March 28, 2024

ना रोजगार का रोडमैप, ना महंगाई नियंत्रण पर बात, न एमएसपी की गारंटी, जन अपेक्षाओं से कोसों दूर

बिलासपुर. केंद्रीय बजट 2023 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए छ.ग.पर्यटन मंडल अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने कहा है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के आखिरी बजट में भी बुनियादी सवालों और आम जनता की जरूरतों को पुनः नजरअंदाज कर दिया है। वित्त मंत्री के डेढ़ घंटे के बजट भाषण में रोजगार की आस लगाए युवाओं को केवल स्किल डेवलपमेंट का झुनझुना मिला। देश के किसान से 2022 तक आय दुगुनी करने का वादा था, स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू करने का वादा था, पूर्व में एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का आश्वासन भी दिए लेकिन बजट में उस पर कोई प्रावधान नहीं है। मिलेट मिशन छत्तीसगढ़ मॉडल का ही प्रभाव है। भूपेश सरकार कोदो कूटकी रागी पहले ही समर्थन मूल्य पर खरीद रही है और 10000 प्रति एकड़ की दर से राजीव गांधी किसान न्याय योजना की राशि दे रही है। केवल डिजिटल ट्रेनिंग देकर किसानों का भला करने का दावा भी जुमला है।

छ.ग.पर्यटन मंडल अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने कहा है कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना में पिछले बजट में 8270 करोड़ का प्रावधान था जिसे घटाकर 3365 करोड़ कर दिया गया है। सीमा अवसंरचना एवं प्रबंधन के मध्य में पिछले बजट में 3739 करोड़ का प्रावधान था जो अब घटकर 3545 करोड़ रह गया है। सड़क सुरक्षा कार्य (लेवल क्रॉसिंग) के लिए पिछले बजट में 750 करोड़ का प्रावधान था जो इस बार घटाकर मात्र सात सौ करोड़ कर दिया गया है।

छ.ग.पर्यटन मंडल अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने कहा है कि 9 करोड़ 60 लाख उज्ज्वला हितग्राही होने का दावा कर अपनी पीठ थपथपाने से पहले यह देखना चाहिए की केंद्रीय आंकड़ों में ही 90 परसेंटेज हितग्राही सिलेंडर दोबारा रिफिल कराने की स्थिति में नहीं है। बजट में एलपीजी सब्सिडी पर कोई बात नहीं।

छ.ग.पर्यटन मंडल अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने कहा है कि देश पर 11 लाख 80 हजार करोड़ का अतिरिक्त कर्ज बढ़ाने और प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी के नाम पर रेलवे को बेचने के बावजूद राजकोषीय घाटा 5.9 प्रतिशत है। आय का लगभग एक चैथाई हिस्सा कर्ज के रूप में अर्थात देश के संसाधन, देश के उपक्रमों को बेचने के बाद भी अतिरिक्त कर्ज का बोझ पढ़ाया जा रहा है।

छ.ग.पर्यटन मंडल अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने कहा है कि आयकर दाताओं को नए और पुराने टैक्स रिजीम के नाम पर एक बार फिर ठगा गया है। यूपीए सरकार के बाद से आज तक पिछले 9 साल में बेसिक एक्जमसन लिमिट (आयकर छूट की सीमा) एक रुपए भी नहीं बढ़ाई गई थीं, केवल 5 लाख के भीतर आय में नध्े 87 का रिबेट था जबकि इन्फ्लेमेशन दर इस बीच दोगुना हो गया है। इस बजट में ढाई लाख के बेसिक एग्जाम सन लिमिट में केवल 50 हजार की वृद्धि कर आयकर में छूट की सीमा 3 लाख की गई जो ऊंट के मुंह में जीरा है। ना 80-ब् के तहत छूट की सीमा बढ़ाई गई और ना ही हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिलने वाला 80-क्की लिमिट जबकि 2017 की तुलना में लगभग सारे मेडिकल इंश्योरेंस की कीमतें दो से ढाई गुना बढ़ चुकी है। गृह ऋण पर चुकाए गए ब्याज की छूट की सीमा भी यथावत है। मोदी सरकार का दावा राजकोषीय घाटा 4.5 परसेंट के भीतर लाने का था लेकिन अब भी अनुमान 5.9 प्रतिशत का। आम जनता की आवश्यकता और अपेक्षा के विपरीत घोर निराशाजनक बजट है।

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