May 12, 2024

नाबालिक से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 10 साल की सजा व 24,000 हजार रूपये जुर्माना

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शाजापुर. न्यायालय विशेष न्यायाधीश लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश शाजापुर द्वारा आरोपी  धर्मेंद्र पिता राधेश्याम बैरागी उम्र 24 वर्ष निवासी ग्राम आक्या चौहानी  थाना बैरछा जिला शाजापुर को नाबालिक पीडिता का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने के आरोप में दोषसिद्ध पाते हुए धारा 363 भादवि में 3 वर्ष के सश्रम कारावास और 2000 रूपये जुर्माना, धारा 366 भादवि में 3 वर्ष का सश्रम कारावास और 2000 रूपये जुर्माना तथा लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम की धारा 6 में 10 वर्ष का सश्रम कारावास और 20,000 रु.के जुर्माना से दण्डित किया गया। जुर्माना अदा नहीं करने पर प्रत्येक धारा में अतिरिक्त कारावास की सजा भी भुगताये जाने के आदेश दिये गये। जुर्माने की राशि जमा होने पर उसमें से 20,000 रूपये प्रतिकर स्वरूप नाबालिक पीडिता को अपील अवधि पश्चात अपील ना होने की दशा में दिये जाने के संबंध में भी आदेश दिये गये। सहा. जिला मीडिया प्रभारी रमेश सोलंकी अति. डीपीओ शाजापुर ने बताया कि, दिनांक  02.07.19 को रात्रि के करीब 09:30 बजे नाबालिक पीडिता को आरोपी बहला फुसलाकर व शादी का झांसा देकर भगाकर ले गया। पीडिता के पिता ने उक्त  घटना की रिपोर्ट थाना बैरछा पर लिखाई थी। पीडिता ने दस्तयाव होने पर बताया कि, आरोपी उसे कई जगह पर  लेकर गया और उसके साथ में दुष्कर्म किया जिसके परिणाम स्वरूप पीडिता गर्भवती होकर 9 माह में नवजात शिशु (बालक) को जिला अस्पताल शाजापुर में जन्म दिया। पुलिस द्वारा विवेचना के दौरान पीडिता व पीडिता के नवजात बालक तथा आरोपी का डी.एन.ए. परिक्षण करवाया गया। डी.एन.ए. रिपोर्ट में आरोपी व पीडिता के नवजात शिशु (बालक) के जैविक माता-पिता हैं पाया गया ।आरोपी की ओर से  डी.एन.ए. रिपोर्ट को स्वीकार भी किया गया । फरियादी की रिपोर्ट पर से पुलिस आरक्षी केन्द्र बैरछा ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की थी। विवेचना उपरांत सक्षम न्यायालय में आरोपी के विरूद्ध चालान प्रस्तुत किये जाने पर अभियोजन की ओर से पैरवीकर्ता श्री रमेश सोलंकी अति. जिला लोक अभियोजन अधिकारी शाजापुर  ने गवाहों के कथन कराये। उक्त  प्रकरण में शासन की ओर से पैरवीकर्ता देवेन्द्र मीणा जिला लोक अभियोजन अधिकारी शाजापुर के तर्कों एवं अभिलेख पर आई साक्ष्य से सहमत होते हुये न्यायालय द्वारा आरोपी को दोषी पाते हुये दंडित किया गया।

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