May 12, 2024

विश्व पर्यटन दिवस – पर्यटन के माध्यम से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभ के साथ दुनिया के बीच संतुलन स्थापित कर लेता है : योग गुरु महेश अग्रवाल

भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र  स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि आजकल के समय में हर व्यक्ति किसी ना किसी परेशानी से घिरा हुआ है,पैसे और चकाचौंध के बीच ऐसा लगता है मानो खुशी तो कहीं गुम हो गई है। बावजूद इन सबके हर व्यक्ति को अपने जीवन में कुछ समय ऐसा जरूर निकालना चाहिए जिससे वो दूसरे देश या जगह का पर्यटन करे और खुशियों को फिर से गले लगा सके। इसके लिए विश्व पर्यटन दिवस सबसे अच्छा मौका है। हर साल 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। पर्यटन सिर्फ हमारे जीवन में खुशियों के पल को वापस लाने में ही मदद नहीं करता है बल्कि यह किसी भी देश के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज के समय में जहां हर देश की पहली जरूरत अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है वहीं आज पर्यटन के कारण कई देशों की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती है।
योग गुरु अग्रवाल ने मानवीय जीवन में पर्यटन एवं मानसिक स्वास्थ्य व योग के संबंध के बारे में बताया । इन तीनों में से योग सबसे विस्तृत व्यापक एवं पूर्ण है किन्तु इसका सीधा सम्बन्ध पर्यटन एवं मानसिक स्वास्थ्य से है। ये तीनों मानवीय जीवन की तीन क्रमिक सीढ़ियां है जिसमें से प्रथम पायदान पर पैर रख कर ही दूसरे पर आरूढ़ होना सम्भव है। पर्यटन के पायदान पर कदम रखने पर मानसिक स्वास्थ्य का द्वार स्वतः खुल जाता है और मानसिक स्वास्थ्य को प्राप्त व्यक्ति की स्थिति योग के लिए तैयार रहती है। पर्यटन स्थल विशेष की इस जीवन में की जाने वाली यात्रा है किन्तु योग में जीवन यात्रा  पूर्णतः निहित है। पर्यटन का मुख्य उद्देश्य अध्ययन, खोज या जिज्ञासा है। यह  मनोरंजन परक भी हो सकती है। पर्यटन और योग में समन्वय स्थापित होने पर यह यात्रा मात्र बाह्य जगत की ओर न होकर अन्तर्जगत की ओर भी होने लगती है। योग या अध्यात्म में इसी के लिए सूत्र आया है  – यत् पिण्डे तत् ब्रह्माडे जो चीजें पिण्ड अर्थात् मानवीय काया में विद्यमान है वह सभी चीजें ब्रह्माण्ड के कण-कण में भी उपस्थित है। पर्यटन को योग से जोड़ने पर पर्यटन के भीतर की मनोरंजन परक जिज्ञासा, आनन्दपरक जिज्ञासा का व्यापक रूप धारण कर लेती है। ऐसी स्थिति में मानसिक स्वास्थ्य पर्यटन और योग के मध्य पुल का कार्य करता है। पर्यटक के भीतर विकसित यौगिक दृष्टिकोण पर्यटन स्थल के माध्यम से प्रकृति का सामीप्य अनुभव करता है। प्राकृतिक सामीप्य की अनुभूति अर्थात् प्रकृति के साथ स्थापित हुआ अपनत्व का भाग पर्यटक को कर्मों की कुशलता से जोड़ देता है। यही कुशलता उसके जीवन में उत्कर्ष को लाकर जीवन यात्रा की पूर्णता की ओर ले जाती है।
पर्यटन को योग से जोड़ने पर पर्यटन का स्वरूप भी योग जितना विस्तृत एवं व्यापक हो जाता है। योग वास्तव में मनुष्य की चित्त की वृत्तियों का निरोध है। जितना जितना मनुष्य की चित्त वृत्ति का निरोध होता जाता है उतना उतना मानवीय कार्यों में कुशलता आती जाती है। पर्यटन के माध्यम से मनुष्य स्वंय के और चारों तरफ की दुनिया के बीच संतुलन स्थापित कर लेता है। यह सन्तुलन जब योग की ओर उन्मुख होता है तो उसमें कुशलता आती जाती है क्योंकि यौगिक दृष्टि विकसित करने और योग से सम्बन्ध साधने पर पर्यटक के भीतर परिशोधन और परिमार्जन की  प्रक्रिया घटित होती है। पर्यटक का परिशोधित व्यक्तित्व पर्यटन के दौरान प्रकृति के सुन्दर, विशुद्ध रूप से सम्बन्ध साध कर ध्यान की भूमि में प्रवेश के योग्य हो जाता है। अब पर्यटक की यात्रा का उद्देश्य मनोरंजन मात्र न रहकर यौगिक रूप धारण कर आन्तरिक अहलाद एवं आनन्दानुभूति हो जाता है। ऐसा सम्भव होने पर पर्यटक के भीतर की सुप्त क्षमताओं का जागरण सम्भव हो जाता है। पर्यटक की जिज्ञासु मनोभूमि का प्रवेश ज्ञान के नये आयाम में होता है। ऐसी मनोभूमि में पहुँचा पर्यटक शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभार्जन के साथ अपनी विकसित क्षमताओं एवं सम्भावनाओं के द्वारा देश एवं राष्ट्र को भी प्रभावित करता है। योग, पर्यटक के लिए प्रकृति की चेतना से जुड़कर प्रकृति के रहस्यों को भेद कर अभेद परमात्मा तक पहुँचने का राजमार्ग है। ऐसा होने पर पर्यटकों के लिए पर्यटन की सीमा विश्वव्यापी से विस्तार पाकर ब्रह्माण्ड व्यापी हो जाती है। पर्यटक की चेतना विस्तार लेकर परमात्मव्यापी होकर परमात्मलीन हो सकती है। जो कि पर्यटन का सर्वश्रेष्ठ सुफल बन सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post VIDEO : वनांचल विकासखंड नगरी में युवा छात्रों को नशे से दूर रहने बीईओ सतीश प्रकाश सिंह ने किए प्रेरित
Next post भूपेश सरकार के द्वारा पिछड़ा वर्ग समाज को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया गया : धरमलाल कौशिक
error: Content is protected !!