May 17, 2024

पेशेंट एकेडमी फॉर इनोवेशन एंड रिसर्च ने बेयर के सहयोग से ‘एंडो रन’ के जरिए एंडोमीट्रियॉसिस के बारे में जागरूकता के लिए मुंबई स्थित आर डी नेशनल कॉलेज के साथ हाथ मिलाया 

मुंबई/अनिल बेदाग . मार्च में एंडोमीट्रियॉसिस जागरूकता माह के दौरान शुरू किए गए अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए, पेशेंट एकेडमी फॉर इनोवेशन एंड रिसर्च  ने बेयर के सहयोग से आर डी नेशनल कॉलेज, मुंबई में आज पहली एंडो रन का सफलतापूर्वक आयोजन किया। यह एंडो रन ऐसा जन-जागरूकता अभियान है जो सरवाइवर्स और उनके परिवारों, हैल्‍थकेयर प्रदाताओं, शोधकर्ताओं एवं कार्यकर्ताओं को एंडोमीट्रियॉसिस के विषय के इर्द-गिर्द एकजुट कर रहा है। इसका मकसद एंडोमीट्रियॉसिस के बारे में जागरूकता बढ़ाना, देश में इस कंडीशन पर चर्चा शुरू करना और इससे प्रभावित व्‍यक्तियों तथा परिवारों के लिए अधिक सपोर्ट का आह्वान करना है। इस जागरूकता दौड़ में विभिन्‍न मरीज़ समूहों के 150 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्‍सा लिया। इस पहल के पिछले चरण दिल्‍ली में 25 मार्च, पुणे में 26 मार्च और कोलकाता में 2 अप्रैल को संपन्‍न हो चुके हैं।
      एंडोमीट्रियॉसिस एक सामान्‍य किस्‍म की क्रोनिक, गाइनीकोलॉजिकल कंडीशन है जिससे दुनियाभर में 247 से अधिक महिलाएं तथा भारत में 42 मिलियन महिलाएं प्रभावित हैं1। इसमें गर्भाशय की भीतरी सतह से मिलते-जुलते टिश्‍यू गर्भाशय2 के बाहर फैलने लगते हैं। एंडोमीट्रियॉसिस से प्रभावित महिलाओं को क्रोनिक पेल्विस पेन (श्रोणि क्षेत्र में लंबे समय से बना रहने वाला तकलीफदेह दर्द), थकान, अवसाद और बांझपन की समस्‍या होती है। इसका डायग्‍नॉसिस अमूमन 6-10 वर्षों तक की देरी से हो पाता है, और इससे प्रभावित महिलाओं की लाइफ क्‍वालिटी बुरी तरह से प्रभावित होती है।
       एंडो रन की शुरुआत आर डी नेशनल कॉलेज, मुंबई से हुई। इस अवसर पर श्री मनोज सक्‍सेना (मैनेजिंग डायरेक्‍टर, बेयर ज़ायडस फार्मा), डॉ रत्‍ना देवी (डायरेक्‍टर, पेशेंट एकेडमी फॉर इनोवेशन एंड रिसर्च, डॉ हेमंत कनोजिया (एमबीबीएस, एमडी – ऑब्‍सटैट्रिक्‍स एंड गाइनीकोलॉजी, डीएनबी – ऑब्‍सटैट्रिक्‍स एंड गाइनीकोलॉजी लैपरोस्‍कोपिक सर्जन), डॉ अशलीशा तावड़े केलकर (एमडी, एफआरएसपीएच कम्‍युनिटी मेडिसिन एड पब्लिक हैल्‍थ स्‍पेश्‍यलिस्‍ट) तथा राधिका झावेरी (न्‍यूट्रिशनिस्‍ट, सर्टिफाइड एंडोमीट्रियॉसिस एक्‍सपर्ट, फाउंडर – द पेन फ्री एंडो सिस्‍टम) उपस्थित थे। इन विशेषज्ञों ने एंडोमीट्रियॉसिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के महत्‍व, महिलाओं के सामने पेश आने वाली चुनौतियों तथा इस क्षेत्र में क्‍लीनिकल स्‍तर पर प्रगति की जरूरत को रेखांकित किया।

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