May 13, 2024

मंकीपॉक्स को लेकर UP में अलर्ट, ऐसे लोगों के लिए आइसोलेशन जरूरी

अभी कोरोना वायरस खत्म भी नहीं हुआ था कि पूरी दुनिया की चिंता मंकीपॉक्स वायरस ने बढ़ा दी है. दुनिया भर में इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं. इसके खतरे को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने अलर्ट जारी किया है. इसके तहत विदेश की यात्रा से लौटकर आए लोगों पर नजर रखने का फैसला किया गया है. इस बाबत यूपी सरकार ने संबंधित विभागों को आदेश दे दिए हैं.

दूसरे राज्यों से आने वालों पर भी रखी जाएगी नजर

संक्रामक रोगों के निदेशक ने कहा कि, ‘अभी चकत्ते वाले लोगों (जरूरी नहीं की बीमारी हो) की निगरानी करने की जरूरत है, खासकर उन लोगों की जो हाल ही में किसी ऐसे देश से आए हों जहां मंकीपॉक्स के मरीज मिले हैं या वो मंकीपॉक्स मरीज के संपर्क में आए हैं. इन पर नजर रखने और इन्हें आइसोलेशन में रहने के निर्देश दिए गए हैं.’ इसे लेकर विभाग ने गुरुवार शाम को एक एडवाइजरी भी जारी की है और कहा कि, अंतरराष्ट्रीय यात्रा के इतिहास वाले दूसरे राज्यों से आने वाले यात्रियों पर भी ध्यान दिया जाए.

जब तक रैशेज न हटे, आइसोलेशन में रहना जरूरी

सरकार ने स्वास्थ्य अधिकारियों को मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन करने का निर्देश दिया है. एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि, “मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीजों को तब तक आइसोलेशन में रहने की जरूरत है जब तक कि रैशेज वाली जगह पर नई त्वचा न निकल जाए या डॉक्टर आइसोलेशन खत्म करने की सलाह न दें. राज्य के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को सरकार की तरफ से भेजे गए परामर्श में कहा गया है कि, ‘जो लोग किसी मरीज के संपर्क में आए हैं, उनकी 21 दिनों की अवधि तक जांच की जाए.’

इस तरह फैसलता है

असोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ अभिषेक शुक्ला ने बताया कि, ‘मंकीपॉक्स के अधिकांश रोगियों ने बुखार, चकत्ते और सूजन लिम्फ नोड्स की सूचना दी है और यह संदेह है कि यह एक आदमी से दूसरे आदमी में बड़ी श्वसन बूंदों के माध्यम से संचारित होता है. हालांकि राहत की बात ये है कि 22 मई तक भारत में मंकीपॉक्स का कोई भी मामला नहीं आया है, लेकिन अभी सतर्क रहने की जरूरत है.’

4 हफ्ते तक रह सकते हैं लक्षण

उन्होंने बताया कि मंकीपॉक्स एक स्व-सीमित बीमारी है और इसके लक्षण चार सप्ताह तक रह सकते हैं. अभी तक यूके, यूएस, यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में इसके मरीज मिले हैं. यह संक्रमण 7 से 14 दिन तक रहता है, लेकिन कई केस में 21 दिनों तक भी रह सकता है.

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