April 27, 2024

यदि मन और प्राण को नियन्त्रण में रखा जाए तो मनुष्य जन्म और मृत्यु से मुक्ति पाकर अमरत्व प्राप्त कर सकता है : योग गुरु महेश अग्रवाल

भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र  स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि दिल से जुड़ी बीमारियों तथा उसे स्वस्थ्य रखने के सम्बंध में  29 सितम्बर को सारे विश्व में ह्रदय दिवस मनाया जाता है। हृदय रोग पूरे विश्व में आज एक गंभीर समस्या हैं। हर साल विश्व हृदय दिवस के माध्यम से पूरे विश्व के लोगों में इसके बारे में जागरूकता फैलाई जाती है। निष्क्रिय जीवन शैली, अत्यधिक तनाव, हाइपरटेंशन, मधुमेह, अधिक धूम्रपान, मोटापा, वसायुक्त भोजन ह्रदय रोग के प्रमुख कारण हैं । ऐसे लोगों को अधिक ख़तरा होता है, जिनका कोलेस्ट्रोल, ट्राईग्लिसराइड और वीएलडीएल, एलडीएल अधिक होता है। हृदय के साथ होने वाली छेड़छाड़ का ही नतीजा है कि आज विश्व भर में हृदय रोगियों की संख्या बढ़ गई है। भागती-दौड़ती जिंदगी में लोगों को अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने का मौका नहीं मिलता, जिसका उन्हें भारी खामियाजा चुकाना पड़ता है। हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार दिल की बीमारी किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है, इसके लिए कोई निर्धारित उम्र नहीं होती। महिलाओं में हृदय रोग की संभावनाएं ज्यादा होती हैं, बावजूद इसके वे इस बीमारी के जोखिमों को नजरअंदाज़कर देती हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में एक दिल ही है, जिस पर सबसे अधिक बोझ पड़ता है। तनाव, थकान, प्रदूषण आदि कई वजहों से रक्त का आदान-प्रदान करने वाले इस अति महत्वपूर्ण अंग को अपना काम करने में मुश्किल होती है, इसीलिए ‘विश्व हृदय दिवस’ लोगों में यह भावना जागृत करता है कि वे हृदय की बीमारियों के प्रति सचेत रहें।
योग गुरु अग्रवाल ने इस अवसर पर शुभ चिंतन, उपवास, गाढ़ी नींद, सात्विक खानपान,योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा से कैसे ह्रदय को ठीक रखें के बारे में बताया कि यदि हम योग आसनों का उचित ढंग तथा नियमित रुप से अभ्यास करेंगे तो हमें अच्छा स्वास्थ ही प्राप्त नहीं होगा, वरन एकाग्रचित्तता और ध्यान में भी मदद मिलेगी। प्राणायाम योगासन के साथ-साथ ही चलता है। नियमित अभ्यास से हम अति सुन्दर स्वास्थ्य, अमित शक्ति और अनहत स्फूर्ति कायम रख सकेंगे । ये हृदय, फेफड़े तथा मस्तिष्क की गतियों को नियन्त्रित रखते हैं; रक्त संचार में नवीनता लाते तथा पाचन शक्ति बढ़ाते हैं। योगासनों के साथ इनका अभ्यास सब रोगों को दूर करने वाला तथा अभ्यासी को अद्भुत स्वास्थ्य देने वाला है। शरीर को अच्छी दशा में रखने में श्वास-क्रिया अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। आजकल हमारे मित्र इसके महत्त्व को समझ नहीं पाते। इसीलिए अनियमित श्वास-वायु लेने के कारण उनके शरीर असमय ही अशक्त होने लगते हैं। श्वास अर्थात् प्राण का नियन्त्रण करने से मस्तिष्क तथा मन का भी नियन्त्रण होता है। यदि मन और प्राण को नियन्त्रण में रखा जाए तो मनुष्य जन्म और मृत्यु से मुक्ति पाकर अमरत्व प्राप्त कर सकता है। मन, प्राण और इन्द्रियों के बीच परस्पर बड़ा घना सम्बन्ध है। संक्षेप में शरीर की अपूर्व प्राण-शक्तियों के नियन्त्रण का नाम प्राणायाम है। जीवन-शक्ति की धारा के ऊपर पूर्ण नियन्त्रण के लिए श्वास-क्रिया का नियन्त्रण किया जाता है। पहला काम प्राणों पर विजय पाना है; और तब प्राणायाम।

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