March 28, 2024

भगवान शिव का ये स्त्रोत धन, मान-सम्मान में करता है जबरदस्त वृद्धि

भगवान शिव को ऐसे ही भोले भंडारी नहीं कहा जाता है. उनकी पूजा करने से जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के स्त्रोत का वर्णन हैं. इनमें से एक प्रमुख स्त्रोत श्री शिव रुद्राष्टकम है. ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस स्त्रोत का पाठ करता है, उसे भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा मिलती है और वह अपने गुप्त शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है.

जाप विधि

घर के मंदिर में शिवलिंग को चौकी पर स्थापित करें. इसके बाद  कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक इस स्त्रोत का पाठ करें. ऐसा करने से भगवान शिव के आशीर्वाद से शत्रुओं पर विजय हासिल होगी.

महत्व 

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त करने से पहले इस स्त्रोत का पाठ किया था. इसके बाद भी भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई कर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी. इस स्त्रोत के जाप से सुख-समृद्धि भी बनी रहती है.

पाठ

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेहम्

निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकालकालं कृपालं
गुणागारसंसारपारं नतोहम्

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभिरं
मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।
त्र्यःशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं
भजेहं भवानीपतिं भावगम्यम्

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी

न यावद् उमानाथपादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं

न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो

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