चुनौतियों के बीच आगे बढ़ी अर्थव्यवस्था
नई दिल्ली. वर्ष 2023 में रोजगार की स्थिति संसद की बहस से लेकर युवाओं की चिंता का कारण बनी रही। इस वर्ष में वैश्विक सुस्ती के कारण जो-जो उद्योग-कारोबार प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए वहां रोजगार के कम मौके निर्मित हुए। लेकिन गिग अर्थव्यवस्था और असंगठित सेक्टर में मौके बढ़ने से बेरोजगारी दर जो 2017-18 में छह फीसदी थी वह 2022-23 में घटकर 3.2 फीसदी रही। जहां इस वर्ष में आईटी बाजार की रोजगार तस्वीर बदल गई और बड़ी संख्या में कर्मचारियों को नौकरी छोड़नी पड़ी तथा नई नियुक्ति का अनुपात भी घट गया। वहीं विमानन और फार्मा जैसे सेक्टरों में कुशल पेशेवरों की मांग बढ़ी है।
2023 की शुरुआत से दिसंबर तक देश का आर्थिक घटनाक्रम देखें तो प्रमुखतया महंगाई, रोजगार, रुपये की कीमत, विदेशी मुद्रा भंडार, विदेशी कर्ज, व्यापार घाटा, मानव विकास सूचकांक चिंताजनक आर्थिक मुद्दे रहे हैं। महंगाई के मोर्चे पर मुश्किलें लगभग वर्ष भर बनी रहीं। इस्राइल- हमास युद्ध, रूस-यूक्रेन युद्ध, ओपेक संगठन द्वारा तेल उत्पादन में कटौती, वैश्विक खाद्यान्न उत्पादन में कमी ने भी महंगाई बढ़ाई। इस महंगाई ने आम आदमी से लेकर सरकार के लिए भी चिंताएं पैदा की। खासतौर से नवंबर के बाद एक बार फिर थोक एवं खुदरा महंगाई बढ़ने लगी। खाद्य महंगाई की दर बढ़कर 8.7 फीसदी से अधिक पहुंच गई।