  मुख्‍य वक्‍ता श्री श्रीनिवास ने इस नीति को भारत केंद्रित और समतामूलक करार देते हुए कहा कि इस नीति में नेतृत्‍व के गुढ़ अर्थ शामिल है। उन्‍होंने छात्रों से अपील की कि  राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति एक साधन है उसे साध्‍य में परिवर्तित करने के लिए आगे आना चाहिये। उन्‍होंने कहा कि यह नीति भारत की ज्ञान-राशि है तथा मानसिकता बदलने का दस्‍तावेज़ भी है।

स्वागत एवं प्रास्ताविक भाषण प्रतिकुलपति प्रो. चंद्रकांत रागीट ने दिया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षा विद्यापीठ की सहायक प्रोफेसर डॉ. सीमा बर्गट ने किया तथा कार्यक्रम के सह संयोजक, सहायक प्रोफेसर अनिकेत आंबेकर ने आभार ज्ञापित किया। डॉ. जगदीश नारायण तिवारी ने मंगलाचरण तथा अव्दैता बापट ने वंदे मातरम् राष्ट्रीय गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल, प्रो. अवधेश कुमार, प्रो. के. के. सिंह, प्रो. चतुर्भुज नाथ तिवारी, प्रो. गोपाल कृष्ण ठाकुर,  डॉ. एम. एम. मंगोड़ी, डॉ. के. बालराजु सहित अध्‍यापक, अधिकारी तथा महाराष्ट्र और गोवा राज्‍य के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post हिंदी विश्वाविद्यालय में बिरसा मुंडा के जीवन संघर्ष पर फिल्मों का प्रदर्शन
Next post संसद में कृषि कानून रद्द होना जनता की जीत : कांग्रेस
error: Content is protected !!