April 30, 2024

कोविड 19 की प्रभावी प्रबंधन में जनसंचार माध्यमों की भूमिका वेबीनार का आयोजन

File Photo

बिलासपुर.  कोविड-19 की प्रभावी प्रबंधन मे जनसंचार माध्यमों की भूमिका विषय पर अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय द्वारा वेबीनार का आयोजन किया गया।  इस कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर सुधीर शर्मा कुलसचिव आयोजन के संबंध में वर्तमान समय में सटीक पत्रकारिता की क्यों आवश्यकता है वर्तमान समय में जनसंचार की इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। वही वक्ता के तौर पर प्रोफेसर शशीकांत शर्मा पत्रकारिता व जनसंपर्क विभाग हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से बोलते हुए उन्होंने पत्रकारिता के द्वारा सकारात्मक एवं नकारात्मक खबरों का लोगों के जनमानस को प्रभावित करते। उन्होंने वर्तमान कोविड-19 में पत्रकारिता की भूमिका पर अपनी बात कहते हुए कहा की वर्तमान समय में इसका क्या फायदा क्या नुकसान है यह बता पाना अत्यधिक कठिन है। क्योंकि यह महामारी अभी चल रही भविष्य के वर्षों में इसका भी सटीक विश्लेषण किया जा सकेगा। उदाहरण के तौर पर 2009 में जब चीन में h1 वायरस आया था उस समय पत्रकारिता का जनमानस पर सकारात्मक प्रभाव खबरों का पड़ा था। जहां तक खबरों के नकारात्मक पहलू पर बात करते उन्होंने विस्तार से कहा की वर्तमान समय में नकारात्मक खबरें ही फायदेमंद है। क्योंकि इन खबरों से जनता पर डर पैदा होता है जिससे कोविड के प्रोटोकॉल को पालन करने के लिए यह खबरें सहायक होती हैं। पाठक के  धरना के कारण ही वह इन चीजों का पालन करता है। वही जनसंचार के माध्यम से पत्रकारिता के माध्यम से न्यायपालिका सरकार प्रशासन आदि को फीडबैक मिलता है। जिससे कानून का पालन करने में सहायता मिलती है। उन्होंने पत्रकारों से निवेदन किया कि सकारात्मक खबरें प्रमाणिक खबरों को छापे वही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बारे में भी खबरों को सही तरीके से दिखाएं जहां तक पत्रकारिता जगत को आर्थिक नुकसान की बात है। तो उन्होंने प्रिंट मीडिया का नहीं बिकना उनका संप्रेषण नहीं होना भी आर्थिक क्षति पहुंचा रहा है। पत्रकारों को सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए अंधविश्वास  की खबरों से बचना चाहिए। मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए *प्रोफेसर राम मोहन शुक्ला* कुलपति नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय प्रयागराज उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात बताई की वर्तमान महामारी में सांस और संचार का कितना महत्व यह दोनों एक दूसरे के अटूट रिश्ते में बंधे हुए हैं दोनों की वर्तमान समय में क्या आवश्यकता है। जहां सांस जीवन है वही जीवन संचार है। इस वैश्विक बिमारी में पत्रकारिता दांव पर लगी हुई है।  मृत्यु का भय सता रहा है विगत 20 वर्षों में पत्रकारिता जगत में काफी परिवर्तन हुआ है जो आज हमारी जीवनशैली का अंग हो गया है। पहले न्यूज़ हुआ करती थी वह आज स्टोरी का रूप ले लिया खबरों की प्रमाणिकता के लिए खबरों को चेक करना री चेक करना क्रॉस चेक करेंगे तो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के साथ मेरा कहना है। कि पांचवा स्तंभ के तौर पर भी कार्य कर पाएंगे खबरों को लिखने और दिखाने के पहले आत्म संयम बरतना सत्य खबर दिखाना।  गांधीजी के दक्षिण अफ्रीकी यात्रा के तौर पर बताया आत्मबल क्यों आवश्यक है ? उन्होंने गांधी,बुद्ध, विवेकानंद जी के द्वारा प्रार्थना का  महत्व आवश्यक है। पत्रकारिता जगत से वर्तमान महामारी में अगर बलिदान भी मांगता है तो इसके लिए भी हमें आगे आना चाहिए। वही इस महामारी से शिक्षा जगत मे क्षति हुई है। मैदानों से खेलते ही बच्चों की किलकारी दूर हुई है। महाविद्यालय स्कूलों से छात्रों का समूह नदारद है। तथा पत्रकारों को जनता की अदालत ओं के तौर पर काम करना चाहिए। वहीं उन्होंने वर्तमान समय में पत्रकार अपनी भूमिका का निर्वहन बहुत अच्छी तरह से कर रहे। कुछ सुधार की आवश्यकता है। इस वेबीनार में पत्रकारिता जगत में पित्र पुरुष  प्राचीन एवं आधुनिक पत्रकारिता के जनक के नाम से विख्यात *डॉ वेद प्रकाश वैदिक* वरिष्ठ पत्रकार अपनी लेखनी और आवाज से बुलंद रखने के लिए विगत 65 वर्षों से पत्रकारिता जगत में एक सितारे के तौर पर उभर कर आए। मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए कम शब्दों में बोलते हुए इस पत्रकारिता जगत को पत्रकारों को ईश्वर से भी अधिक प्रभाव सील बताया। उन्होंने कहा पत्रकार अपनी वाणी कलम अनुभव के अनुसार करोड़ों लोगों को प्रभावित करते है।  पत्रकारों के लिए उन्होंने संयम मर्यादा ध्यान और सत्य में अटल रहने के लिए कहा पत्रकारों को उन्होंने *सहस्त्र मुख नहीं कोटी मुख कहा* वहीं उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को भी खबरों को दिखाने में संयम की बात कही। वही नैतिक जिम्मेदारी का भी निर्वहन करने के लिए कहा पोल खोलना कालाबाजारी रोकना महामारी काल में पत्रकारों को चाहिए। महामारी काल में जुड़े हुए सामानों को मेडिकल सुविधाओं को उनके उपकरणों की अगर कोई कालाबाजारी करता है। तो उसे कड़ी से कड़ी सजा दिलाने में अपनी महती भूमिका निभाई। पत्रकारों को भी अपना आत्ममंथन करना चाहिए। व्यक्तिगत स्वार्थ गैर राजनीतिक सोच जनता के लिए के हित में कार्य करना चाहिए। वहीं उन्होंने राजनीतिक दलों को भी नसीहत दी की वर्तमान संकट काल में आपस मतभेद में छोड़कर राष्ट्रहित जनता के लिए कार्य करना चाहिए। वहीं उन्होंने एक बहुत बड़ी बात कही भारत के प्रजातंत्र में विभिन्न राजनीतिक दल के 15 करोड़ राजनीतिक कार्य करता है। जबकि भारत की जनसंख्या 1 अरब 30 करोड़ अगर एक कार्यकर्ता भी 10 लोगों की जिम्मेदारी लेता है तो यह कार्य बहुत बड़ा पुनीत कार्य होगा। यह बहुत बड़ी मदद होगी वहीं उन्होंने विगत करोना काल में हिंदी अखबारों के द्वारा आचार विचार व्यवहार स्वास्थ्य गत इस महामारी काल में लेखों से जनता की जो भलाई कर रहे हैं। उन पत्रकार समूहों को साधुवाद दिया। उन्हें देवदूत की संज्ञा दी वहीं उन्होंने *खबर पालिका* का एक नया नाम दिया।  सरकार की ओर ध्यान दिलाते हुए लगातार जब हमारे पत्रकार बंधु इस महामारी के बीच में जाकर खबरों का निष्पादन कर रहे हैं और मृत्यु को भी प्राप्त हो रहे हैं। उन्हें इस पुनीत कार्य के लिए सम्मानित करें। तथा उनके परिवारों को आर्थिक सहायता भी सरकार करें। जिससे पत्रकार निर्भय होकर अपने कार्य को मूर्त रूप दे सकें। उन्होंने विश्व के सबसे बड़े देश अमेरिका में पत्रकारों के द्वारा दबाव से करोना महामारी की वैक्सीन पेटेंट को खत्म करने के लिए दबाव बनाया। जिससे पूरे विश्व के लिए वैक्सीन उपलब्ध हो। सके इससे उन्होंने पत्रकारिता की ताकत का एहसास दिलाया। वही अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय के कुलपति प्रसिद्ध शिक्षाविद अपने आप में शिक्षण संस्थान की ताकत रखने वाले बुद्धिजीवी प्रोफेसर एडीएन बाजपेई ने अपने उद्बोधन में स्वतंत्रता के पूर्व एक पत्रकार की ताकत और हिम्मत क्या होनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने पंडित *मदन मोहन मालवीय* का नाम लिया उन्होंने बताया कि जब जलियांवाला बाग का हत्याकांड हुआ था। अंग्रेजों के भय के कारण किसी भी पत्रकार को उस पर लिखने की हिम्मत नहीं हुई थी। लेकिन मदन मोहन मालवीय ने वहां जाकर पीड़ित लोगों से मिलकर उनकी खबर लिखी। उन्होंने आजाद हिंद फौज का उदाहरण देते हुए रोटी पर कमल का निशान बनाकर सूचना देने  का तरीका बताया। वहीं उन्होंने राजनीतिक दलों में नैतिक मूल्यों की कमी की बात उजागर की वहीं उन्होंने पत्रकारिता को प्रजातंत्र में पहला स्तंभ कहना चाहिए। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी और ऐसा होना चाहिए वही न्यूज़ चैनलों को प्रमाणिक खबर दिखाना चाहिए। वर्तमान समय में टीआरपी बढ़ाने के चक्कर में खबरों में सत्यता प्रतीत नहीं होती है। उन्होंने वेद के श्लोकों से रामधारी दिनकर की कविताओं से पत्रकारिता के बारे में कहते हुए जनता के मन की बात समझे । संचार माध्यमों के द्वारा इस महामारी में खबरों की प्रमाणिकता सटीकता सत्ता की ओर ध्यान देते हुए अपनी नैतिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने के लिए कहा। खबरों को नकारात्मक नहीं होनी चाहिए सकारात्मक एवं ज्ञानवर्धक होनी चाहिए । जिससे जनता का भरोसा पत्रकारिता पर बना रहे। वहीं उन्होंने एक पत्रकारों के लिए जो पत्रकार सरहद में जाकर पत्रकारिता अपनी जान जोखिम करके लिखते हैं उनके लिए वह भावुक हो गए। उन्होंने जनता से भी निवेदन किया कि पत्रकार भी डॉक्टर  पुलिस सैनिक देश की सेवा करते हैं, उन्होंने देश के लिए पत्रकार की संवेदनशीलता को भी बताया। जनता सरकार द्वारा भी पत्रकारों का सम्मान उसी तरह से करना चाहिए। जैसे एक देशभक्त का होता है अंतिम में उन्होंने करोना काल में जिन पत्रकारों की मृत्यु हुई है।उनको भी याद करके अपनी संवेदनाएं व्यक्त की।  कार्यक्रम की समन्वयक प्रोफ़ेसर श्रिया साहू ने समस्त अतिथियों का परिचय उनकी मुख्य बातें बताई। वही समन्वयक प्रोफेसर सौमित्र तिवारी कार्यक्रम में आमंत्रित सभी वक्ता मुख्य अतिथि कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति कुलसचिव के द्वारा कहीं बातों को अपनी बातों के द्वारा उन्होंने इस कार्यक्रम को लघु कुंभ नाम दिया। जहां उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रकाश वैदिक पत्रकारों की  तुलना ईश्वर से की सास और संचार की बात की  प्रो. शर्मा जी के द्वारा कहे नकारात्मक खबरों को अभी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पाठक जी द्वारा प्रजातंत्र में पांचवी स्तंभ की तुलना पत्रकारिता से कीl वहीं कुलपति महोदय के द्वारा राजनीतिक दलों और एक पत्रकार का बलिदान देश के लिए वैसा ही होता है जैसा कि एक सैनिक का। उन्होंने इस वेबीनार के माध्यम से पूरे पत्रकार जगत को साधुवाद दिया। तथा उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post अफवाहों से बचे, कोरोना से बचाव के लिये वैक्सीन अवश्य लगवाएं सर्दी, खांसी बुखार होने पर न लगवाएं वैक्सीन : डॉ. कृष्ण मूर्ति बांधी
Next post मोदी टीका दो स्लोगन के साथ एनएसयूआई ने घरों के बाहर किया प्रदर्शन
error: Content is protected !!