May 3, 2024

Saudi Arabia और UAE में तेल पर बढ़ा तनाव, Crude Oil की कीमतों में लगी आग भड़कने की आशंका से टेंशन में India


रियाद. पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) के बढ़ते दामों से निजात मिलने की कोई संभावना नहीं है. उल्टा इजाफे की रफ्तार और तेज हो सकती है. इसकी वजह है तेल निर्यातक देशों के समूह ओपेक प्लस (OPEC+) में प्रोडक्शन बढ़ाने को लेकर सहमति न बन पाना और सऊदी अरब-यूएई (Saudi Arabia-UAE) विवाद गहराना. दोनों देशों के रिश्ते लगातार तल्ख होते जा रहे हैं, जिसका खामियाजा भारत सहित उन सभी देशों को भुगतना पड़ेगा जो बड़े पैमाने पर तेल आयात करते हैं. जानकारों का मानना है कि इस जंग से कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिल सकता है.

Output Deal को लेकर तनातनी 

अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, ओपेक+ की अंदरूनी कलह ने तेल बाजार में काफी मचा दी है. न्यूयॉर्क में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया है, जो पिछले 6 साल के उच्चतम स्तर पर है. सऊदी अरब और यूएई में आउटपुट डील को लेकर ठन गई है. दरअसल, सऊदी अरब ने तेल उत्पादन न बढ़ाने की मौजूदा डील को साल 2022 तक विस्तार देने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन संयुक्त अरब अमीरात (UAE) इससे सहमत नहीं है.

विवाद की भेंट चढ़ी Meeting

UAE ने ओपेक और अन्य तेल उत्पादक देशों के तेल प्रोडक्शन में कटौती के फैसले का विरोध किया है. यूएई इस डील को अपनी शर्तों पर आगे बढ़ने के लिए अड़ा हुआ है. उसने दो टूक शब्दों में कहा है कि अपना तेल उत्पादन बढ़ाए बिना वह डील को आगे बढ़ाने के प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगा. हाल ही में आयोजित हुई ओपेक+ की बैठक दोनों देशों के विवाद की भेंट चढ़ गई और आगे मीटिंग कब होगी यह भी तय नहीं हो पाया है. यूएई तेल उत्पादन में चरणबद्ध वृद्धि के साथ मौजूदा सौदे को 2022 तक बढ़ाने के प्रस्ताव के खिलाफ है.

Saudi ने दिया संतुलन का हवाला

दरअसल, तेल की मांग में कमी की वजह से दामों में कमी दर्ज की गई थी. इसलिए संतुलन बनाए रखने के लिए उत्पादन को कम करने का फैसला किया गया था. सऊदी अरब को लगता है कि वैश्विक आर्थिक सुधार अभी भी कठिन दौर गुजर रहा है. वो चाहता है कि बाजार को संतुलन में रखने के लिए डील को 2022 अप्रैल तक बढ़ाया जाए, लेकिन UAE इसके खिलाफ है. इसी को लेकर दोनों देश लड़ रहे हैं और भारत सहित कई देशों को उसका खमियाजा भुगतना पड़ सकता है.

Crude Oil और करेगा परेशान

दोनों देशों की तकरार का तेल की कीमतों पर असर भी दिखाई देने लगा है. सोमवार को कच्चे तेल का दाम लगभग 77 डॉलर प्रति बैरल रहा, जो 2018 के बाद से सबसे अधिक है. कई जानकारों ने हाल ही में 80 डॉलर प्रति बैरल तेल की कीमत रहने का अनुमान लगाया था. उनका कहना है कि यदि ओपेक देशों का आपसी विवाद जल्द नहीं सुलझता, तो क्रूड आयल की कीमतों में और भी तेजी से इजाफा हो सकता है. जिसका सीधा सा अर्थ है कि भारत में तेल की कीमतें तब तक बढ़ती रहेंगी जब तक कि केंद्र सरकार पिछले साल बढ़ाए गए टैक्स को कम नहीं करती है.

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