May 8, 2024

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन

बिलासपुर. जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष श्रीमती सुषमा सावंत, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के मार्गदर्शन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर, सचिव डॉ0 सुमित कुमार सोनी द्वारा आज दिनांक 09.08.21 विश्व आदिवासी दिवस पर इस प्राधिकरण द्वारा शासकीय प्रीमैट्रिक थ्री यनिट आदिवासी बालक एवं बालिका छात्रावास बिलासपुर में ‘‘अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के उत्पीड़न रोकने संबंधित कानूनों एवं उन्हंे मिलने वाले निःशुल्क विधिक सहायता तथा नालसा (आदिवासियों के अधिकारों का संरक्षण और परिवर्तन के लिए विधिक सेवाएं) योजना 2015’’ के संबंध में जानकारी प्रदान करने हेतु विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। भारत की सामाजिक व्यवस्था में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों द्वारा अवसर ज्यादतिया की जाती थी। उनके साथ छुआछूत एवं अन्य घिनौने कृत्य के कई उदाहरण देखे जाते थे। अतः भारत के संविधान में इन कृत्यों को अपराध की श्रेणी मेेें लेकर उनके निवारण की व्यवस्था की गई है। इसके लिए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न एवं छुआ-छूत निवारण) अधिनियम 1989 का सृजन किया गया है। सचिव, डॉ0 सुमित कुमार सोनी के द्वारा जागरूकता शिविर में ये बताया गया कि यदि कोई व्यक्ति जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है वह निम्नलिखित में से कोई कृत्य करता है तो वह उत्पीड़न के अपराध के लिए दंड का अधिकार है- अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्य को किसी अखाद्य अथवा हानिकारक पदार्थ पीने या खाने के लिए बाध्य करना, क्षति पहुंचाने, अपमान करने, परेशान करने के आशय से उसके परिसर अथवा पड़ोस में मैला, कूड़ा, पशुओं की लाशे अथवा अन्य कोई हानिकारक पदार्थ एकत्रित करना, बलपूर्वक कपडे उतारता है व नग्न घूमाता है शरीर पर रंग लगाता है जो प्रतिष्ठा के प्रतिकूल है और आबंटित भूमि को दोषपूर्ण ढंग से कब्जा करता है या बेदखल करता है या उनके भूमि पर हस्तक्षेप करता है या भूमि अथवा पानी पर कब्जा करता है या बालश्रम या बंधुआ मजदूरी के लिये बाध्य करता है इन सदस्यों के विरूद्ध झूठी शिकायते तथा फौजदारी मामले प्रस्तुत करता है इन जाति के सदस्यों को मत देने व नही देने से रोकता है, लोक सेवकों को झूठी सूचना देता है, इन जाति के सदस्यों को अपमानित करता है डराता है, इन जाति की महिला पर लज्जा भंग व उसका निरादर करता है व बलप्रयोग करता है या किसी महिला का शोषण करता है तथा इस जाति के सदस्य को अपना घर छोडने के लिए बाध्य करता है तो अनुसूचित जाति एवं जनजाति में उत्पीड़न अपराध करने के लिए व्यक्ति को 06 माह से 05 वर्ष तक की कारावास की सजा व जुर्माना दोनों हो सकता है और यदि कोई इस अधिनियम के तहत जानबूझकर कोई झूठा साक्ष्य देता है तो 01 वर्ष तक कारावास की सजा हो सकती है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्यों के उत्पीड़न को रोकने के लिए विशेष सत्र न्यायालय की स्थापना की गई है तथा पीड़ित परिवारों को शासन द्वारा मुआवजा देने का भी प्रावधान है। सचिव, डॉ0 सुमित कुमार सोनी द्वारा नालसा (आदिवासियों के अधिकारों का संरक्षण और परिवर्तन के लिए विधिक सेवाएं) योजना 2015 की जानकारी दिया गया। साथ ही उन्हें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर द्वारा मुद्रित पुस्तकें, पाम्पलेट इत्यादि का वितरण किया गया जिससे अधिक से अधिक आमजन मे विधिक सेवा के प्रति लोग जागरूक हो सके।

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