April 28, 2024

सबसे पहले कहां हुई थी रिपब्लिक डे की परेड, कौन बना मुख्‍य अतिथि?

नई दिल्ली. पहली गणतंत्र दिवस परेड (First Republic Day Parade) कहां हुई थी? इस सवाल के जवाब में अधिकांश लोग कहेंगे राजपथ, लेकिन ऐसा है नहीं. दिल्ली में 26 जनवरी, 1950 को पहली गणतंत्र दिवस परेड राजपथ पर न होकर इर्विन स्टेडियम में हुई थी, जिसे आज नेशनल स्टेडियम के नाम से जाना जाता है. उस दौर में स्टेडियम के चारों तरफ चहारदीवारी न होने की वजह से उसके पीछे पुराना किला साफ नजर आता था.

8 किमी लंबी होती है परेड

रिपोर्ट के अनुसार, 1950-1954 के बीच दिल्ली में गणतंत्र दिवस का समारोह (Republic Day Parade) कभी इर्विन स्टेडियम, किंग्सवे कैंप, लाल किला तो कभी रामलीला मैदान में आयोजित हुआ करता था. अब आठ किलोमीटर की दूरी तय करने वाली यह परेड रायसीना हिल से शुरू होकर राजपथ, इंडिया गेट से गुजरती हुई लालकिले पर जाकर खत्म होती है.

ये थे पहले भारतीय गवर्नर 

1950 में देश के पहले भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने 26 जनवरी के दिन सुबह दस बजकर अठारह मिनट पर भारत को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया था. फिर इसके छह मिनट के बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को भारतीय गणतंत्र के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई. तब के गवर्मेंट हाउस और आज के राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में शपथ लेने के बाद राजेंद्र प्रसाद को साढ़े दस बजे तोपों की सलामी दी गई थी. तोपों की सलामी की यह परंपरा 70 के दशक से आज तक कायम है.

उस दिन राष्ट्रपति का कारवां दोपहर बाद ढाई बजे गवर्मेंट हाउस से इर्विन स्टेडियम की तरफ रवाना हुआ, जो कनॉट प्लेस और उसके करीबी इलाकों का चक्कर लगाते हुए करीब पौने चार बजे सलामी मंच पर पहुंचा. इर्विन स्टेडियम में हुई मुख्य गणतंत्र परेड को देखने के लिए 15 हजार लोग पहुंचे थे. उस समय हुई परेड में सशस्त्र सेना के तीनों बलों ने भाग लिया था. इस परेड में नौसेना, इन्फेंट्री, कैवेलेरी रेजीमेंट, सर्विसेज रेजीमेंट के अलावा सेना के सात बैंड भी शामिल हुए थे. यह ऐतिहासिक परंपरा आज भी बनी हुई है.

यहां के राष्ट्रपति थे मुख्य अतिथि

पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे. इस दिन पहली बार राष्ट्रीय अवकाश घोषित हुआ. देशवासियों की अधिक भागीदारी के लिए आगे चलकर साल 1951 से गणतंत्र दिवस समारोह किंग्सवे पर होने लगा, जिसे आज राजपथ के नाम से पहचाना जाता है. बता दें कि 1951 के गणतंत्र दिवस समारोह में चार वीरों को पहली बार उनके अदम्य साहस के लिए सर्वोच्च अलंकरण परमवीर चक्र दिए गए थे.

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