टीकाकरण के नाम पर फ्रंट लाइन वर्करों के साथ किया जा रहा खिलवाड़
बिलासपुर. 18 वर्ष की उम्र पार कर चुके लोगों के साथ टीकाकरण के नाम पर छलावा किया जा रहा है। लोगों में घोर नाराजगी का माहौल बना हुआ है, रोजाना टीकाकरण केन्द्रों में हो रहे हंगामे से राज्य सरकार की भारी बदनामी भी हो रही है। वैक्सीन की जब आपूर्ति नहीं हो पा रही है तो लोगों को टीकाकरण केन्द्रों में क्यों बुलाया जा रहा है। पत्रकारों को भूपेश बघेल सरकार ने फं्रट लाइन वर्करों का दर्जा तो दिया है लेकिन उन्हें सहूलित नहीं दी जा रही है। पत्रकारों को पहले फार्म आबंटित किया गया फिर बाद में उन्हें बेव पोर्टल के माध्यम से रजिस्ट्रेशन कराने कहा जा रहा है। सरकारी योजना का फायदा दिलाने के नाम पर तरह तरह के बहानेबाजी की जा रही है जिसके चलते पत्रकारों में रोष व्याप्त है।
1 मई से प्रदेश मे 18 + के युवाओं को, 45 प्लस के मध्यवयीन लोगों और वृद्धों को बिना सोचे समझे एक साथ टीकाकरण केंद्रों पर बुलाकर जिस तरह रोज-रोज अपमानित किया जा रहा है और टीकाकरण केंद्रों से वैक्सीन नहीं है, कहकर वापस भगाया जा रहा है। सीधी सी बात है अगर केंद्र और राज्य सरकार के पास वैक्सीन नहीं है. तो उन्हें टीकाकरण का काम तब तक के लिए बंइ कर देना चाहिए। जब तक उनके पास पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो जाती। बिलासपुर शहर में ही देखिए वैक्सीनेशन के लिए स्वयं प्रेरणा से जिस तरह युवा वर्ग के लोग टीकाकरण केंद्रों में पहुंच रहे हैं। वह वास्तव में गर्व की बात है। लेकिन छत्तीसगढ में टीकाकरण के नाम पर जिस तरह गैर जिम्मेदारी और लापरवाही सरकारी तंत्र में दिखाई दे रही है, उसने पूरे अभियान को मजाक बनाकर रख दिया है। देश के लोगों को यह समझ में ही नहीं आ रहा है कि आखिर टीकाकरण में सरकार को दिक्कत क्या हो रही है। कभी कहा जाता है ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने वालों को ही टीका लगाया जाएगा। फिर कभी कहा जाता है मैनुअल रजिस्ट्रेशन होगा और प्रथम आया प्रथम पाया के सिद्धांत के अनुसार टीका लगाया जाएगा। मतलब बातें सब हो रही हैं सिर्फ जितने लोग टीकाकरण केंद्र में पहुंच रहे हैं उन सभी को टीका लगाया जा सके इसका कोई मुकम्मल इंतजाम नहीं हो रहा है। केंद्र सरकार भी हर दिन हर हफ्ते टीकाकरण को लेकर नए नए नियम कानून और प्रक्रिया बनाती जा रही है। देश की जनता को जीएसटी और डीजल पेट्रोल की कीमतों सहित कई मामलों में सुबह शाम दूह रही केंद्र सरकार पता नहीं क्यों टीके की कीमतों को लेकर उटपटांग मापदंड अपनाए हुए हैं। वह देश की पूरी जनता को मुफ्त में व्यक्ति क्यों नहीं लगा पा रही है।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि कोरोना काल में पत्रकारों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। राज्य सरकार ने पत्रकारों को टीका लगाने जन संपर्क विभाग से जोड़ते हुए फार्म उपलब्ध कराया गया। काम काज के बोझ के तले दबे पत्रकार बकायदा नियमों का पालन करने में कहीं कोई चुक नहीं कर रहे हैं, लेकिन सरकारी रवैये के कारण उन्हें भी निराश होना पड़ रहा है। टीकाकरण केन्द्रों में सीजी टीका ऐप में रजिस्ट्रेशन के बाद सूची जारी होने पर वैक्सीन लगाया जाएगा कहकर चलता कर दिया जा रहा है।
टीकाकरण केन्द्रों में रोजाना हो रहा हंगामा
18 वर्ष पार कर चुके युवाओं में टीकाकरण को लेकर भारी उत्साह है, लेकिन टीककरण केन्द्रों में रजिस्ट्रेशन के कराने और वैक्सीन का डोज खत्म होने के कारण रोजाना हंगामा हो रहा है। दो दिन पूर्व शंकर नगर स्कूल स्थित टीकाकरण केन्द्र में भारी हंगामा हुआ है। वरिष्ठ पार्षद अशोक विधानी ने भी सरकारी रवैये को लेकर नाराजगी जाहिर की। कई सेंटरों में पुलिस बल तैनात करना पड़ रहा है। निष्पक्ष और युद्ध गति से संकट की इस घड़ी में टीकाकरण का कार्य नहीं हो पा रहा है। सरकारी तंत्र से हलाकान हो चुके लोग अब राज्य की भूपेश सरकार को कोष रहे हैं। बेहतर व्यवस्था बनाने में राज्य सरकार नाकाम साबित हो रही है।