UNSC में उठा Afghanistan में हुई Danish Siddiqui की हत्या का मुद्दा, भारत ने की कड़ी निंदा
वाशिंगटन. भारत ने अपने फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी (Danish Siddiqui) की हत्या की अफगानिस्तान में हुई हत्या की कड़ी निंदा की है. भारत ने कहा कि युद्ध में भी कुछ नियम होते हैं लेकिन अफगानिस्तान में हर सिद्धांत को रौंद दिया गया है.
UNSC की बैठक को किया संबोधित
भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (Harshvardhan Shringla) ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक को संबोधित किया. श्रृंगला ने कहा कि भारत अफगानिस्तान (Afghanistan) में पुलित्जर पुरस्कार विजेता फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या की कड़ी निंदा करता है. उन्होंने सशस्त्र संघर्ष के हालात में मानवीय कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा पर गंभीर चिंता व्यक्त की.
सुरक्षा परिषद में ‘सशस्त्र संघर्ष में नागरिकों की सुरक्षा: मानवीय पहल की सुरक्षा’ विषय पर संबोधित करते हुए श्रृंगला ने कहा कि प्राचीन भारत में सशस्त्र संघर्ष के लिए ‘धर्म-आधारित मानदंड’ और संघर्ष के दौरान ‘धर्म-युद्ध’ में नागरिकों की रक्षा करने वाले नियम थे. नागरिकों पर हमले नहीं किए जाते थे बल्कि उनकी रक्षा की जाती थी.
दानिश सिद्दीकी की हत्या की निंदा
श्रृंगला ने कहा, ‘हम अफगानिस्तान के कंधार में रिपोर्टिंग असाइनमेंट पर गए भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी (Danish Siddiqui) की हत्या की निंदा करते हैं. मैं उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूं.’
पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी (38) अफगानिस्तान में गृह युद्ध की कवरेज के लिए गए थे. कंधार प्रांत में पाकिस्तानी बॉर्डर के पास अफगान सैनिकों और तालिबान आतंकवादियों के बीच हुई भीषण लड़ाई की कवरेज के दौरान वे मारे गए.
‘भारत ने सताए हुए लोगों को दी शरण’
श्रृंगला (Harshvardhan Shringla) ने कहा कि मानवीय कानून के सिद्धांतों के लिए आधुनिक मानवीय न्यायशास्त्र विकसित हुआ है. इस सिद्धांत के विकसित होने से हजारों साल पहले से ही यह भारत में अस्तित्व में था. भारत ने ‘धर्म’ या ‘धार्मिक आचरण’ के मार्ग का अनुसरण किया है और सदियों से सताए हुए लोगों को शरण दी है.
उन्होंने कहा, ‘जैसा कि हम आज देखते हैं अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून हालिया समय में वजूद में आए हैं. इतिहास में सभ्यताओं और संस्कृतियों ने गैर-लड़ाकों और नागरिक आबादी की सुरक्षा के लिए युद्ध के नियम विकसित किए है.’
‘हमलों की जवाबदेही सुनिश्चित करना जरूरी’
उन्होंने कहा कि आज दुनिया के समक्ष कई तरह के मानवीय संकट हैं. इनमें से अधिकांश सशस्त्र संघर्षों के कारण होते हैं जो लाखों निर्दोष नागरिकों के जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं. कोविड-19 महामारी ने इस स्थिति को और बढ़ा दिया है.’
पिछले साल मारे गए 99 मानवीय कार्यकर्ताओं के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि भारत मानवीय कर्मियों के खिलाफ हमलों की कड़ी निंदा करता है. श्रृंगला ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के गंभीर उल्लंघन के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करना प्रमुख चुनौतियों में से एक है.