प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से हो रहा है पॉलीथिन का उपयोग
बिलासपुर/अनिश गंधर्व. बाजार में पॉलीथिन की कालाबाजारी धड़ल्ले से हो रही है। प्रतिबंध के बाद भी लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। नगर निगम और जिला प्रशासन द्वारा प्लास्टिक का उपयोग करने वालो पर कार्रवाई नहीं कर पा रही है जिसके चलते लोग खुलेआम इसका उपयोग कर रहे हैं। प्लास्टिक के उपयोग से पर्यावरण पर खतरा मंडरा रहा है। जनहित में इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है, फल ठेला, पान ठेला संचालन जैसे छोटे-छोटे व्यापारियों पर दबाव बनाने वाला सरकारी अमला प्लास्टिक के कारोबार करने वाले बड़े कारोबारियों पर लगाम नहीं लगा पा रही है। बताया जा रहा है कि बाजार में अभी भी लाखों रूपये के प्लास्टिक के गिलास, दोना पत्तल आदि का कारोबार किया जा रहा है।
सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को लेकर एक बार फिर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। इसके तहत सिंगल यूज प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम 2021 के माध्यम से प्लास्टिक एवं थर्मोकोल से बने सिंगल यूज प्लास्टिक की वस्तुएं भी तय की गई है। जिन पर 1 जुलाई से प्रतिबंध लगाया जा रहा है। जिला प्रशासन द्वारा थोक कारोबारियों पर लगाम नहीं लगाया जा सका है। व्यापारी प्रतिबंध का बहाना बनाकर दोगुने दाम पर बेच रहे हैं। पिछले कुछ दिन से नगर निगम द्वारा शहर में पॉलीथिन को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की है, इसके कारण पॉलीथिन फिर से बाजारों में बिकने लगी है। चाहे सब्जी मार्केट हो या फिर किराने की दुकानें सभी स्थानों पर पॉलिथीन का उपयोग होने लगा है। जबकि निगम द्वारा इसके पहले पॉलीथिन को लेकर जागरूक अभियान चला चुका है। वहीं समझाइश के बाद भी उपयोग कर रहे दुकानदारों के चालन भी बनाए गए। फिर भी बिक्री लगातार बढ़ रही है।
व्यापारी बाजार में कागज से बने गिलास, दोना, पत्तल के चलन को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं। उनके पास अभी लाखों का स्टाक जमा पड़ा हुआ है। अपना फायदा देखने वाले व्यापारी गोपनीय तरीके से प्लास्टिक से बने सामाग्री को खपा रहे हैं। छोटे व्यापारी भी अपना लाभ कमाने के चक्कर प्लास्टिक के गिलास, बैग आदि का कारोबार रहे हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार भले ही सरकार ने यह फैसला काफी देर से लिया, लेकिन इस फैसले से पर्यावरण को काफी फायदा होगा। क्योंकि अगर सूखे कचरे की बात की जाए तो उसमें पॉलिथीन व सिंगल यूज प्लास्टिक काफी मात्रा में होता है, जो पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक है। सरकार के इस फैसले से सूखे कचरे में कमी आएगी। हालांकि इस तरह से परिणाम के लिए कम से कम एक-दो साल तक इंतजार करना होगा।