May 9, 2024

बच्चे राष्ट्र की संपत्ति है, जो देश के भविष्य को आकार देगेें उनकी सुरक्षा और संरक्षण की आवश्यकता है –  मुख्य न्यायाधीश       

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के किशोर न्याय कमेटी द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक एकेडेमी के सहयोग से उच्च न्यायालय के ऑडिटोरियम में आयोजित ‘‘विधि के साथ संघर्षरत बच्चों के अपराध निवारण, पुनर्स्थापनात्मक न्याय, परिवर्तन एवं उनके निरोध के विकल्प’’ विषय पर आयोजित 8वें राज्य स्तरीय कन्सलटेशन के शुभारम्भ समारोह को मुख्य आतिथ्य से सम्बोधित करते हुये मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति  रमेश सिन्हा ने कहा कि बच्चे राष्ट्र की संपत्ति है, जो देश के भविष्य को आकार देगे। समाज के जिम्मेदार सदस्यों के रूप में हमें उनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए हरसंभव प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होनंे कहा कि किशोरों को अपराध करने से रोकना समाज में अपराध की रोकथाम का एक अनिवार्य हिस्सा है तथा पुनर्वास प्रक्रिया इतनी ठोस हो सकती है कि उन्हें दोबारा विधि के साथ संघर्ष में आने से रोका जा सके। राज्य की भूमिका उस बच्चे के माता-पिता के रूप में कार्य करना है जिसे पुनर्वास की आवश्यकता है तथा इसकी कार्यवाही बच्चे के सर्वाेत्तम हित में होनी चाहिए। हमारे बच्चों को स्कूली शिक्षा के प्रारंभ से ही नैतिक एवं मूल्य आधारित शिक्षा देना आवश्यक है। बाल संरक्षण गृहों में भी यह आवश्यक है कि हम अपने बच्चों को समाज का उपयोगी सदस्य और देश का जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए रचनात्मक गतिविधियों में संलग्न करें।
 उन्होने आशा तथा विश्वास व्यक्त की कि आज का परामर्श कार्यक्रम बेहद सफल होगा और बच्चों के लिए एक हिंसा मुक्त समाज की स्थापना तथा प्रचार-प्रसार में काफी सहायता मिलेगी, जहां वे अपने बचपन का आनंद लेने के लिए स्वतंत्र होंगे।
  कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम के क्रियान्वयन में हमें अथक प्रयास की आवश्यकता है। हमें अपने स्वयं का उदाहरण लेते हुए बाल अपराधियों की मानसिक स्थिति को समझना चाहिये क्योंकि हम भी कभी बच्चे थे। बच्चे भगवान के उपहार हैं। उनको सही दिशा देकर समाज में कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति बना सकते हैं। ईश्वर की असीम कृपा से हम इतने काबिल हैं कि हमें उन बच्चों की प्रगति के लिए अथक प्रयास करना चाहिए।
 कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक एकेडमी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल ने कहा कि पं. जवाहर लाल नेहरू ने बच्चों को देश का भविष्य बताते हुए उनकी एक कविता का उल्लेख किया। उन्होंने आगे कहा कि भारत देश का भविष्य आज के बच्चें ही हैं। अतः उनके भविष्य के लिए हमें अथक प्रयास करते हुए महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए, जो समाज को एक नया आयाम प्रदान करेगा। अतः में उन्होंने बच्चों पर एक शेर पढ़ा।
 कार्यशाला का स्वागत उद्बोधन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के किशोर न्याय सेल के अध्यक्ष  न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल द्वारा कहा गया कि बच्चे विभिन्न कारणों विधि का उल्लंघन करने में आ सकते हैं। साक्ष्य दर्शाता है कि इनमें से अधिकांश बच्चे वंचित पृष्ठभूमि से आते हैं तथा ये ऐसे बच्चे भी हैं जिन्हें देखभाल एवं सुरक्षा की आवश्यकता है। यह, अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विधिक ढांचे द्वारा बच्चों को दी जाने वाली विशेष सुरक्षा के साथ, रोकथाम, पुनर्वास तथा पुनर्स्थापनात्मक न्याय प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करने तथा किशोर न्याय अधिनियम के न्याय एवं सुरक्षा प्रावधानों के मध्य संबंध सुनिश्चित करने का आग्रह करता है। पिछले दशक में समाज में तेजी से आए परिवर्तनो को देखते हुए भारत में बच्चों को दोतरफा सुरक्षा की आवश्यकता है। एक ओर जहां उन्हें बच्चे के उचित पालन-पोषण के लिए पारिवारिक माहौल प्रदान करके उन्हें शारीरिक रूप से बलवान, मानसिक रूप से सतर्क, शैक्षणिक रूप से प्रतिभाशाली बनाने हेतु उनके समग्र विकास के लिए बुनियादी आवश्यकताएं प्रदान की जानी चाहिए। दूसरे पक्ष को उस बच्चे की रोकथाम और उपचार की आवश्यकता है जिसे अपराधी कहा जाता है। कार्यवाही को दो मोर्चों पर क्रियन्वित करने की आवश्यक है।
   इस अवसर पर किशोर न्याय समिति द्वारा प्रकाशित पत्रिका ‘‘नवचेतन’’ का विमोचन किया गया जिसे उच्च न्यायालय की वेब साईट पर अपलोड किया गया ।
 शुभारम्भ सत्र में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू, न्यायमूर्ति रजनी दुबे,  न्यायमूर्ति नरेश कुमार चन्द्रवंशी,  न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी, न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत,  न्यायमूर्ति राकेश मोहन पाण्डेय, न्यायमूर्ति राधाकिशन अग्रवाल एवं  न्यायमूर्ति संजय कुमार जायसवाल विशेष रूप से उपस्थिति थे।
 इसके साथ ही कार्यशाला में उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल  अरविंद कुमार वर्मा, विधि विभाग के प्रमुख सचिव  रजनीश श्रीवास्तव, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार विजिलेंस श्री सुधीर कुमार, रजिस्ट्रार (न्यायिक)  के. विनोद कुजूर, कम्प्यूटर शाखा के रजिस्टार  शक्ति सिंह राजपूत, अन्य रजिस्ट्री के न्यायिक अधिकारी तथा राज्य न्यायिक एकेडमी के अतिरिक्त निदेशक श्री हरीश अवस्थी, गरिमा शर्मा एवं एकेडमी के अन्य न्यायिक अधिकारीगण, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव  आनंद प्रकाश वारियाल, किशोर न्याय सेल के सचिव  देवेन्द्र कुमार, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के पूर्व सचिव प्रशांत पराशर उपस्थित रहे।
 उक्त कार्यशाला के शुभारम्भ सत्र के पश्चात् दो तकनीकी सत्र में आयोजित किये गये, प्रथम सत्र की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के  न्यायमूति अरविंद सिंह चंदेल न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी,  न्यायमूर्ति राकेश मोहन पाण्डेय, अतिरिक्त मुख्य सचिव सुश्री रेणु गोनेला एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के विशेष सचिव पोषण चन्द्राकर की अध्यक्षता में तथा द्वितीय सत्र की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के  न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल, न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी, न्यायमूर्ति राकेश मोहन पाण्डेय, शिक्षा विभाग की प्रबंध निदेशक  इफत आरा, गृह विभाग के सचिव डॉ. बस्वाराजू एस. तथा छत्तीसगढ यूनिसेफ प्रमुख जॉब जाकरिया की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जिसमें किशोर न्याय एवं बाल अपराधों से संबंधित विभिन्न विषय एवं समस्याओं एवं उसके निदान पर उपस्थित सर्वसंबंधित विभागों के द्वारा प्रस्तुतिकरण दिया गया।
 उक्त कार्यशाला का आभार प्रदर्शन राज्य न्यायिक एकेडेमी की अतिरिक्त निदेशक  हरीश अवस्थी के द्वारा एवं मंच संचालन अतिरिक्त निदेशक गरिमा शर्मा द्वारा किया गया।
 उपरोक्त कार्यशाला में विशेष रूप से बाल अधिकार संरक्षण आयोग से सोनल कुमार गुप्ता, कौशल विकास विभाग से  ज्योति गुग्गल, पुलिस विभाग से डीआईजी  मिलेना कुर्रे एवं पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह उपस्थित थे।
 उपरोक्त कार्यशाला में प्रतिभागी के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य के समस्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, किशोर न्याय बोर्ड के प्रधान न्यायाधीश, सामाजिक सदस्य, बाल कल्याण समिति के अध्यक्षगण, महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला बाल सुरक्षा अधिकारीगण, विधि अधिकारी, जिलों के काउंसलर, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, महिला एवं बाल विकास विभाग, गृह विभाग, पुलिस विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, स्कूल विभाग, कौशल विकास विभाग, यूनिसेफ के प्रतिनिधिगण, बाल सम्प्रेेक्षण गृह के विजिटर, विशेष किशोर पुलिस ईकाई के अधिकारीगण, विधि के छात्रागण बढ़ी संख्या में उपस्थित रहे।
  अवगत हो कि उच्चतम न्यायालय के बाल कल्याण समिति के द्वारा माह सितम्बर, 2023 मेें नई दिल्ली में ‘‘विधि के साथ संघर्षरत बच्चों के अपराध निवारण, पुनर्स्थापनात्मक न्याय, परिवर्तन एवं उनके हिरासत के विकल्प’’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है। उक्त परिपेक्ष्य में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के किशोर न्याय सेल के द्वारा उपरोक्त कार्यशाला का आयोजन किया गया।

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