नानाजी देशमुख के ग्रामविकास का प्रतिमान विश्व का मार्गदर्शक : मुकुल कानिटकर
वर्धा. भारतीय समाज कार्य दिवस (राष्ट्र-ऋषि नानाजी देशमुख के जन्म दिवस) के अवसर पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के वर्धा समाज कार्य संस्थान की ओर से मंगलवार 11 अक्टूबर को आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने कहा कि नानाजी देशमुख का ग्रामविकास का प्रतिमान विश्व का मार्गदर्शक बन सकता है। कस्तूरबा सभागार में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी अध्यक्षता कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने की। इस दौरान विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व प्राचार्य एवं क्षेत्रीय निदेशक यशवंतराव चौहान मुक्त विश्वविद्यालय डॉ. नारायण मेहरे तथा वर्धा समाज कार्य संस्थान के निदेशक प्रो. मनोज कुमार मंचासीन थे। मुकुल कानिटकर ने कहा की नानाजी देशमुख का जन्मदिवस समाजकार्य दिवस के रूप में पिछले पाँच वर्षों से मनाया जा रहा है। अब यह आयोजन सौ से अधिक स्थानों पर हो रहा है। उन्होंने कहा कि नानाजी ने आयु के 60 वर्ष के बाद समाजकार्य का आदर्श प्रतिमान खड़ा किया और धर्माधारित विकास के लिए ग्राम का चुनाव किया। यह उनकी तपस्या का ही प्रतिफल है कि लगभग 863 गावों में उनकी प्रतिमान के प्रयोग चल रहे है। इसमें विश्व की त्रासदी को हरने की क्षमता है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि नानाजी ने टंटामुक्त और स्वावलंबन गांव की संकल्पना को वास्तव में उतारा और जागरूक तथा उत्तरदायी व्यक्ति की अवधारणा से इसका अनुप्रयोग किया। नारायण मेहरे ने ग्राम विकास और पाठ्यक्रमों के भारतीयकरण पर विचार रखते हुए समाज कार्य दिवस के आयोजन की सराहना की। आधार वक्तव्य में प्रो. मनोज कुमार ने कहा कि गांधीजी द्वारा सन 1934 से शुरू किए कार्य को नानाजी देशमुख ने ग्रामीण विकास की दृष्टि दी। वर्धा समाज कार्य संस्थान इसे आगे बढ़ा रहा है।
कार्यक्रम की शुरूआत दीप दीपन, कुलगीत एवं डॉ. जगदीश नारायण तिवारी द्वारा मंगलाचरण की प्रस्तुति से की गयी। स्वागत वक्तव्य सहायक प्रोफेसर डॉ. मिथिलेश कुमार तिवारी ने दिया। कार्यक्रम का संचालन वर्धा समाज कार्य संस्थान के सहायक प्रोफेसर डॉ. शिवसिंह बघेल ने किया तथा दर्शन एवं संस्कृति विभाग के अध्यक्ष डॉ. जयंत उपाध्याय ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत से हुआ। इस अवसर पर अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्ष सहित अध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।