April 27, 2024

एसबीआई 21 मार्च तक चुनावी बॉन्ड योजना से संबंधित सभी जानकारियों का पूरा विवरण दे

नयी दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तीसरी बार भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को फटकार लगाते हुए उसे मनमाना रवैया न अपनाने और 21 मार्च तक चुनावी बॉन्ड योजना से संबंधित सभी जानकारियों का पूरी तरह खुलासा करने को कहा। एसबीआई को विशिष्ट बॉन्ड संख्याएं भी बतानी होंगी, जिससे खरीदार और प्राप्तकर्ता राजनीतिक दल का खुलासा होगा।

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘एसबीआई के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक बृहस्पतिवार (21 मार्च) को शाम पांच बजे से पहले हलफनामा दाखिल कर यह बताएं कि बैंक ने चुनावी बॉन्ड की उसके पास उपलब्ध सभी जानकारियों का खुलासा कर दिया है और कोई भी जानकारी छिपायी नहीं है।’ पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग एसबीआई से जानकारियां मिलने के बाद अपनी वेबसाइट पर तुरंत इन्हें अपलोड करे।

बॉन्ड विवरण के खुलासे के खिलाफ उद्योग निकायों- एसोचैम और सीआईआई की गैर-सूचीबद्ध याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया। उनकी तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील देने की कोशिश की तो सीजेआई चंद्रचूड़ ने उन्हें टोकते हुए कहा, ‘आप अभी बहस न करें। अभी आपके सहयोग की जरूरत नहीं।’ रोहतगी ने उद्योग निकायों द्वारा दायर आवेदनों का हवाला दिया तो सीजेआई ने कहा कि हमारे बोर्ड में ऐसा कोई आवेदन नहीं है। रोहतगी ने कहा कि अब ब्योरा देने के लिए कैसे कहा जा सकता है। इस पर सीजेआई ने कहा कि हमने 12 अप्रैल, 2019 से विवरण एकत्र करने का निर्देश दिया था, उस वक्त सभी को नोटिस दिया गया था। यही कारण है कि हमने अंतरिम आदेश से पहले बेचे गये बॉन्ड का खुलासा करने के लिए नहीं कहा, यह संविधान पीठ का एक सचेत निर्णय था।

बार एसोसिएशन अध्यक्ष के पत्र पर उठाये सवाल शीर्ष अदालत ने फैसले की समीक्षा का अनुरोध करने वाले ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ के अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आदिश सी. अग्रवाला के पत्र पर विचार करने से भी इनकार कर दिया। सीजेआई ने कहा, ‘एक वरिष्ठ अधिवक्ता होने के अलावा, आप एससीबीए के अध्यक्ष हैं। आप प्रक्रिया जानते हैं। आपने मेरी स्वत: संज्ञान संबंधी शक्तियों को लेकर पत्र लिखा है। इसका उल्लेख करने का औचित्य क्या है? ये सभी प्रचार संबंधी चीजें हैं। हम इसकी अनुमति नहीं देंगे। मुझे और कुछ कहने के लिए मजबूर न करें।’

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