Chinese Ambassador को संसद में घुसने से रोका, ये है वजह
लंदन. ब्रिटेन (Britain) में चीन के नए राजदूत (Chinese Ambassador) को उस वक्त शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा, जब ब्रिटिश सांसदों (British MPs) ने उनके संसद में प्रवेश पर रोक लगा दी. सांसदों का कहना है कि मौजूदा वक्त में चीनी राजदूत को संसद के दोनों सदनों को संबोधित करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. दरअसल, ब्रिटेन में चीन द्वारा की गई उस कार्रवाई के प्रति गुस्सा है, जिसमें बीजिंग ने कुछ ब्रिटिश सांसदों पर प्रतिबंध लगाया है.
सांसदों ने Speaker को लिखा पत्र
खबर के अनुसार, चीन के नए राजदूत झेंग जेगुआंग (Ambassador Zheng Zeguang) को ब्रिटिश संसद के दोनों सदनों को संबोधित करना था, लेकिन सांसदों के विरोध के चलते ये संभव नहीं हो सका. डंकन स्मिथ (Duncan Smith) के नेतृत्व में ब्रिटिश सांसदों ने हाउस ऑफ कॉमन्स के अध्यक्ष लिंडसे हॉयल (Lindsay Hoyle) को पत्र लिखकर कहा कि चीनी राजदूत को संसद में प्रवेश करने से रोका जाए.
Hoyle ने मांग को ठहराया जायज
स्पीकर लिंडसे हॉयल ने सांसदों की मांग को जायज ठहराते हुए कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि चीनी राजदूत का हाउस ऑफ कॉमन्स आना उचित है. जबकि हमारे कुछ सदस्यों के खिलाफ बीजिंग ने प्रतिबंध लगाए हैं’. उन्होंने कहा कि यदि प्रतिबंध हटा लिए जाते हैं, तो फिर ये कोई मुद्दा नहीं होगा. स्पीकर ने आगे कहा, ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि बैठक नहीं हो सकती, मैं सिर्फ इतना कह रहा हूं कि ये फिलहाल यहां (संसद) मुमकिन नही, जब तक कि प्रतिबंध लागू हैं’.
इस बात से भड़का हुआ है China
ब्रिटेन ने कुछ वक्त पहले शिनजियांग क्षेत्र में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप में चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए थे. चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने शिनजियांग में हजारों वीगर मुस्लिमों को गुलाम बनाकर रखा है. उनसे जबरन काम करवाया जाता है और तरह -तरह से प्रताड़ित किया जाता है. अमेरिका भी इस मुद्दे पर चीन के खिलाफ कई कड़े कदम उठा चुका है. ब्रिटेन की इस कार्रवाई से नाराज चीन ने उसके कुछ सांसदों पर प्रतिबंध लगा दिया है.
Ambassador के अपमान पर ड्रैगन लाल
वहीं, ब्रिटिश सांसदों द्वारा अपने राजदूत को अपमानित किए जाने पर चीन भड़क गया है. बीजिंग ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे घृणित और कायरतापूर्ण कार्रवाई करार दिया है. गौरतलब है कि अल्पसंख्यकों पर चीनी अत्याचार के खिलाफ दुनिया के तमाम देश आवाज उठाते रहे हैं. विशेषतौर पर अमेरिका और ब्रिटेन ने कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिनसे चीन बौखला गया है. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तो बीजिंग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.