चुन्नी तालाब के बगल की जमीन पर कब्जा को लेकर दो पक्षों में हुआ विवाद
बिलासपुर/अनिश गंधर्व. तहसील कार्यालय के काम-काज से लोगों का भरोसा उठ चुका है। सरकारी व निजी जमीनों का मद परिवर्तन कर एक दूसरे का नाम चढ़ाने के मामलों में बिलासपुर तहसील कार्यालय चर्चित हो चुका है। लोगों को यह भय सताने लगा है कि तहसील कार्यालय के भ्रष्ट अधिकारी कहीं उनकी मेहनत की कमाई पर डाका न डाल दें। लोग अपनी खरीदी हुई जमीनों पर सूचना पटल लगाकर भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्हें भय है कि पटवारी व तहसीलदार कहीं उनकी जमीनों को मद परिवर्तन कर खसरा नंबर में कूट रचना न कर दें। शहर से लगे ग्रामों के सरकारी जमीनों को तहसील कार्यालय के भ्रष्ट अधिकारियों ने टुकड़ों-टुकड़ों में मद परिवर्तन व कूटरचना कर बेच खाया है। हालात इतने बेकाबू हो गए हैं कि लोग अपनी ही खरीदी संपत्ति में कब्जा पाने के लिए सरकारी दफ्तरों का चक्कर काटने मजबूर हैं।
18 मार्च गुरुवार को शाम चार बजे मोपका मुख्य स्थित चुन्नी तालाब के बगल की भूमि में रायल इन्फास्ट्रक्चर द्वारा बोर्ड लगाया गया। जिसमें उनके पार्टनरों के नाम और खसरा नंबर 15/1241 रकबा 29.5 डिसमिल का पक्का सौदा होना दर्शाया गया है। इसी दौरान दूसरे पक्ष के लोग वहां आ धमके और लगाये बोर्ड को उखाड़कर फेंक दिया। दोनों पक्षों के बीच टकराव की स्थिति निर्मित होते देख मौके पर पहुंची सरकंडा पुलिस ने बीच बचाव किया। अब सवाल यह उठता है कि जब जमीन एक नंबर की है तो जमीन मालिकों को खुद के बोर्ड लगाने की क्या जरूरत है? शायद उन्हें पहले से ही मालूम है कि तहसील कार्यालय जमे भ्रष्ट अधिकारी रूपयों की लालच में कहीं उल्टा-सीधा न कर दे। शहर में चारों ओर इसी तरह के बोर्ड जमीन मालिकों द्वारा लगाया गया है। निष्पक्ष कानून व्यवस्था के नाम पर तहसील कार्यालय से लोगों का भरोसा उठ चुका है।
किसी को कोई भय नहीं
तहसील कार्यालय के अधिकारियों की ऊंची पकड़ है और तो और पटवारी भी सीधे तौर पर मंत्रियों से बात करते हैं। जमीनों के दस्तावेजों में हेरफेर कर सरकारी रिकार्ड गायब करने का काम तहसील कार्यालय में किया जा रहा है। जमीनों का सीमांकन रिकार्ड सुधारने का जिम्मा राजस्व विभाग के हाथों में है। अब सवाल यह उठता है कि अपने ही द्वारा किए गए उल्टे-सीधे कार्यों की जांच भला ये अधिकारी कैसे करें सकते हैं। राज्य शासन के पास भी तहसील कार्यालयों में हो रही गड़बड़ी को रोकने के लिए कोई विशेष दस्ते की व्यवस्था नहीं है और यही कारण है कि आज तक दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही नहीं सकी।