गर्भपात की अनुमति पर दो महिला जजों में मतभेद
नयी दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की दो महिला जजों ने बुधवार को 27 वर्षीय विवाहित महिला की 26 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की याचिका पर खंडित फैसला सुनाया। असल में , केंद्र ने गर्भपात की अनुमति देने वाले सर्वसम्मत फैसले को वापस लेने की मांग की थी।
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने केंद्र की याचिका पर फिर से सुनवाई की। जस्टिस कोहली गर्भपात के खिलाफ थीं। मामले में एम्स के डॉक्टरों के यह कहने के बावजूद कि भ्रूण के जन्म लेने की संभावना है, दो बच्चों की मां याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि वह गर्भपात करना चाहती है। अब बृहस्पतिवार को सीजेआई तीन जजों की बेंच गठित करेंगे। कानून के तहत, विवाहित महिलाओं, बलात्कार पीड़िताओं और अन्य कमजोर महिलाओं सहित विशेष श्रेणियों के लिए गर्भावस्था को समाप्त करने की ऊपरी सीमा 24 सप्ताह है। चूंकि याचिकाकर्ता ने वैधानिक 24 सप्ताह की अवधि पार कर ली थी, इसलिए उसे अपनी गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति के लिए अदालत का रुख करना पड़ा।