May 13, 2024

विश्व पर्यावरण दिवस-शिक्षा के क्षेत्र में पर्यावरण का ज्ञान मानवीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है : योग गुरु महेश अग्रवाल

भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक योग केंद्र  स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल कई वर्षो से निःशुल्क योग प्रशिक्षण के द्वारा लोगों को स्वस्थ जीवन जीने की कला सीखा रहें है वर्तमान में भी ऑनलाइन माध्यम से यह क्रम अनवरत चल रहा है | योग प्रशिक्षण के दौरान केंद्र पर पर्यावरण के बारे में भी जागरूक किया जाता है, योग गुरु अग्रवाल ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कहा कि भारत में सुख, समृद्धि, शक्ति और स्वास्थ्य के साथ अच्छा पर्यावरण के लिए हर व्यक्ति को योगाभ्यास करना चाहिए।* जैसा मन वैसा पर्यावरण, भारत के सर्वाधिक हरे भरे क्षेत्र आज सबसे ज्यादा अशांत नजर आते इससे सिद्ध होता है कि यदि हम बाहरी पर्यावरण का सुख लेना चाहते हैं तो सर्वप्रथम हमें अपने अंतर्मन के पर्यावरण को शुद्ध करना पड़ेगा | मन को स्वच्छ बनाने के साथ साथ पृथ्वी को हरा भरा बनायेंगे तभी सच्ची सुख शांति पायेंगे, इसके लिए योग विद्या भारत वर्ष की सबसे प्राचीन संस्कृति और जीवन – पद्धति है तथा इसी विद्या के बल पर भारत वासी प्राचीन काल में सुखी, समृद्ध और स्वस्थ जीवन बिताते थे | हमारे ऋषि, आचार्यों ने विभिन्न प्रकार के आसनों के नाम वर्षो पहले इस प्रकार से रखे ताकि हमारा जुड़ाव प्रकृति से बना रहें एवं पर्यावरण को बिना नुकसान करें,प्रकृति के गुणों को भी आत्मसात् कर सकें।

लोगों को हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रेरित करने, पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक करने और सचेत करने के उद्देश्य से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। हर साल इस दिन को मनाने के लिए एक थीम रखी जाती है, जिसके आधार पर ही इस दिन को मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम  इकोसिस्‍टम रेस्‍टोरेशन यानी कि पारिस्थितिकी तंत्र बहाली है.* इकोसिस्‍टम रेस्‍टोरेशन के तहत पेड़ लगाकर या पर्यावरण की रक्षा कर प्रदूषण के बढ़ते स्तर को कम करना और इकोसिस्‍टम पर बढ़ते दबाव को कम करना है. 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिल कर हुआ है। “परि” जो हमारे चारों ओर है”आवरण” जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है,अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत एक इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। पर्यावरण वह है जो कि प्रत्येक जीव के साथ जुड़ा हुआ है हमारे चारों और वह हमेशा व्याप्त होता है।
शिक्षा के माध्यम से पर्यावरण का ज्ञान शिक्षा मानव-जीवन के बहुमुखी विकास का एक प्रबल साधन है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के अन्दर शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संस्कृतिक तथा आध्यात्मिक बुद्धी एवं परिपक्वता लाना है।  शिक्षार्थियों को प्रकृति तथा पारिस्थितिक ज्ञान सीधी तथा सरल भाषा में समझायी जानी चाहिए। शुरू-शुरू में यह ज्ञान सतही तौर पर मात्र परिचयात्मक ढंग से होना चाहिए। आगे चलकर इसके तकनीकी पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में पर्यावरण का ज्ञान मानवीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
लोग अपने आस पास के आवरण को नष्ट करने का हर संभव प्रयास में लगे हुए है पर्यावरण की सुरक्षा तो सिर्फ दिमाग मे ही है नगरीकरण तथा  औद्योगीकरण के कारण पर्यावरण का अधिक से अधिक दोहन हो रहा है और इसका सीधा परिणाम यही निकल कर आ रहा है कि पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता जा रहा है जिससे कहीं सूखा कही अतिवृष्टि जैसी समस्याएं उत्पन्न होती जा रही है। जो जमीन कल तक उपजाऊ थी आज देखा जाए तो उसमें अच्छी फसल नही होती और ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाले समय मे यह बंजर हो जाएगी। हमे पर्यावरण के संतुलन के लिए सभी को मिलकर कदम बढ़ाना होगा नही तो यह वसुन्धरा कही जाने वाली हमारी पृथ्वी एक दिन बन्जर होकर रह जायेगी और इससे जीवन समाप्त हो जाएगा और यह फिर से वही आकाश पिण्ड का गोला बनकर रह जायेगी।

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