May 10, 2024

कबीर जयंती : कबीर संत परंपरा के धर्मनिरपेक्ष और आधुनिक चिंतक है – झा

कोरबा. संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान सभा के तत्वावधान में अरदा गांव में कबीर जयंती मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुवात में संत कबीर पर पीएचडी करने वाले डॉ. आर एन चंद्रा का किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर द्वारा स्मृति चिन्ह और श्रीफल देकर स्वागत किया गया।कार्यक्रम का संचालन भारतीय मानिकपुरी पनिका समाज के जिला महासचिव और किसान सभा के जिला उपाध्यक्ष प्रताप दास ने किया।

इस अवसर पर कबीर की प्रासंगिकता और महत्व पर छत्तीसगढ़ किसान सभा द्वारा एक विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया था। इसे संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ आर एन चंद्रा ने कहा कि कबीर जयंती मनाने का महत्व तब है, जब हम कबीर के बताए मार्ग का अनुसरण कर मानवतावादी विचारधारा को लेकर आत्मकल्याण के साथ साथ परमार्थ को प्राथमिकता देवें और कर्मकांड, मूर्ति पूजा, जातिवाद, हिन्दू- मुस्लिम भेदभाव का परित्याग करते हुए समाज सुधार पर बल दें।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कबीर हमारे देश की संत परंपरा के सबसे आधुनिक चिंतक थे। कबीर के दिखाए रास्ते पर चलना है, तो प्रेम की आग जलानी होगी और नफरत की ज्वाला को बुझाना होगा। इसके लिए सामाजिक सौहार्द्र की, धर्मनिरपेक्षता की समर्थक ताकतों के साथ एकता बनाने की जरूरत है। यह समझने की जरूरत है कि कबीर की वाणी गरीबों के लिए थी, जिनकी मुक्ति के केंद्र में वे ‘प्रेम’ को रखते हैं। इन गरीबों की मुक्ति के लिए कबीर-भक्तों को गरीबों के उन तबकों से भी शोषण के खिलाफ लड़ाई में जुड़ना-जोड़ना होगा, जो हैं तो कबीरपंथ के बाहर, लेकिन न्याय और प्रेम को केंद्र में रखकर मानव मुक्ति की लड़ाई लड़ रहे हैं। मनुष्य से प्रेम करने वाला, नफरत की ज्वाला को बुझाने वाला विश्व का हर नागरिक कबीर-भक्त है। जो इस प्रेम की आग में जल नहीं सकता, वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, हमारे लिए तुच्छ है।
भारतीय मानिकपुरी पनिका समाज के जिलाध्यक्ष गणेश दास महंत ने कहा की आज भी धर्म सत्ता का हाथियार बना हुआ है। इंसान, इंसान का कतल कर रहा है। इसलिए आज कबीर की प्रासंगिकता बढ़ गई है। दुनिया में शांति और सद्भाव की स्थापना कबीर के बताए मार्ग पर चलकर ही हो सकती है और ऐसा नया समाज शोषण विहीन, वर्ग-वर्ण-जाति विहीन समाज ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि तर्कवादी ज्ञान का प्रचार करना होगा, केवल आश्रम खोलने से समाज का विकास नहीं होगा। गांव और समाज में वैज्ञानिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना होगा, तभी हम और समाज विकास की और बढ़ सकेंगे।
किसान सभा के नेता जनकदास कुलदीप ने कहा कि कबीर मस्त मौला फकीर थे। वे ऐसा समाज बनाना चाहते थे, जहां जाति, वर्ण, धर्म, कुल के नाम पर भेदभाव न हो, सब समान हों। वे प्रेम को जानने वाले को ही पण्डित कहते हैं। पोथी रटने वाले ज्ञानी नहीं है। जिसके हृदय में प्रेम नहीं, उसे कबीर मरी ख़ाल समान कहते हैं। इन अर्थों में कबीर सच्चे मानवतावादी समाजवाद के प्रेरक थे।
किसान सभा के सहसचिव दीपक साहू ने कहा कि कबीर पूजापाठ व धार्मिक अंधविश्वासों के घोर विरोधी रहे और ईश्वर को खोजना मूर्खता मानते थे। भारतीय मानिकपुरी पनिका समाज के केंद्रीय अध्यक्ष विद्याविनोद महंत ने भी सभा को संबोधित किया और  कबीर के विचारों को आत्मसात कर जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया। कार्यक्रम के अंत मे मानिकपुरी समाज के अरदा सोसायटी के अध्यक्ष सुखदास महंत ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में इंद्रमणि महंत, रवि दास महंत, के डी महंत, जे डी महंत, उमाशंकर जैसे गणमान्य लोगों के साथ बडी संख्या में महिलाएं और आम नागरिक उपस्थित थे।

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