April 28, 2024

प्रेसवार्ता : मोदी सरकार सिर्फ़ जुमलों की और झूठ बोलने वाली सरकार है – कांग्रेस


‘राष्ट्र सर्वप्रथम’ के शीर्षक के तहत किए गए वादों में सबसे प्रमुख घुसपैठियों की समस्या का समाधान है. इस समस्या के समाधान के लिए मोदी सरकार ने सिजिज़नशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) भी लागू किया. लेकिन सच यह है कि यूपीए सरकार ने 2005 से 2013 के बीच 82,728 बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजा वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में दो हज़ार से भी कम बांग्लादेशियों को वापस भेजा गया. तो घुसपैठियों को वापस भेजने के वादे का क्या हुआ?


घुसपैठ रोकना यदि मोदी सरकार की प्राथमिकता थी तो कैसे चीन भारत की सीमा में घुसपैठ करके बैठ गया और ख़ुद प्रधानमंत्री संसद में ग़लत जानकारियां देते रहे. आज भी मोदी सरकार यह बताने में विफल है कि कैसे चीन अरुणाचल प्रदेश में घुसकर निर्माण कार्य कर रहा है. सैटेलाइट के चित्र सब दिखा रहे हैं लेकिन मोदी सरकार मानने को तैयार नहीं है. वे चीन को लाल लाल आंखें दिखाना चाहते थे लेकिन चीनी नेताओं के साथ झूला झूलते रह गए।


‘कृषि और किसान कल्याण’ के वादों में नरेंद्र मोदी और भाजपा वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना चाहते थे. लेकिन सच यह है कि उनकी नीतियों की वजह से देश का किसान और ग़रीब होता जा रहा है. नतीजा यह है कि लाखों किसान पिछले छह महीनों से दिल्ली की सीमा में ठंड, गर्मी और बरसात झेलते धरने पर बैठे हैं।


यूपीए सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने फसलों का समर्थन मूल्य भी बहुत कम बढ़ाया है. उल्टे खाद और कीटनाशक दवाओं की क़ीमतें आसमान छूने लगी हैं. अभी विपक्षी दलों के दबाव में खाद की क़ीमत घटाई लेकिन सब्सिडी देकर खाद कंपनियों को मालामाल करने का इंतज़ाम कर दिया है।


‘अर्थव्यवस्था’ को लेकर जो वादे भाजपा के संकल्प पत्र में किए गए हैं वे सब उल्टे साबित हुए हैं. सच यह है कि नरेंद्र मोदी की अर्थनीति से देश में पहली बार जीडीपी माइनस 23.9 प्रतिशत तक चली गई और डॉलर के मुक़ाबले डॉलर अपने सर्वोच्च स्तर पर है. वे ‘पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था’ का जुमला फेंक रहे थे और उन्हें एक ट्रिलियन में कितने शून्य होते हैं यह तक पता नहीं था।


वे मेक इन इंडिया की बात कर रहे थे और सच यह है कि पहली बार भारत को दवाएं तक बांग्लादेश जैसे छोटे देश से मंगानी पड़ गईं. ऑक्सीजन विदेश से आया और वेंटिलेटर के लिए हम बड़े देशों के दान पर निर्भर होकर रह गए. भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता था पर आज हालत यह है कि भारत के लोगों के लिए भारत में कोरोना वैक्सीन नहीं बन पा रही है और विदेशी कंपनियों की ओर मुंह ताकना पड़ रहा है।


‘नए भारत की बुनियाद’ की बात करने वाले नरेंद्र मोदी जी की स्मार्ट सिटी योजना धराशाई हो रही है. रेलवे, हवाई अड्डे और बंदरगाह तक सब कुछ अडानी और अंबानी के हाथों बेचे जा रहे हैं और सार्वजनिक क्षेत्र की हर इकाई बिकाउ हो गई है।


‘स्वस्थ भारत’ की बात करने वाली भाजपा को आज इस बात पर शर्मिंदा होना चाहिए कि उनके नेता नरेंद्र मोदी के कुप्रबंधन की वजह से आज भारत कोरोना की सबसे बुरी मार झेल रहा है. कोरोना को लेकर हमारे नेता राहुल गांधी जी चेतावनी दे रहे थे लेकिन नरेंद्र मोदी नमस्ते ट्रंप कर रहे थे और अमित शाह मध्यप्रदेश की चुनी हुई कांग्रेस सरकार को गिराने में लगे हुए थे. फिर अचानक लॉक डाउन लगाकर करोड़ों प्रवासी मज़ूदूरों को बच्चों और बुज़ुर्गों के साथ सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर घर पहुंचने के लिए बाध्य किया. दूसरा दौर शुरु हुआ तो न मरीज़ों को अस्पताल मिल रहा है, न ऑक्सीजन और न दवाएं. जो ज़िम्मेदारी नरेंद्र मोदी जी को अपने कंधे पर उठाना था वह उन्होंने राज्यों के सिर पर धकेल दिया।


‘सुशासन’ के अंतर्गत भाजपा भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात करती है लेकिन सच यह है कि नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भ्रष्टाचार का अभूतपूर्व केंद्रीयकरण हुआ है और जवाबदेही शून्य हो गई है. यह तो अब उजागर तथ्य है कि राफ़ेल युदधक विमानों की ख़रीद में कैसे कैसे भ्रष्टाचार हुए हैं. सब जानते हैं कि ‘पीएम केयर्स फंड’ में हज़ारों करोड़ जमा हुए और क्यों उसका हिसाब देने के लिए नरेंद्र मोदी तैयार नहीं हैं. हर ज़िले में भाजपा के आलीशान कार्यालय कैसे खुले यह भी जनता देख रही है।


‘युवा भारत’ को दो करोड़ रोज़गार का वादा था लेकिन सलाह पकौड़े बेचने की मिली. इसी तरह से ‘शिक्षा और कौशल विकास’ का वादा करने वाली भाजपा ने शिक्षा के बड़े संस्थानों को राजनीतिक ध्रुवीकरण का अड्डा बना दिया और पहली बार देश ने निर्दोष छात्रों को पुलिस की मौजूदगी में गुंडों के हाथों पिटते देखा।


‘महिला सशक्तिकरण’ की बात करने वाली भाजपा के नेताओं ने जिस तरह से बलात्कारियों को संरक्षण दिया और जिस तरह से बलात्कार पीड़िता की लाश को आधी रात को परिवार से छिपकर जलाया यह सबको पता है. उनको गरिमामय जीवन देने का वादा था लेकिन मोदी जी के कार्यकाल जिस तरह से महिला अत्याचार के मामले बढ़ें हैं वह चिंता पैदा करते हैं. महिलाओं को आरक्षण की बात तो भाजपा भूलकर भी नहीं कर रही है।


‘समावेशी विकास’ भाजपा का प्रिय नारा है. लेकिन सच यह है कि भारत में विभिन्न जाति धर्म के लोगों के बीच खाई खोदी गई वह नरेंद्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के पहले कभी नहीं हुआ था. सच यह है कि भारत का अल्पसंख्यक समुदाय आज से पहले कभी भी इतना डरा हुआ नहीं था।


वादा सबके विकास का था लेकिन कुछ चुनिंदा कोरोबारियों और उद्योगपतियों का ही विकास हुआ है. देश की सारी संपत्ति दो प्रिय लोगों को बेची जा रही है. जिस व्यावसायी ने दस लाख का सूट दिया था उसे वेटिंलेटर के बड़े ठेके दे दिए गए।

‘सांस्कृतिक धरोहर’ की माला जपने वाली भाजपा ने हर धर्म स्थल को विवाद स्थल में बदलने की कोशिश की है. ‘नमामि गंगे’ शुरु करने वाला गंगा का बेटा आज गंगा में बह रही कोरोना के मृतकों की लाशों और गंगा के तट पर दफ़्न होते शवों पर चुप्पी साधे बैठा है।
‘वैश्विक भारत’ का सपना देखे नरेंद्र मोदी कोरोना से पहले विदेश यात्राओं में उलझे रहे लेकिन सच यह है कि हर वैश्विक मंच पर भारत हाशिए पर है और भारत का हर पड़ोसी देश उसे आंखें दिखा रहा है. यहां तक कि नेपाल भी अब भारत को ठेंगा दिखाना शुरु कर चुका है।

मोदी सरकार को 30 मई को सात साल पूरे हो गए. एक कार्यकाल पूरा और दो साल दूसरे कार्यकाल के. इन सात वर्षों में नरेंद्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री के रूप में जो कार्य किए वो एक बार नहीं बल्कि बार बार जनता को गहरी पीड़ा में डालने वाले रहे हैं. जो वादे प्रधानमंत्री बनने से पहले किए गए आज सरकार बिल्कुल उसके उलट जाती हुई दिख रही है.  चाहे वह मंहगाई की मार हो, नारीशक्ति पर अत्याचार हो या फिर भ्रष्टाचार हो. ‘अबकी बार मोदी सरकार’ कहने वाली भारतीय जनता पार्टी आज नरेंद्र मोदी जी के किसी भी वादे पर बात करने को तैयार नहीं है।

कांग्रेस पार्टी इन सात सालों को भारत देश के काले अध्याय के रूप में देखती है और जानती है कि बचे तीन वर्षों में नरेंद्र मोदी जी के पास देश के भलाई के लिए न कोई कार्ययोजना है और न उनकी मंशा ही इस देश की भलाई की है. वे बस अपनी छवि को लेकर चिंतित नज़र आते हैं और इसके लिए किसी भी हद तक जाने में नहीं हिचकते. कांग्रेस पार्टी को आज यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि वे एक गंभीर प्रधानमंत्री की जगह एक विदूषक अधिक दिखाई देने लगे हैं. कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और हमारे नेता राहुल गांधी जी ने नरेंद्र मोदी जी के लिए अब तक जो उपमाएं दी हैं वह सटीक साबित हुई हैं, चाहे वह ‘सूट बूट की सरकार’ हो, ‘चौकीदार चोर है’ हो, ‘हम दो हमारे दो’ हो या फिर ‘नौटंकी’ हो।
 

नरेंद्र मोदी सरकार के सात साल : पत्रवार्ता के बिंदु

प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के बाद नरेंद्र मोदी जी ने जो बड़े वादे किए थे उनमें से एक भी पूरे नहीं हुए. चाहे वह ‘अच्छे दिन’ की बात हो, कालाधन वापस लाकर ‘सभी के खातों में 15-15 लाख’ देने की बात हो या फिर हर साल दो करोड़ लोगों को रोज़गार देने की बात हो।

अच्छे दिन और हर व्यक्ति के खाते में 15-15 लाख देने की बात को तो भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह ने ही ‘चुनावी जुमला’ कह दिया था।


वर्ष 2019 का जो संकल्प पत्र पेश करते हुए नरेंद्र मोदी जी दावा करते हैं कि ‘सबका साथ सबका विकास का मंत्र भारत के कोने कोने तक गूंजा है’ लेकिन सच यह है कि इन्हीं नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल में धर्म और संप्रदाय के नाम पर समाज को टुकड़ों टुकड़ों में बांट दिया गया और इसी वजह से अंतरराष्ट्रीय पत्रिका टाइम ने उन्हें  ‘India’s Divider In-Chief’ 
  यानी ‘भारत का प्रमुख विभाजनकारी’ का तमगा दिया था।


इसी संकल्प पत्र में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी संकल्प पत्र में समावेशी विकास की बात की है लेकिन जनता गवाह है कि विकास सिर्फ़ भाजपा का, उसके नेताओं का और देश के चुनिंदा उद्योगपति और कारोबारियों का ही हुआ है।


अमित शाह जी ने 2014 से 2019 तक के कार्यकाल के ऐतिहासिक और आमूलचूल बदलाव लाने वाले कार्यों में ‘नोटबंदी’, ‘जीएसटी’ और ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का ज़िक्र किया है. देश का हर नागरिक जानता है कि नोटबंदी और जीएसटी ने देश की अर्थव्यवस्था का कैसा बंठाधार किया है. जिस सर्जिकल स्ट्राइक की वे वाहवाही लूटना चाहते हैं वह भारत मनमोहन सिंह जी के नेतृत्व में न जाने कितनी बार ख़ामोशी से कर चुका था. अमित शाह जी आज तक यह नहीं बता पाए हैं कि जिस पुलवामा हमले के बाद उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक की थी, वह पुलवामा का हमला किसने और कैसे किया? किसने षडयंत्र रचा?


नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों नेता लोकतंत्र की मज़बूती की बात करते हैं लेकिन सच यह है कि दोनों के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के भीतर ही लोकतंत्र ख़त्म हुआ है और पार्टी दो लोगों की पार्टी रह गई है और किसी को न कुछ बोलने की अनुमति है और न असहमति जताने की।


लोकतंत्र की मज़बूती की बात करने वाले दोनों नेताओं ने चुनाव आयोग से लेकर अदालतों तक हर लोकतांत्रिक संस्थाओं को ख़त्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. उल्टे उन्होंने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को ख़त्म करने के लिए आईटी, सीबीआई से लेकर ईडी तक हर एजेंसी का जमकर दुरुपयोग किया है।

दृनिर्वाचित राज्य सरकारों को पैसों और सत्ता की ताकत से जिस बेशर्मी के साथ गिराया गया ,लोकतंत्र को जिस तरह रौंदा गया उसने  आरएसएस की छत्र छाया और मोदी दृ शाह के नेतृत्व में भाजपा के तानाशाह चेहरे को दुनिया के सामने बेनकाब कर दिया ।

दृइन्हें मध्य प्रदेश में कांग्रेस की निर्वाचित सरकार गिरानी थी इसलिए तब तक देश में लॉक डाउन नहीं किया और आम लोगों की जिंदगी खतरे में डाल दी।

लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानी मीडिया का जितना दुरुपयोग भाजपा के सात सालों के कार्यकाल में हुआ है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का जैसा हनन इस दौरान हुआ है, उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को बहुत नुक़सान पहुंचाया है।

कुल मिलाकर बीते सात साल स्वतंत्र भारत के इतिहास में काले अध्यायों के सात साल साबित हुए हैं।
 

दुनिया भर के देशों के लिए अलग अलग अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं आंकड़े जारी करती हैं और बताती हैं कि दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में किसी देश की क्या स्थिति है।
इन आंकड़ों को दुनिया भर की संस्थाएं स्वीकार करती हैं और इसे एक सूचकांक की तरह देखती हैं कि देश में लोगों की हैसियत या स्थिति कैसी है।
सच यह है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से भारत की स्थिति लगातार ख़राब होती गई है और अब स्थित यह है कि कई मामलों में एक छोटा पड़ोसी देश बांग्लादेश भी भारत से बहुत अच्छी स्थिति में पहुंच गया है.हम आपको विभिन्न विषयों पर भारत की स्थिति का आंकड़ा दे रहे हैं.।


ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी भुखमरी के इंडेक्स में भारत लगातार पिछड़ रहा है. 2016 में हम 97वें स्थान पर थे और 2019 में हम पिछड़कर 102 वें स्थान पर पहुंच गए।
 

Global hunger index 2019 India Rank – 102th out of 117 countries 
Global hunger index 2018 India Rank – 103th out of 119 countries 
Global hunger index 2017 India Rank – 100th out of 119 countries 
Global hunger index 2016 India Rank – 97th out of 119 countries 


मानव विकास इंडेक्स में हम लगातार 131 वें स्थान पर बने हुए हैं. यानी नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल में इसमें कोई सुधार नहीं हुआ है।


Human Development Index 2020 India rank – 131st out of 189 countries
Human Development Index 2019 India rank – 131st out of 189 countries
Human Development Index 2018 India rank – 130th out of 189 countries
Human Development Index 2017 India rank – 131st out of 188 countries
Human Development Index 2016 India rank  – 131st out of 188 countries


वर्ल्ड प्रेस फ़्रीडम इंडेक्स के आंकड़े बताते हैं कि भारत दुनिया भर के देशों में लगातार पिछड़ रहा है. यानी भारत में मीडिया की स्वतंत्रता लगातार कम हो रही है।


3-  World Press Freedom Index 
2020-21    –  142th
2019-20    – 140th
2018-19    – 138th


करप्शन परसेप्शन इंडेक्स यानी भ्रष्टाचार पर लोगों की सोच के आधार पर जो इंडेक्स तैयार होता है, उसके आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार को लेकर लोगों के बीच यह धारणा बढ़ती जा रही है कि मोदी सरकार में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है इसीलिए वह इंडेक्स में पिछड़ता जा रहा है।

 

4- Corruption Perception Index
 2020-21      86th
2019-20       78 th
2018-19        81 th


मानव स्वतंत्रता इंडेक्स में भारत लगातार एक ही स्थान पर दिख रहा है. इसका अर्थ यह है कि जैसे जैसे नरेंद्र मोदी जी का कार्यकाल बढ़ रहा है भारत में मानव स्वतंत्रता की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।

 

5- Human Freedom Index – 
2020 – 111th out of 162
2019 – 94th out of 162
2018 – 110th out of 162
2017   102th out of 162


किसी भी देश की ख़ुशहाली का सूचकांक यह बताता है कि देश की जनता के पास ख़ुश होने के कितने मौक़े हैं और देश की सरकार इसके लिए कितने प्रयास कर रही है. इस सूचकांक पर नज़र डालें तो पता चलता है कि 2016 के बाद से लोगों के ख़ुश होने के मौक़े लगातार घटे हैं और आज भारत 118 वीं पायदान से नीचे गिरकर 144 वीं पायदान पर पहुंच गया है।


6- World Happiness Report Index
2020- 144th
2019-140th
2018-133th
2017-122th
2016-118th

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