May 6, 2024

सिद्धांत नागवंशी आत्महत्या मामले में 23 महीने तक सकरी पुलिस ने क्या जाँच की? पुलिस देगी हाईकोर्ट को जवाब

56 शिकायतों के बाद भी पुलिस जाँच में उलझी

बिलासपुर.  पुलिस जहाँ एक तरफ बडे-बड़े अपराधियों को दीगर राज्यों से पकड़कर जेल भेज रही है तो वही दूसरी तरफ कई मामले जिन मामलों के तार शहर के नामचीन लोगों से जुड़े हुए है उन मामलों के जाँच में विलंब हुआ है! और कई मामले आज भी अनसुलझे है! बहरहाल सिद्धांत नागवंशी आत्महत्या मामले को लेकर पुलिस शुरुआत से ही सुर्खियों में रही है जिस मामले में 23 महीने बाद नया मोड़ आया है। मृतक सिद्धांत नागवंशी के पिता वीरेन्द्र नागवंशी कुम्हारपारा निवासी अपने बेटे की मौत के रहस्यों का हरहाल में पर्दाफाश करना चाहते है। जब मृतक के पिता वीरेंद्र नागवंशी को 22 महीने बाद भी पुलिस से अपने बेटे के मौत के कारणों का पता नही चल सका तो उन्होंने हाईकोर्ट में शरण ली है। हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता और तथ्यों की गंभीरता को देखकर प्रथम सुनवाई में ही पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने टिप्पणी में कहा; रसूखदारों के लिए रात 2 बजे भी पुलिस काम करती है और कोर्ट खुल जाता है, तो सामान्य लोगों के मामले में जाँच के लिए साल भर से अधिक का समय क्यों लग रहा है।

11 जनवरी 2022 के दिन सिद्धांत नागवंशी ने मौत को गले लगाया

घटना के बाद से अब तक मृतक ने जनप्रतिनिधियों से लेकर विभागों को कुल 56 शिकायतपत्र सौपे है

जानकारी हो कि सिद्धांत नागवंशी के गहरे संबंध विवादित जमीन संबंधित कार्य करने वाले शहर के नामचीन लोगों से थे उनके बैंक खातों और जमीन संबंधित इकरारनामा की प्रतिलिपि के तार शहर के नामचीन लोगों से जुड़े हुए है। वीरेन्द्र नागवंशी के मुताबिक घटना के एक दिन पहले सिद्धांत नागवंशी अपने निवास से 10-10 लाख के दो चेक लेकर अपने साथी फैजान खान के साथ मीनाक्षी बंजारी से मिलने गए थे मीनाक्षी बंजारी से जमीन संबंधित लेनदेन में गड़बड़ी के बाद लोगों के देनदारी की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या करना बता रहे है और शहर के नामचीन लोगों पर संगीन आरोप लगा रहे है।

पुलिस 23 महीने बाद भी मामले में जाँच लंबित बता रही

मृतक सिंद्धात नागवंशी के पिता वीरेंद्र नागवंशी ने जब आरटीआई में जाँच संबंधित दस्तावेज की प्रतिलिपि मांगी तो उन्हें प्रथम अपील तक जाना पड़ा। प्रथम अपीलीय अधिकारी जनसूचना ने उन्हें वर्तमान में जाँच होना बताया और धारा 8(1) (क) (ज) के तहत जाँच संबंधित दस्तावेज देने से मना कर दिया

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