नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षकों का मानकीकरण जरूरी : प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल
वर्धा. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि अध्यापकों के लिए नई शिक्षा नीति के अंतर्गत मानकीकरण आवश्यक है। बदलते परिदृश्य में ऑनलाईन एवं ऑफलाईन शिक्षा में शिक्षकों को नई चुनौतियों का मुकाबला करने के तैयार रहना चाहिए। प्रो. शुक्ल राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद एवं शिक्षा विभाग, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के संयुक्त तत्वावधान में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत शिक्षकों के राष्ट्रीय व्यवसायगत मानक’ विषय पर आयोजित मुक्त सदन विमर्श कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। बुधवार 29 दिसंबर को विश्वविद्यालय के गालिब सभागार में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर मध्यप्रदेश की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के अवर सचिव डी. के. चतुर्वेदी एवं राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के ऋषभ खन्ना, मुंबई विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग की अध्यक्ष प्रो. सुनीता मगरे, शिक्षण शास्त्र संकुल, स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय नांदेड के निदेशक प्रो. डॉ. चंद्रकांत राघो बाविस्कर, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग की अध्यक्ष प्रो. राजश्री वैष्णव, संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा के निदेशक डॉ. अविनाश असनारे, हिंदी विवि. के शिक्षा विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. मनोज कुमार उपस्थित थे।
प्रो. शुक्ल ने कहा कि शिक्षक श्रेष्ठ और व्यवहारयुक्त बने इसका प्रयास जरूरी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अध्यापक शिक्षा को महत्व देते हुए शिक्षकों के प्रशिक्षण पर अधिक बल दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षकों के व्यावसायिक मानको के निर्धारण को अंतिम रूप देने के लिए बोध और कौशल दोनों पक्षों पर ध्यान देना चाहिए। इस विषय पर विमर्श करने हेतु देशभर के पंद्रह विश्वविद्यालयों को चुना गया है जिसमें हिंदी विश्वविद्यालय को स्थान मिला है। इसके लिए प्रो.मनोज कुमार अधिष्ठाता शिक्षा विद्यापीठ ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की सराहना की। अवर सचिव डी.के. चतुर्वेदी ने कहा कि शिक्षकों का राष्ट्रीय स्तर पर मानक तैयार करने के लिए एक प्रारूप बनाया गया है। इसके अंतर्गत सुझावों को आमंत्रित कर इसकी रिपोर्ट एन. सी. टी. ई. को भेजी जाएगी। डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर, मध्यप्रदेश की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि शिक्षक समाज को बनाते है, शिक्षा में उनकी इस भूमिका पर गहरा चिंतन जरूरी है। शिक्षकों को सक्षम बनाने की दिशा में उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सराहना की।
उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र में डॉ. अविनाश असनारे और ऋषभ खन्ना ने संबोधित किया। प्रो सी. बी. शर्मा ने कहा की अध्यापक मानकों का आधार भारत बोध को अनुप्राणित करने वाले मूल्य होने चहिए। इसी अर्थ में यह मानक शिक्षकों को समर्थ बनाएंगे। प्रो.अविनाश असनारे ने शिक्षक और भारतीयता के संबंध पर प्रकाश डाला। उनका सुझाव था कि शिक्षकों के लिए मानक के स्थान पर मार्गदर्शी सिद्धांत के रूप में देखना चाहिए। प्रो राजश्री वैष्णव ने अध्यापक मानकों के प्रक्रियागत पहलुओं पर चर्चा की। प्रो. सुनीता मगरे ने कहा कि अध्यापकों की जरूरतों को पहचाना जाए। इसमें विविधता को संज्ञान में रखा जाए। सत्र का संचालन शिक्षा विद्यापीठ की सहायक प्रोफेसर डॉ. सीमा बर्गट ने किया। कार्यक्रम का स्वागत वक्तव्य एवं विषय प्रर्वतन विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो. गोपाल कृष्ण ठाकुर ने किया। कार्यक्रम में प्रो. अवधेश कुमार, प्रो. कृपाशंकर चौबे, प्रो. कृष्ण कुमार सिंह, प्रो. शिरीष पाल सिंह, डॉ. योगेंद्र बाबू, डॉ. ऋषभ कुमार मिश्र, डॉ. आर. पुष्पा नामदेव, डॉ. हरीष पाण्डेय, डॉ. राम अवध, डॉ. चंद्रशेखर पाण्डेय सहित विभिन्न महाविद्यालय के शिक्षक ऑनलाइन तथा ऑफलाईन उपस्थित थे।